कार्तिक शुक्ल एकादशी के पर्व पर रामनगरी की पंचकोसी परिक्रमा का श्रीगणेश निर्धारित मुहूर्त पर हुआ। इस परिक्रमा में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। मालूम हो कि आध्यात्मिक नगरी की परम्परा में साधु-संत व साधक गण प्रत्येक माह की एकादशी को पंचकोसी परिक्रमा करते हैं लेकिन कार्तिक मास में लाखों परिक्रमार्थी शामिल होते रहे हैं।
बताया गया कि एकादशी सोमवार को अपराह्न 2.57 बजे से लग रही है और मंगलवार को अपराह्न 3.11 बजे तक रहेगी। उम्मीद है कि बीते वर्षों की परम्परा में एकादशी को भले ही उदया तिथि में स्वीकार किया जाए लेकिन परिक्रमा निर्धारित समय से ही शुरू हो जाएगी और मंगलवार को भी मध्याह्न तक जारी रहेगी। मेला प्रशासन ने पंचकोसी परिक्रमा के मुहूर्त को देखते हुए मजिस्ट्रेटों के साथ सुरक्षा अधिकारियों की तैनाती कर दी है।
अपर मेलाधिकारी सतवंत सिंह सेठी ने बताया कि परिक्रमा पथ को तीन जोन व छह सेक्टरों में विभक्त कर मजिस्ट्रेटों को तैनात किया गया है। इसके अलावा 19 अतिरिक्त स्टेटिक मजिस्ट्रेटों को भी नियुक्त किया गया है। इससे पहले उदया चौराहे पर बड़ी संख्या में दुकानें भी सजने लगी हैं और गन्ने की भी बिक्री शुरू हो गई है। एकादशी के इस पर्व पर मध्यरात्रि दरिद्र के भगाने की भी लोक परम्परा है। इस समय घरों की महिलाएं सूप को गन्ने की गेंड से पीटती हैं।
उधर, शनिधाम के संस्थापक आचार्य स्वामी हरिदयाल शास्त्री ने बताया कि कार्तिक शुक्ल एकादशी के पर्व को देवोत्थानी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। श्री शास्त्री कहते हैं कि इस पर्व पर भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इसी के साथ चातुर्मास का समापन भी होता है और गृहस्थ परिवारों में मांगलिक कार्यों का भी शुभारम्भ हो जाता है।