लखनऊ:  समाजवादी पार्टी में मची रार के बीच इसके मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ‘बाहरी आदमी’ राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और भाई शिवपाल का बचाव करते हुए उनका विरोध कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को डांट भरे लहजे में नसीहतें दीं। मुलायम ने हंगामे और शोरगुल के बीच बिना किसी तार्किक अंत के अचानक समाप्त हुई पार्टी विधायकों, सांसदों और मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं अमर सिंह और शिवपाल के खिलाफ कुछ भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। अमर सिंह मेरा भाई है। उसने मुझे जेल जाने से बचाया और तुम (अखिलेश) अमर सिंह को गाली देते हो।’’ सपा मुखिया ने अखिलेश पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा ‘‘क्या है तुम्हारी हैसियत, मैं जानता हूं।

क्या तुम अकेले चुनाव जीत सकते हो।’’ हालांकि यह बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गयी, लेकिन मुलायम ने एक स्पष्ट संदेश जरूर दिया कि ‘‘अगर किसी को सपा में रहना है, तो उसे सपा का बनकर रहना होगा। पार्टी में वही होगा, जो मैं कहूंगा।’’ उन्होंने अखिलेश को अति उत्साही युवा नेताओं से घिरा बताने की कोशिश करते हुए कहा ‘‘नारेबाजी और चापलूसी से तुम कुछ नहीं बन पाओगे। हम इनको समझते हैं, लेकिन इनके दिमाग में दूसरी बात है। जो लोग ज्यादा उछल रहे हैं, वे एक लाठी भी नहीं झेल पाएंगे।’’ सपा मुखिया ने कहा कि केवल लाल टोपी (पार्टी की टोपी) पहन लेने से कोई समाजवादी नहीं हो जाता। तुम्हारी आलोचना करने वाला ही तुम्हारा असली मित्र है। जो आलोचना सुनकर सुधार नहीं करता, वह कभी बड़ा नेता नहीं बन सकता।

शिवपाल को अपने राजनीतिक सफर के दौरान संघर्ष का साथी बताते हुए मुलायम ने कहा कि शिवपाल ने हर मुश्किल हालात में उनका पूरा साथ दिया है। उन्होंने शिवपाल की पहल पर सपा में विलय हुए कौमी एकता दल के नेतृत्वकर्ता परिवार की भी तारीफ की और कहा कि आजादी की लड़ाई में इस परिवार का योगदान रहा है। यह कहते हुए कि कुछ मंत्री केवल चापलूसी करते है, मुलायम ने कहा,‘‘मैं शिवपाल के काम को भूल नहीं सकता। वे जनाधार वाले नेता हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम कठिन दौर का सामना कर रहे हैं–– हमें अपनी कमजोरियां दूर करनी चाहिए और एक दूसरे के खिलाफ लड़ना झगड़ना नहीं चाहिए।’’ हालांकि मुलायम की नसीहतों का दोनों पक्षों पर कोई खास असर नहीं दिखा और उनकी मौजूदगी में ही दोनों गुटों के समर्थकों के बीच तल्खी बढ़ गयी, नतीजतन बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के अचानक समाप्त हो गयी।

बैठक में शामिल एक पदाधिकारी ने बताया कि मुलायम ने अपने सम्बोधन के बाद मुख्यमंत्री और शिवपाल को गले मिलने को कहा। इसी बीच, मुख्यमंत्री को औरंगजेब की उपाधि देने वाले पत्र को प्रेस में कथित रूप से जारी करने वाले विधान परिषद सदस्य आशु मलिक को मुख्यमंत्री ने माइक पर बुलाया तो उन्होंने अखिलेश के कंधे पर हाथ रखकर कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा और गोलमोल बातें करने लगे। पदाधिकारी के अनुसार, अखिलेश ने जब मंच से सफाई देने की कोशिश की तो उनसे माइक की छीनाझपटी हो गयी। इससे अखिलेश समर्थक नौजवान नाराज हो गये। हालात भांपते हुए अखिलेश आशु मलिक को अपने साथ बाहर ले गये।बाद में, दोनों गुटों के समर्थक एक-दूसरे से भिड़ गये और मारपीट हो गई। पुलिस को स्थिति सम्भालने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version