पार्टी में तानाशाही की घुटन और अपमान के चलते पार्टी से इस्तीफा देना ही बेहतर लगा: संजय मेहता
रांची। जयराम महतो की पार्टी झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति के केंद्रीय उपाध्यक्ष संजय मेहता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मंगलवार को पार्टी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर संजय ने कहा कि ह्यभगवान बिरसा मुंडा, बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर, नीलांबर पीतांबर, सिदो कान्हू, चांद- भैरव, फूलो झानो, जयपाल सिंह मुंडा, रघुनाथ महतो, तिलका मांझी, शहीद निर्मल महतो, बिनोद बिहारी महतो, शहीद शेख भिखारी, नादिर अली, जय मंगल पांडेय समेत सभी अन्य क्रांतिकारियों, महापुरुषों के सपनों का झारखंड बनाने की सोच रखता हूं। इस परिकल्पना को साकार करने के संघर्ष में मुझे चिंतन, मनन की आवश्यकता महसूस हो रही है। अत: संगठन के प्राथमिक सदस्यता एवं केंद्रीय उपाध्यक्ष के पद से अपना इस्तीफा देता हूं।
आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। इस के साथ ही उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। संजय मेहता हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हजारीबाग लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। संजय मेहता से आजाद सिपाही के संवाददाता ने जब इस्तीफा देने का कारण पूछा तो, संजय मेहता ने कहा कि पार्टी वन मैन शो बन गयी है। जय राम महतो लगातार पार्टी में अपमानित किया जा रहा था। पार्टी के कार्यक्रमों से दूर करने के लिये कार्यक्रमों की जानकारी भी नहीं दी जाती थी। उन्होंने कहा कि किसी कार्यक्रम में मेरे पोस्टर बैनर लगाने से माना किया जाता था। कमेटी द्वारा नोटिस का जवाब नहीं देने के संबंध में पूछे जाने पर मेहता ने कहा कि अनुशासन कमेटी सिर्फ हमें नोटिस देने के लिये ही बनाई जाती थी, जो नोटिस देने के बाद खत्म हो जाती थी। जयराम महतो द्वारा अपमानित करने और पार्टी में तानाशाही कायम करने का मामला कई बार उठाया लेकिन इसपर कुछ नहीं हुआ। पार्टी को हमलोगों ने मिलकर संघर्ष कर खड़ा किया था, लेकिन जयराम महतो को लगता है सिर्फ उसके चेहरे पर ही आंदोलन हुआ है। पार्टी में तानाशाही की घुटन और अपमान के चलते पार्टी से इस्तीफा देना ही बेहतर लगा।