-कार्यक्रम की संयोजक कुमकुम राज ने कहा- बिहार में पंचायती राज व्यवस्था को कमजोर करने का लंबे समय से किया जा रहा है प्रयास
नई दिल्ली। बिहार में ग्राम सभा की मजबूती सुनिश्चित करके समाज की निर्णय निर्धारण में भूमिका को मजबूत करने के उद्देश्य से सात सितंबर से पंचायत पद यात्रा बक्सर के चौसा प्रखंड के बनारपुर पंचायत के गंगा व कर्मनासा के संगम स्थल से भागलपुर गंगा तट तक प्रस्तावित है। यह पदयात्रा नागरिक समन्वय समिति के बैनर तले होगी।
कार्यक्रम की संयोजक कुमकुम राज ने हिन्दुस्थान समाचार के साथ बातचीत में कहा कि बिहार में पंचायती राज व्यवस्था को कुचक्र के माध्यम से कमजोर करने का प्रयास लंबे समय से किया जा रहा है। ग्राम सभा को शिथिल करने में जनप्रतिनिधियों, सरकार और अधिकारी शामिल हैं। ग्राम सभा को हाशिए पर रखकर स्वराज के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। महात्मा गांधी भी ग्राम स्वराज के लिए विकेंद्रीकरण की व्यवस्था को बनाने और पंचायत व गांवों की भागीदारी के लिए संविधान सभा को अपना संदेश कठोर शब्दों में भेजा था। साथ ही संविधान सभा के गण्यमान्य सदस्य केटी शाह, झुनझुनवाला,सचिदानंद सिन्हा, चौधरी रणबीर, पंडित ठाकुर लाल और दक्षायिणी ने भी ग्राम पंचायत की विकेंद्रीकरण प्रक्रिया में भावी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए इसे निचले पायदान पर खड़ी जनता को सत्ता की भागीदारी में भूमिका को सुनिश्चित करने का माध्यम करार दिया था। राज्य के नीति निर्देशक तत्व ने पंचायती राज व्यवस्था को कुछ अधिकार तो दिया, जिससे कागजों पर ग्राम सभा सशक्त नजर आती रही लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। इस खाई को पाटकर समाज के बड़े हिस्से को नीति निर्धारण में हिस्सेदार बनाने का मौका आ गया है। सत्ता के विकेंद्रीकरण के सपने को ग्राम सभा की मजबूती ही पूरी कर सकती है। इसके लिए कुमकुम बिहार के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सोमवार को ज्ञापन सौंपने के लिए रवाना हो गईं।
उन्होंने आगे बताया कि बिहार में महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में काफी पिछड़ी हैं। सरकारी आंकड़ों पर गौर करने पर यह ज्ञात होता है कि बिहार राज्य महिला साक्षरता के मामले में सबसे निचले पायदान पर है। विभिन्न अध्ययनों ने पुष्टि की है कि लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, गैर-बराबरी और भेदभाव का सबसे बड़ा कारण महिलाओं का शैक्षणिक रूप से हाशिए पर होना है। शिक्षा के क्षेत्र में महिलाएं मुख्यधारा में मजबूती से जुड़ें, ये समय की बड़ी मांग है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आधुनिक महिला विश्वविद्यालय की मांग एक मील का पत्थर साबित होगा ताकि लड़कियों को पारंपरिक शिक्षा के साथ ही तकनीकि, उद्यमी और क्रीड़ा से जोड़ कर उन्हें मुख्यधारा में मजबूती से स्थापित किया जा सके। कुमकुम ने कहा कि इस पदयात्रा की सफलता के लिए वरिष्ठ चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा, प्रख्यात समाजवादी प्रो आनंद कुमार, समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर, संविधान सभा की सदस्य मालती चौधरी की सुपुत्री कृष्णा मोहंती, तीसरी सरकार के संस्थापक चंद्रशेखर प्राण सहित अनेक बुद्धिजीवियों ने शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।