मेदिनीनगर। पलामू जिले में फसल के अनुरूप बारिश नहीं होने से अबतक मात्र तीन फीसदी हुई धनरोपनी हो पाई है। खेतों में लगाये गए धान के बिचड़े तीखी व कड़े धूप से सूखने लगे हैं। जिले में हल्की बारिश से गर्मी से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है लेकिन भूमिगत जलस्तर में अब भी कोई सुधार नहीं आया है। बारिश की अपर्याप्त स्थिति के कारण पलामू जिले में धनरोपनी भी लक्ष्य का करीब तीन फीसदी हो पाया है। इसके कारण किसान और कृषि मजदूरों के समक्ष रोजगार का संकट भी पैदा हो गए हैं।
उपायुक्त आंजनेयुलू दोड्डे ने पलामू को शत-प्रतिशत सुखाड़ प्रभावित घोषित करने की अनुशंसा के साथ राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सुखाड़ की स्थिति में मध्यवर्गीय आय वाले कामगारों की राहत के लिए जिला प्रशासन क्या कदम उठाएगी जो खेत में मजदूरी नहीं कर सकते।
जिला कृषि विभाग के अनुसार पर्याप्त बारिश में कमी के कारण धान की रोपनी पर जिले में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिले में अगस्त तक मात्र 2.70 प्रतिशत धनरोपनी हुई है। इस वर्ष जिला कृषि कार्यालय ने पलामू में 51000 हेक्टेयर भूमि पर धान रोपने का लक्ष्य रखा गया था परंतु मानसून के धोखा देने कारण अब तक मात्र 1377 हेक्टेयर भूमि पर ही धान रोपनी हो सकी है। धान का बिचड़ा भी शत-प्रतिशत नहीं लगाया जा सका। लक्ष्य 5100 हेक्टयर के विरुद्ध महज 79 प्रतिशत भूमि पर धान का बिचड़ा लगाया गया है। पलामू जिले में मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होता है। लेकिन इस वर्ष जिले में 69.55 प्रतिशत हेक्टेयर भूमि पर अच्छादित हुआ है। मक्का 27520 हेक्टेयर भूमि पर लगाने का लक्ष्य था जिसमें अब तक 19141 हेक्टेयर भूमि पर ही लग सका है। दलहनी फसल 47.19 प्रतिशत भूमि पर लगा है। तिलहनी की फसल 34 .73 प्रतिशत भूमि पर ही लग सका है। जबकि तिलहनी फसलों के आच्छादन का लक्ष्य 51828 भूमि पर के विरुद्ध अब तक 24644 हेक्टेयर भूमि पर ही लगा है। मोटे अनाज 0. 28 प्रतिशत भूमि पर लगा है। इस साल 3210 हेक्टेयर भूमि पर मोटे अनाज लगाने के लक्ष्य था इसके विरोध में अब तक मात्र नौ हेक्टेयर भूमि पर ही मोटे अनाज लग पाया है। पलामू जिले मेंअगस्त माह का सामान्य वर्षापात 388.1 मिलीमीटर है। इसी प्रकार जिले में एक जून से 31 अगस्त तक 489.7 मिलीमीटर सामान्य वर्षापात के विरुद्ध महज 239 मिलीमीटर बारिश हुई है। यह सामान्य से करीब 51 प्रतिशत कम है।