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    Home»Top Story»घटती आदिवासियों की संख्या अलार्मिंग सिचुएशन: बाबूलाल
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    घटती आदिवासियों की संख्या अलार्मिंग सिचुएशन: बाबूलाल

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 12, 2024No Comments3 Mins Read
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    -भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने जामताड़ा में चिंता जाहिर की
    -कहा, आवाज ही उठा सकते हैं विधायक, विकास का काम तो सरकार को ही करना है
    आजाद सिपाही संवाददाता
    जामताड़ा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आदिवासियों की घटती संख्या अलार्मिंग सिचुएशन है। पहाड़िया जनजातियों की मौत और घटती आदिवासियों की जनसंख्या पर चिंता जाहिर करते हुए बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर जम कर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विधायक केवल आवाज उठा सकते हैं। विकास का काम तो सरकार को करना है। बाबूलाल गुरुवार को भाजपा एसटी मोर्चा के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जामताड़ा पहुंचे थे।

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आदिवासियों की जनसंख्या लगातार घट रही है ये सरकार के लिए चिंता होनी चाहिए। करमाटांड में पहाड़िया जनजाति के आठ लोगों की मौत पर उन्होंने कहा कि यहां जान बचाना मुश्किल है, लेकिन सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आदिवासियों की आबादी घट रही है, इसके लिए तत्काल हर सेवा में, हर क्षेत्र में उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए। आज भी कई जगहों पर दूसरे समुदाय के लोग आदिवासी से शादी कर जिला परिषद, मुखिया आदि पद ले चुके हैं, लेकिन आदिवासी आज भी छले जा रहे हैं।

    हेमंत सोरेन जेल से निकल कर अपराधी की भाषा बोल रहे:
    बाबूलाल ने सोशल मीडिया के जरिये भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि हेमंत सोरेन किसी जन आंदोलन में नहीं, भ्रष्टाचार में जेल गये थे। वहां से लौटे तो अपराधियों की भाषा बोलने लगे। जेल से लौटते ही उन्होंने आदिवासी अस्मिता को तार-तार करने वाले कदम उठाये। सत्ता के बिना बर्दाश्त नहीं हुआ तो चंपाई सोरेन को हटा दिये। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन खुद को और अपनी पत्नी को आदिवासियों में सबसे अधिक प्रतिभावान समझते हैं। चुनावी साल में मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की जुगत में लगे हेमंत सिर्फ अपनी और परिवार की सोच रहे हैं, जबकि झारखंड का आदिवासी समाज बेहाल, बदहाल है।

    सरकार के पास पांच साल में बताने को पांच काम नहीं:
    बाबूलाल ने कहा कि झारखंड की जनता पांच साल से उस गिद्ध शासन में कैद है, जहां मुख्यमंत्री आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहा है। झारखंड की संपदा लूटने में व्यस्त हेमंत सोरेन का पूरा चरित्र भ्रष्टाचार का लबादा ओढे हुए हैं। आदिवासियों को हक अधिकार दिलाने के उद्देश्य से झारखंड राज्य की स्थापना हुई, हेमंत सोरेन के कार्यकाल में वो सब कुछ छीना गया। बांगलादेशी घुसपैठियों को सिर पर बिठाने वाले हेमंत सोरेन को बाकी दुनिया गिद्ध दिख रही है, जबकि असलियत है कि झारखंडी अस्मिता को तार तार कर चुके हेमंत सोरेन की सरकार भ्रष्टाचार में गले तक डूबी हुई है। युवाओं का भविष्य रसातल में चला गया है और जनता का वर्तमान दलदल में फंसा हुआ है। उन्होंने कहा कि झारखंड की आदिवासी जनता इलाज के अभाव में मर रही है। नौकरी के लिए दौड़ लगा रहे युवा दम तोड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास एक मुद्दा नहीं है, जिसके बूते वे वोट मांग सकें। पांच साल में उनके पास बताने को पांच काम नहीं हैं।

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    shivam kumar

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