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    Home»Jharkhand Top News»जान हथेली पर लेकर खूंटी-सिमडेगा पथ पर यात्रा कर रहे लोग
    Jharkhand Top News

    जान हथेली पर लेकर खूंटी-सिमडेगा पथ पर यात्रा कर रहे लोग

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 4, 2025No Comments4 Mins Read
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    खूंटी। राजधानी रांची को खूंटी, गुमला और, सिमडेगा जिले के अलावा ओड़िशा और छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली सबसे प्रमुख खूंटी-तोरपा-कोलेबिरा सड़क पर छोटे या बड़े वाहनों में गुजरना इन दिनों जान हथेली पर लेकर चलने के बराबर हो गया है। गत जून कोे हुई भारी बारिश के कारण पेलौल गांव के पास बनई नदी पर बना पुल टूट गया।

    इसके कारण वाहनों का आवागमन कुंजला से जुरदाग, गम्हरिया अंगराबारी होकर अथवा मार्टिन मंगला, इट्ठे गनालोया होकर हो रहा है। कुछ वाहन कर्रा से तोरपा वाली सड़क पर गुजरते हैं। ग्रामीण सड़कों पर वाहनों के भारी दबाव के कारण लगभग सभी सड़कें पूरी तरह जर्जर हो गई हैं। इसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। अधिकतर भारी वाहनों का आवागमन जुरदाग हो कर हो रहा है।

    तीन महीने में भी नहीं बना डायवर्सन
    बनई जैसे महत्वपूर्ण पुल के टूटे तीन महीने हो चुके हैं, पर अब न तो डायवर्सन का निर्माण कार्य शुरू हो सका है और न ही पुल निर्माण की दिशा में कोई ठोस पहल की जा रही है। यह अलग बात है कि लगभग एक माह पहले ही डायवर्सन निर्माण के लिए लगभग एक करोड़ 80 लाख रुपये की निविदा निकाली गई थी। खूंटी के विधायक रामसूर्या मुंडा ने भी कहा था कि निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बताया जाता है कि बारिश कम होने के तुरंत बाद डायवर्सन का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।

    टूट गयी हैं ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें
    लगातार भारी वाहनों का परिचालन होने से अब ये वैकल्पिक सड़कें भी टूटने लगी हैं। जगह-जगह गड्ढ़े बन गए हैं और फ्लैंक पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। फ्लैंक की जगह दोनों ओर बने गड्ढ़ों की वजह से वाहन चालक सड़क से नीचे वाहन उतारने से भी बच रहे हैं, क्योंकि गाड़ियों के फंसने का डर बना रहता है। अंगराबारी-तुपुदाना पथ पर बेड़ा पुल के पास मिट्टी का काफी कटाव हो गया है। इसके कारण सड़क खतरनाक हो गई है। कभी भी वहां कोई हादसा हो सकता है। कुछ वर्षों पूर्व माहिल-गानालोया के बीच बनई नदी पर बना पुल दब चुका था, जिसकी मरम्मत कराई गई थी। अब इस पुल से होकर कई भारी वाहनों के गुजरने और पुल के नीचे से बालू के अवैध उत्खनन से इस पुल पर भी टूटने का खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल टूटने के बाद से लगातार समस्या बढ़ती जा रही है। अब कई ग्रामीण सड़कें भी टूट चुकी हैं और दिन-ब-दिन इनकी स्थिति और बिगड़ रही है।

    गम्हारिया गांव में सबसे ज्यादा संकट
    इस सड़क पर सबसे गंभीर स्थिति गम्हारिया गांव की है। यहां सड़क के बीचोंबीच लगभग चार फीट का गहरा और चौड़ा गड्ढा बन चुका है। इस गड्ढे से गुजरते समय कई वाहनों का आधा हिस्सा धंस जाता है, जिन्हें बड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला जाता है। हालात इतने खराब हैं कि स्कूली बच्चों, ग्रामीणों और मवेशियों की जान हर वक्त खतरे में रहती है। जलमीनार (नल जल योजना) की टूटी पाइपलाइन ने स्थिति को और खतरनाक बना दिया है। पाइप से लगातार पानी रिसकर गड्ढे में जमा हो रहा है, जिससे गड्ढा और भी गहरा होता जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह किसी भी समय जानलेवा साबित हो सकता है।

    भय और असुविधा में जी रहे ग्रामीण
    ग्रामीणों का कहना है कि वे रोज डर के साये में जी रहे हैं। बच्चे स्कूल जाते समय, महिलाएं पानी भरने के लिए सड़क पार करते समय और मवेशियों को लाने-ले जाने हादसे का भय बना रहता है।

    प्रशासन और नेताओं पर आरोप
    ग्रामीणों का आरोप है कि अब तक न तो विभागीय अधिकारी और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मुद्दे का लेकर गंभीर दिख रहे हैं। नेता सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि संबंधित विभाग के अधिकारी केवल लोगों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे हैं।

    गम्हरिया गांव के रामचंद्र स्वांसी कहते हैं कि प्रशासन कम से कम बोल्डर मोरम डालकर आवागमन को सुलभ करे। मणिका स्वांसी कहते हैं कि गांव के शिवा प्रधान कहते हैं कि नेता-मंत्री, अधिकारी सभी सभी इस सड़क से गुजरते हैं, पर किसी का ध्यान इस ओर नहीं है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि यदि जल्द सड़क को दुरुस्त करने और पुल निर्माण की प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में कदम नहीं उठाया गया, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इसको लेकर ग्रामीणो ने सांसद कालीचरण मुंडा और विधायक राम सूर्या मुंडा को ज्ञापन भी सौंपा है।

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