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    Home»राज्य»बांध सुरक्षा अधिनियम बनने के बाद देश में बांध सुरक्षा को लेकर नई चेतना का उदय हुआ : शेखावत
    राज्य

    बांध सुरक्षा अधिनियम बनने के बाद देश में बांध सुरक्षा को लेकर नई चेतना का उदय हुआ : शेखावत

    adminBy adminSeptember 15, 2023No Comments4 Mins Read
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    जयपुर। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्ष 2021 में बांधों की सुरक्षा को लेकर बनाए गए बांध सुरक्षा अधिनियम के बाद से देश में बांध सुरक्षा को लेकर नई चेतना का उदय हुआ है। इसके चलते आज चाहे बांधों के निरीक्षण की बात हो या फिर सुरक्षा की बात, इस पर गंभीरता के साथ काम किया जा रहा है।

    शुक्रवार को बांध सुरक्षा पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन पर शेखावत ने कहा कि जहां समय पहले कुछ सौ की संख्या में बांधों के निरीक्षण होते थे, आज वह संख्या प्रतिवर्ष 12 हजार हो गई है। दरअसल, बांधों के टूटने से बहुत बड़ा संकट खड़ा होता है। कुछ दिनों पहले लीबिया की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पांच हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई। जब बांध टूटता है तो उसके नीचे हिस्सा और ईको सिस्टम पर खराब हो जाता है। बह जाता है। भारत में भी इस तरह की घटनाएं हुई हैं। सीडब्ल्यूसी के आकड़ों के अनुसार पिछले 100 वर्षों में 42 ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए बांधों की सुरक्षा को विषय अत्यंत ही गंभीर है। फिलहाल दुनिया में बांधों की सुरक्षा को लेकर एक माहौल बना है, जिसे आगे बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है।

    केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे अधिक बांधों वाला देश है। लिहाजा हमें इस विषय पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता थी। इसलिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में आईआईटी रुड़की, आईडीएससी बेंगलुरु में अंडर ग्रेजुएट कोर्सों की शुरुआत की गई है, वहीं जयपुर एमएनआईटी में हमने भूकंप के जरिए बांध की सुरक्षा को होने वाले खतरे के संबंध में केस स्टडी सेंटर की स्थापना की है।

    शेखावत ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ग्लोबल लीडर की तरह उभरा है। लिहाजा, जिस दिशा में हम काम कर रहे हैं, आने वाले वर्षों में भारत बांध सुरक्षा के मामले में भी दुनिया को लीड करेगा।

    शेखावत ने बांधों के निर्माण के समय में जो कमियां रह जाती हैं, उस पर डिटेल पेपर तैयार किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जहां बांधों का निर्माण हो रहा है और बांध के डिजाइन के लिए सीडब्ल्यूसी और राज्यों में जो एजेंसियां काम कर रही हैं, उन्होंने ऐसी कमियों को चिन्हित किया है, जिससे उन विषयों को कोर्स के रूप में और लागू करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में लॉग टर्म प्लान बनाने की आवश्यकता है।

    बांधों के फेल्योर ऑफ इमरजेंसी एक्शन प्लान पर काम करने की जरूरत
    केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि आने वाले समय में जिस तरह क्लाइमेट चेंज के प्रभाव पड़ रहे हैं और वर्षा का पैटर्न बदल रहा है, उन परिस्थितियों में बांध टूटने या बाढ़ की घटनाओं की बहुत अधिक संभावना रहेगी। इन विषयों पर और अधिक गंभीरता के साथ काम करने की आवश्यकता है। साथ ही, बांधों के फेल्योर ऑफ इमरजेंसी एक्शन प्लान पर भी काम करने की जरूरत है।

    दो दिन के मंथन पर बने रणनीति कंप्लीट
    शेखावत ने कहा कि बांधों के ड्रिप वन प्रोग्राम के तहत हमने जिन बांधों पर काम किया था और उनके जो ईएपीज बनाए थे, उन्हें हम राज्यों के साथ शेयर कर रहे हैं और जो नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोग्राम चलता है। उसके साथ मिलकर ज्वांइट एक्शन प्लान बनाकर ऐसी परिस्थिति को चिन्हित कर उस पर भी काम करने की आवश्यकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रोग्राम्स और सम्मेलनों में हम बांध सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर हम बात तो करते हैं, लेकिन लागू करने संबंध में बहुत सी कमियां रह जाती हैं। मेरी अपेक्षा है कि पिछले दो दिन में हमने काम किया है, इस काम को हम प्रभावी ढंग से कैसे आगे ले जा सकते हैं? इस संबंध में भी एक कंप्लीट रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता है।

    बना रहे एक इंटरेक्टिव प्लेटफॉर्म
    केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पहले हम जब बांधों की सुरक्षा पर बात करते थे तो आउट ऑफ सब्जेक्ट लगता था, लेकिन समय के साथ इस पर बात करना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है और इस पर हमने एक इंटरेक्टिव प्लेटफॉर्म बनाने का भी निर्णय लिया है। उस इंटरेक्टिव प्लेटफॉर्म पर हम कैसे इन विषयों पर बात कर सकें? केस स्टडी कर सकें और संबंधित क्षेत्र के एक्सपर्टस को कैसे जोड़ सकें? उस पर भी गंभीरता के साथ काम करना होगा, ताकि हमें उसके सकारात्मक परिणाम मिल सके।

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