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    Home»विशेष»झारखंड के गांव ही लक्ष्य तक पहुंचायेंगे भाजपा को
    विशेष

    झारखंड के गांव ही लक्ष्य तक पहुंचायेंगे भाजपा को

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 19, 2024No Comments7 Mins Read
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    परिवर्तन यात्रा का रुख ग्रामीण इलाकों की तरफ मोड़ना समय की मांग
    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झारखंड यात्रा और विशेष रूप से भारी बारिश में झारखंड में उनकी 130 किलोमीटर लंबी सड़क यात्रा ने निश्चित रूप से प्रदेश भाजपा में नये उत्साह का संचार किया है। प्रदेश भाजपा ने 20 सितंबर से राज्य भर में परिवर्तन यात्रा की शुरूआत करने का एलान किया है, जो राज्य के छह प्रमंडलीय मुख्यालयों से रवाना होगी और राज्य में सत्ता परिवर्तन का आह्वान करेगी। इस यात्रा के लिए बड़े पैमाने पर इंतजाम किये जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलाावा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य बड़े नेता जगह-जगह इस कार्यक्रम में शामिल होने झारखंड आयेंगे और इसके साथ ही भाजपा का चुनाव प्रचार अभियान तेज हो जायेगा। किसी राजनीतिक संगठन के लिए चुनाव से पहले इस तरह के आयोजन आवश्यक भी होते हैं और स्वाभाविक भी, लेकिन हर राजनीतिक आयोजन के नफा-नुकसान का आकलन भी किया जाता है। झारखंड भाजपा ने परिवर्तन यात्रा का नारा दिया है न सहेंगे न कहेंगे बदल कर रहेंगे और इसने इसके नफा-नुकसान का भी आकलन जरूर किया होगा। झारखंड के राजनीतिक माहौल को देख कर ऐसा लगता है कि भाजपा 2004 के लालकृष्ण आडवाणी द्वारा शुरू की गयी यात्रा से सबक लेने की जरूरत है। लालकृष्ण आडवाणी ने बहुत ही तामझाम के साथ उस यात्रा को निकाला था। लेकिन उस यात्रा से भाजपा को नफा की जगह नुकसान इसलिए हो गया, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा फोकस शहरों पर ही रखा। परिणाम यह हुआ कि उस यात्रा ने भाजपा की सत्ता में वापसी को रोक दिया था, बल्कि अगले एक दशक तक वह सत्ता से दूर रही। झारखंड भाजपा को समझना होगा कि झारखंड की सत्ता की चाबी यहां के गांवों से होकर गुजरती है और यदि उसे सत्ता एक बार फिर से हासिल करनी है, तो परिवर्तन यात्रा का रुख गांवों की तरफ मोड़ना होगा। गांव ही भाजपा को उसके लक्ष्य तक पहुंचा सकते हैं। क्या है भाजपा की परिवर्तन यात्रा का राजनीतिक मतलब और इसका क्या हो सकता है असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    झारखंड में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक गतिविधियां चरम पर हैं। रैली, प्रदर्शन, जुलूस और राजनीतिक यात्राओं का आयोजन बड़े पैमाने पर हो रहा है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था की खूबसूरती भी है और जरूरत भी। झारखंड की सत्ता में अपनी वापसी के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही भाजपा की तरफ से इस बार हर वह आयोजन किया जा रहा है, जिसके जरिये 2019 में खोयी सत्ता फिर से हासिल की जा सके। पार्टी के राष्ट्रीय और प्रादेशिक स्तर के नेता इसके लिए खूब पसीना बहा रहे हैं। लेकिन भाजपा नेताओं को इस बात पर अपना ध्यान फोकस करना होगा कि वे वहां जरूर जायें, जहां भारत की आत्मा बसती है यानी गांव। अभी तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड यात्रा पर आये थे। भारी बारिश और खराब मौसम के कारण वह हेलीकॉप्टर से जमशेदपुर नहीं जा सके, जहां उन्हें अन्य कार्यक्रमों के अलावा जनसभा को भी संबोधित करना था। खराब मौसम के बावजूद बड़ी संख्या में लोग वहां जमा हो चुके थे। पीएम मोदी ने अंतत: रांची से जमशेदपुर की 130 किलोमीटर की यात्रा सड़क मार्ग से करने का फैसला किया और उन्होंने वहां जनसभा को संबोधित किया। आम लोगों के प्रति पीएम मोदी के इस लगाव का असर यह हुआ कि कोल्हान के गांवों के लोग अब उनके मुरीद हो गये हैं। पीएम मोदी ने उनके दिलों को छू लिया है। झारखंड भाजपा के नेताओं को इससे सीखना होगा और खुद को झारखंड के गांवों तक ले जाना होगा। जब झारखंड भाजपा की प्रस्तावित परिवर्तन यात्रा को पीएम मोदी की यात्रा की कसौटी पर रखा जाता है, तो यही लगता है कि झारखंड भाजपा को इस यात्रा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे गांवों तक ले जाना होगा।

    क्या है परिवर्तन यात्रा
    झारखंड भाजपा ने 20 सितंबर से शुरू होनेवाली परिवर्तन यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। इसका मुख्य लक्ष्य वर्तमान हेमंत सरकार से पिछले पांच वर्षों का हिसाब लेना है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस यात्रा को बेटी, रोटी, माटी की रक्षा, युवाओं के भविष्य और झारखंड में परिवर्तन लाने के संकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि यह परिवर्तन यात्रा सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी और छह सांगठनिक प्रमंडलों में आयोजित होगी। 20 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच भाजपा की परिवर्तन यात्रा कुल 5400 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यात्रा के दौरान 80 स्वागत कार्यक्रम और 65 सार्वजनिक रैलियां होंगी।

    क्या है परिवर्तन यात्रा का पूरा कार्यक्रम
    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस यात्रा को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। वह इसके लिए 20 सितंबर को साहिबगंज के भोगनाडीह में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। उनके अलावा तमाम बड़े नेता इसमें अलग-अलग समय और जगहों पर जुड़ेंगे। इस यात्रा का थीम है- न सहेंगे न कहेंगे बदल कर रहेंगे। परिवर्तन यात्रा किसी धार्मिक या ऐतिहासिक स्थल से प्रारंभ होगी। इस यात्रा में शामिल नेता सामाजिक संगठनों और प्रमुख लोगों से संवाद भी करेंगे। संताल परगना में 20 सितंबर को भोगनाडीह से प्रारंभ होकर 30 सितंबर तक यात्रा चलेगी। पलामू प्रमंडल के लिए वंशीधर नगर से 20 सितंबर से 28 सितंबर तक चलेगी। हजारीबाग के लिए इटखोरी के भद्रकाली मंदिर से 21 सितंबर से 28 सितंबर तक चलेगी। दक्षिणी छोटानागपुर के लिए खूंटी के आम्रेश्वर धाम से 23 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच यात्रा होगी। गिरिडीह के लिए झारखंडी धाम से 20 से 26 सितंबर के बीच यात्रा होगी। कोल्हान के लिए चित्रेश्वर धाम से 23 से 26 अक्टूबर के बीच यात्रा होगी।

    झारखंड भाजपा की योजना
    परिवर्तन यात्रा के जरिये झारखंड भाजपा ने हेमंत सरकार को घेरने की पूरी योजना तैयार की है। बाबूलाल मरांडी का कहना है कि बीते पांच वर्षों में ठगबंधन सरकार ने झारखंड के स्वाभिमान, अस्मिता और पहचान को गंभीर चोट पहुंचायी है। हेमंत सरकार ने झारखंड को भ्रष्टाचार, लूट और खसोट के लिए बदनाम किया है। झारखंड की पहचान अब न केवल खान और खनिज संसाधनों की लूट से, बल्कि केंद्र की नल जल योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं को भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाने के लिए हो गयी है। इसके अलावा राज्य सरकार बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की संरक्षक बनी है, जिससे राज्य की जनसंख्या संरचना में अप्रत्याशित बदलाव आया है। आदिवासी आबादी तेजी से कम हुई है, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़ी है। परिवर्तन यात्रा के माध्यम से जनता सोरेन से जवाब मांगने वाली है।

    क्या होगा यात्रा का असर
    जाहिर है कि यह यात्रा झारखंड भाजपा के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक मौके के रूप में देखी जा रही है, जिसका उद्देश्य राज्य की मौजूदा सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाना और आगामी चुनावों के लिए एक मजबूत जनसमर्थन जुटाना है। झारखंड का वर्तमान राजनीतिक माहौल बताता है कि यहां के ग्रामीण इलाकों में भाजपा की पकड़ ढीली है। बाबूलाल मरांडी को छोड़ कर कोई भी नेता झारखंड के गांवों को ठीक से नहीं जानता है। इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रतिद्वंद्वी दलों और संगठनों ने लोगों के दिलों में घर बना लिया है। कड़िया मुंडा और कैलाशपति मिश्र के जमाने में पार्टी संगठन की गतिविधियां गांवों से शुरू होकर शहरों तक आती थीं, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल गयी है। अब भाजपा के लोग शहरों से शुरू होकर गांवों तक जाते हैं, जिसका परिणाम 2019 के विधानसभा चुनाव जैसा होता है। झारखंड भाजपा को इसको समझना होगा। भाजपा इस यात्रा का फोकस जितना अधिक गांव पर रखेगी, वह लोगों को अपनी बात समझाने में उतनी ही सफल होगी।

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    shivam kumar

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