रांची। विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री बोले। खूब बोले, क्यों कुछ नहीं कहा उन्होंने। पहली बार उन्हें इतने आवेश में बोलते देखा गया। उन्होंने भाजपा विधायकों से लेकर केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी तक पर खूब व्यंग्य बाण चलाये। उन्होंने कहा कि किस तरह उनकी चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशि की जा रही है। पैसे से सरकार गिराने की कोशिश हो रही है। अपने भाषण की शुरूआत करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष के साथियों से आग्रह है कि बहस तो होती रहती है। नोकझोंक भी होती रहती है। इस प्रस्ताव पर मेरी बात पूरी सुनें, मैदान छोड़ कर भागने का प्रयास न करें। भाजपा विधायकों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस राज्य की सवा तीन करोड़ जनता में आप लोग भी शामिल हैं, हम लोग भी शामिल हैं। जब हम सवा तीन करोड़ जनता को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे ह, तो आप लोगों को भी संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आप लोगों की चाहत इतनी बड़ी है कि आप संतुष्ट कैसे होंगे।
अध्यक्ष महोदय आज विश्वास मत को लेकर सत्र आहूत हुआ है। कई लोग कह रहे थे कि सरकार के पास बहुमत है, तो विश्वास मत की क्या आवश्यकता है। वह इसलिए है कि सरकार यह साबित करना चाहती है, देश को, राज्य की जनता को यह बताना चाहती है कि हमारी सरकार ने 2019 से लेकर आज तक कोरोना जैसी भयंकर महामारी का भी सामना किया। झारखंड जैसे गरीब और संसाधनविहीन राज्य को जिस तरीके से सरकार ने संभाला है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। कोरोना जैसी महामारी में लोगों की सेवा करने का, उनके सुख दुख में उनके साथ खड़े होने का, उनके आंसू पोंछने का सौभाग्य हम लोगों को प्राप्त हुआ। हमारी जगह अगर इनकी सरकार होती और महामारी आती तो यहां के गरीब आदिवासियों का क्या होता, गरीब मजदूरों का क्या होता, यह कहना बड़ा मुश्किल है। इनके आका बोलते थे कि हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज पर घुमायेंगे, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने तो गरीब मजदूरों को सड़क पर भी नहीं चलने दिया। डंडा मार कर भगाया। अभी देश में झंडा लगाने की मुहिम चलायी गयी। सभी देश भक्तों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। लेकिन हमारे भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने तो इस मुहिम में भी झंडा बेचने का धंधा कर लिया। देश बेचने के साथ-साथ इन लोगों ने देश के झंडे को भी बेचने का प्रयास किया। पहले तो इन लोगों ने कभी अपने कार्यालय पर तिरंगा झंडा फहराया नहीं, अब देश को बेचने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। न खायेंगे न खाने देंगे का नारा लगाने वाले इनके आलाकमान किसी का साथ नहीं देते, किसी को साथ लेकर नहीं चलते। उन्होंने चंद व्यापारियों को मदद करने के लिए पूरे देश को ताक पर रख दिया। गरीबों को पेंशन देने के लिए इनके पास पैसे नहीं हैं और ये कहते हैं कि सरकारें रेवड़ियां बांटती है। पूंजीपतियों के करोड़ों-करोड़ माफ हो जाते हैं। रेवड़ी वह है। इन लोगों ने किस तरीके से सत्ता पर बैठ कर झारखंड की दुर्गति की है, उसकी सजा 2019 में यहां की जनता ने इन्हें दिया। जब राजनीतिक तौर पर ये नहीं शक रहे हैं, तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरूपयोग कर हमारी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास हो रहा है। जिस तरीके से हम लोगों ने झारखंड में काम किया है, अगर उन्हें गिनाना शुरू करूं तो लिखते-लिखते ये थक जायेंगे। हमारी सरकार को बदनाम करने का वृहद पैमाने पर षडयंत्र रचा गया। बड़े-बड़े पत्रकारों का इस्तेमाल हुआ। प्रेस-मीडिया का इस्तेमाल हुआ। सोशल मीडिया का इस्तेमाल हुआ। मुझे बहुत दुख होता है कि आज के दिन में आजादी के पहले जो मनुवादी की होड़ स्थापित रही है, आज भी उसको बढ़ावा दिया जा रहा है। ये हिंदू, मुसलिम, सिख, इसाई का नारा लगा कर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। आज जिन क्षेत्रों में घटनाएं हो रही हैं, वहां उनके नेता हवाई जहाज से पीड़ितों से मिलने आ रहे हैं। कहते हैं कि राज्य सरकार उनकी मदद करे। अगर सचमुच में मदद ही करनी है तो हवाई जहाज की जगह वही पैसे गरीबों को दे दो। अगर इनके पास इतने पैसे हैं तो इन्होंने मजदूरों का रेस्क्यू क्यों नहीं करवाया। हमारी सरकार राज्य के किसी व्यक्ति को मरने के लिए नहीं छोड़ सकती। हमने कई बच्चियों को इलाज के लिए हवाई लिफ्त करवाया। एक बच्चे को भी एयरलिफ्ट करवाया। आज जिस तरीके से हम काम कर रहे हैं इससे इन्हें पता चल गया है, इन्होंने सर्वे भी कराया है, जिसमें यह आया है कि 2024 में इनका सुपड़ा साफ होनेवाला है। आज जिस तरीके से हमारी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो रही है। जो हथकंडे अपनाये जा रहे हैं, वह बंगाल में तीन विधायकों की गिरफ्तारी के बाद स्पष्ट हो जाता है। उसकी जांच के लिए जब पुलिस जाती है, तो उसे जांच नहीं करने देते। वे लोग भ्रष्टाचारियों को संरक्षित करते हैं। ये लोग गृह युद्ध की स्थिति पैदा करना चाहते हैं। ये दंगा करा कर चुनाव जीतना चाहते हैं। लेकिन ऐसा हम नहीं होने देंगे। ये अपने मकसद में कभी कामयाब नहीं होंगे।
25 अगस्त से इलेक्शन कमीशन और राज्यपाल की तरफ से एक ऐसा वातावरण तैयार किया जा रहा है, ताकि बहुमत की सरकार अस्थिर हो जाये। हमारी सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग और राज्यपाल की तरफ से सूत्रों के हवाले से बार-बार खबरें फैलायी जाती हैं। निर्वाचन आयोग कहता है कि हमने तो राज्यपाल को भेज दिया है। जब हमारे लोग उनके पास जाते हैं जानने के लिए, तो राज्यपाल कहते हैं कि हां पत्र मिल गया है, हम दो से तीन दिन में अवगत करा देंगे। लेकिन आज तक उन्होंने अवगत नहीं कराया। राज्यपाल राज्य में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए यह सत्र बुलाया गया है कि देख लो सदन के अंदर हम कितने मजबूत हैं। सदन के बाहर हम कितने मजबूत हैं। आज कर्मचारियों के चेहरे पर मुसकान देख लो। आज पुलिसकर्मियों के चेहरे पर मुसकान है। सहायक पुलिसकर्मियों के चेहरे पर मुसकान है। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के चेहरे पर मुसकान है। हम बता दें कि हम डरनेवाले नहीं हैं। आपके सामने जो खड़ा है, यह शिबू सोरेन का बेटा है। यह आंदोलनकारी का बेटा है। यह किसी से न डरा है और न डरेगा। आप से तो कतई नहीं डरेगा। आप लोग बताओ कि हम लोगों ने भारत सरकार को जो सरना कोड भेजा, उसका क्या हुआ, वह बताओ। भाजपा विधायकों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आज ये केंद्र सरकार के अहंकार और घमंड में इतने चूर हैं कि ये जानते हैं कि हम जो चाहेंगे कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा। जो गलत काम करेगा, उसे कठिन से कठिन सजा देने का हम प्रयास करेंगे। हमारी सदस्यता को लेकर ये हाय तौबा मचाये हुए हैं। समरीलाल पर ये क्यों नहीं बोलते। वह दूसरे राज्य से आकर फर्जी सर्टिफिकेट लेकर विधायक बना है। इस सभा हाल में कई विधायक ऐसे हैं, जो पहले बाबूलाल मरांडी के साथ थे। पैसे पर बिक गये। यहां कई विधायक और नेता ऐसे हैं, जो गिरगिट की तरह रंग बदलते रहे हैं। ये लोग दोनों हाथों में लड्डू चाहते हैं। ऐसे लोगों की वजह से आदिवासी और मूलवासी का नुकसान हुआ है। बाबूलाल मरांडी यहां बैठे हैं। वे बतायें कि ओबीसी का आरक्षण कोटा किसने घटाया। भाजपा के बीच में आरएसएस के लोग हैं। इनकी शाखाएं चलती हैं। उसमें बताया जाता है कि कैसे आविासी मूलवासी को मूर्ख बनाया जाये। अभी इन्हें पारसनाथ में सिखाया गया। हमारी सरकार 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति पर आगे बढ़ रही है। आप इसे भारत सरकार से पास करवा कर लाना। हेमंत सोरेन ने कहा कि कुछ नेता ऐसे हैं, जो पाला बदलते रहते हैं और आदिवासियों मूलवासियों को धोखा देते रहते हैं। इनका चेहरा इतना भयावह, इतना कूर और इतना डरावना है कि कहा नहीं जा सकता। आप लोग चिंता न करें अगली बार आप अपनी जमानत बचा लें, यही काफी होगा। आज राज्य में सुखाड़ है। लेकिन इनको करना धरना कुछ नहीं है। इनको लूट कर खाने की आदत है। मेहनत करेगा कोई और और खायेंगे ये। देश का राष्टÑपति एक आदिवासी महिला को बना कर आज राज्य से एक आदिवासी मुख्यमंत्री की सत्ता छीनने की कोशिश हो रही है। इनके मुंह में राम बगल में छूरी है। हम और हमारी सरकार ने पुरानी सरकार के पाप को ढोया। हमने किसानों के लिए क्या किया। सबको पता है कि यहां बारिश नहीं हुई है। सरकार इस पर गंभीर है। सरकार बहुत जल्द एक बेहतर योजना लाने की कोशिश कर रही है। इस राज्य में इन लोगों ने 1985 कह कर स्थानीयता परिभाषित की। ये लोग ताली बजा बजा कर प्रेस कांफ्रेंस कर कह रहे थे कि क्या ऐतिहासिक काम हुआ है। अगर हम इनकी एक एक बखिया उधेड़ने लगें तो एक दिन में नहीं होगा। हमें पैसे की ताकत न दिखायें। खरीद बिक्री न करें। नहीं तो वह दिन दूर नहीं, जब आनेवाले समय में लोग तन कर खड़े हो जायेंगे। इसका प्रतिकार होगा। इनके मुंह में राम है और बगल में छूरी। हमारी सरकार की मंशा साफ है और हम चाहते हैं कि आपको जो भी हथियार चलाना है, षडयंत्र करना है, सामने से आओ। पीठ पीछे से वार मत करो। हम एक एक आरोप का जवाब देने को तैयार हैं।चूहों की तरह कुतरने का काम न करें, बड़ा काम करने की कोशिश करें। दंगा करके किसी का भला नहीं हुआ। आग लगा कर कभी भी राज्य का विकास नहीं हो सकता। जब देश का प्रधानमंत्री राज्य से लड़ रहा हो, तो देश का विकास कैसे होगा। सबसे बड़ा सवाल यही है।