अभिलाभ (गेन) पर कर की राशि का आंकलन और प्रबंधन कैसे किया जाए यह जानना निवेश का एक मुख्य सिद्धांत है। हम पूंजी अभिलाभ (कैपिटल गेन), कर और कर की दरों को समझ कर निवेश के परिणामों को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के निवेशों पर कर-पश्चात रिटर्न का अध्ययन करने में पर्याप्त समय लगाने वाले निवेशक निवेश करने के लिए हमेशा सही म्यूचुअल फंड या शेयर चुनते हैं। जब चुनाव सटीक हो तो प्रदर्शन भी संतोषजनक से कहीं बेहतर होता है।

यहां पूंजी अभिलाभ कर (कैपिटल गेन टैक्स) की वे बुनियादी बातें दी जा रही हैं जो आपको निवेश करने से पहले जान लेनी चाहिए:

पूंजी अभिलाभ और पूंजी अभिलाभ कर – इन शब्दों के क्या अर्थ हैं

निवेश पर मुनाफे और निवेश की गई मूल राशि के बीच का अंतर पूंजी अभिलाभ या कैपिटल गेन होता है। इसका अर्थ है कि हमने जिन आस्तियों में निवेश किया है उनका बाजार मूल्य जब बढ़ता है तो शुद्ध परिणाम पूंजी अभिलाभ होता है।

हालांकि, टैक्स कलेक्टर लगभग सभी प्रकार के निवेशों से संबंधित पूंजी अभिलाभ में से एक निश्चित राशि ले लेते हैं। इस राशि को पूंजी अभिलाभ कर या कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं।

पूंजी अभिलाभ प्राप्त कब होता है?

जब बात पूंजी अभिलाभ कर की हो, तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम यह पूरी तरह समझ लें कि पूंजी अभिलाभ क्या है, वह कब उत्पन्न होता है और कब प्राप्त होता है। जब तक मूल्यवर्धित प्रतिभूति बेची न जाए तब तक अभिलाभ अप्राप्त रहता है।

प्राप्त और अप्राप्त अभिलाभ को समझने व उनमें भेद करने के लिए शेयर निवेश सर्वोत्तम उदाहरण हैं। जब हम किसी कंपनी में शेयर खरीदते हैं तो पूंजी अभिलाभ केवल तब प्राप्त होता है जब उन शेयरों को, मूल रूप से निवेश किए गए धन से अधिक मूल्य पर बेच दिया जाए।

यहां, यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि निवेश चाहे जितना भी क्यों न बढ़ चुका हो; वास्तविक अभिलाभ केवल शेयर बेचने पर ही मिलता है। इसलिए, निवेशकों को तब तक अभिलाभ कर का भुगतान नहीं करना होता है जब तक वे अभिलाभ प्राप्त न कर चुके हों और मुनाफा अर्जित न कर लिया हो।

पूंजी अभिलाभ करों के प्रकार

सभी पूंजी अभिलाभ एक जैसे हों या उनसे एकसा व्यवहार किया जाता हो ऐसा नहीं है। अवधि के आधार पर कर की दरों में भारी अंतर आता है। पूंजी अभिलाभ दो प्रकार का होता है – अल्पकालिक और दीर्घकालिक। निवेशक को समय निकाल कर इनका अंतर समझना चाहिए ताकि वह करों के बारे में ठीक से समझ ले और कर बचत करने के लिए तैयारी कर सके।

1. अल्पकालिक पूंजी अभिलाभ: जब हम हमारी आस्तियों को एक वर्ष या इससे कम समय तक धारित रख कर बेच देते हैं तो उक्त निवेश से हुआ मुनाफा इस श्रेणी में आता है। इन पूंजी अभिलाभों पर साधारण आय के समान दरों पर कर लगता है।

2. दीर्घकालिक पूंजी अभिलाभ: हमारी आस्तियों को एक वर्ष से अधिक समय तक धारित रख कर हम अभिलाभ पर लगने वाले कर की दर में कटौती सुनिश्चित कर सकते हैं। यदि सामान्य कर दर १५% से कम है तो शून्य प्रतिशत कर दर के साथ दीर्घकालिक अभिलाभ प्राप्त करना संभव है।

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