अमेरिका के दो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जॉर्ज बुश ने अमेरिका के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चिंता जाहिर की है. अलग-अलग जगहों और कार्यक्रमों में बोलते हुए ओबामा और बुश ने यह चेतावनी दी कि अमेरिका अतीत की उन नफरतों के बीच पिस रहा है जिन्हें काफी पहले इतिहास में दफन हो जाना चाहिए था. उन्होंने सामान्य उद्देश्य के माध्यम से आर्थिक चिंताओं को दूर करने की वकालत की. दोनों नेताओं ने सीधे तौर पर ट्रंप का नाम नहीं लिया लेकिन उनकी बातों से यह साफ था कि उनाका इशारा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की ओर है.
ओबामा ने कहा कि अभी जो राजनीति हम देख रहे हैं, हमें लगता था कि हम उसे बहुत पहले छोड़ चुके हैं. वह व्यक्ति 50 साल पीछे देख रहा है. यह 21वीं सदी है, 19वीं नहीं. हम विभाजन और भय की राजनीति को खारिज करते हैं. हम उस तरह की राजनीति का आलिंगन करते हैं, जो कहती है कि हर किसी का महत्व है, हर किसी को अवसर मिलना चाहिए, हर किसी का सम्मान किया जाना चाहिए.
इससे पहले न्यूयार्क में पूर्व राष्ट्रपति बुश ने अपने एक भाषण के दौरान लोगों को अमेरिकी लोकतंत्र और सामाजिक ताने-बाने के कमजोर पड़ने के खतरे के प्रति आगाह किया. बुश ने कहा कि ‘षड्यंत्र की कहानियों और मनगढ़ंत बातों को तूल देकर राजनीतिक व्यवस्था को दूषित किया गया है. बुश के मुताबिक, अमेरिकी समाज में कट्टरपन को हवा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि हमारी राजनीति साजिश की कहानियों और झूठी बातों का शिकार हो रही है. बुश ने कहा कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं, खासकर युवाओं में, जिससे पता चलता है कि लोकतंत्र के प्रति गहन भावना कमजोर हुई है और हमारी बातचीत के लहजे में गिरावट आई है.
बुश के मुताबिक ऐसा लगता है कि हमें जोड़ने वाली ताकत कमजोर पड़ गई है और तोड़ने वाली ताकत ताकतवर हो गई है. हम अपनी वह विविधता और गतिशीलता भूल चुके हैं, जो प्रवासी अपने साथ लाते थे. हमारा राष्ट्रवाद महज देशीय होने तक सीमित रह गया है.
उन्होंने कहा कि मुक्त बाजार और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जो हमारा विश्वास था, वह कमजोर होने लगा है. हम दुनिया से अलग-थलग रहने वाले सेंटीमेंट्स से प्रेरित होने लगे हैं और इस बात को भूल चुके हैं कि अराजकता और अन्य जगहों पर फैली हताशा से अमेरिका की सुरक्षा को खतरा रहता है.
गौरतलब है कि पिछले साल अपने चुनाव से पहले ट्रंप ने ओबामा और बुश दोनों की कड़ी आलोचना की थी और दोनों को अमेरिका के इतिहास में सबसे खराब राष्ट्रपति करार दिया था.