लाइट, गिफ्ट आइटम, लैंप्स, वॉल हैंगिंग जैसी चीजें हों या फिर अन्य उत्पाद, चीनी उत्पादों की बिक्री कम होती जा रही है. इस साल पिछले साल की तुलना में इनकी बिक्री में 40-45 फीसदी की गिरावट आ सकती है. यह जानकारी एसोचैम-सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन (एएसडीएफ) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में सोमवार को दी गई.

फोन की बिक्री पर भी असर
एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बताया, “इस साल दिवाली के दौरान बिकने वाली सजावटी लाइट्स की बिक्री में चीनी उत्पादों की बिक्री 40-45 फीसदी घट सकती है, जबकि चीन में बने इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे मोबाइल फोन की बिक्री पर भी हल्का असर पड़ेगा. हमारे अध्ययन से पता चला है कि चीनी इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे एलसीडी, मोबाइल फोन की बिक्री में भी 15-20 फीसदी की कमी आएगी.”

देशभर में है यह ट्रेंड उद्योग चैंबर का कहना है कि उसने देश भर के थोक विक्रेताओं, खुदरा बिक्रेताओं और व्यापारियों से अहमदाबाद, बेंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ और मुंबई में चीनी उत्पादों की मांग को लेकर बातचीत की है.

पिछले साल 6500 करोड़ की हुई थी बिक्री
एक अनुमान के मुताबिक साल 2016 में दिवाली के दौरान करीब 6,500 करोड़ रुपये के चीनी उत्पादों की बिक्री हुई थी. इनमें से 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की दिवाली से संबंधित खिलौने, फैन्सी लाइट्स, गिफ्ट आइटम्स, प्लास्टिक वेयर और सजावटी सामानों की बिक्री हुई थी. इस अध्ययन में कहा गया है कि ज्यादातर ग्राहक अब भारतीय लाइट्स की मांग कर रहे हैं.

गारंटी चाहते हैं कस्‍टमर्स
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बाजार में चीन में बनी फैन्सी लाइट्स की मांग है, लेकिन यह धीरे धीरे कम हो रही है. साथ ही चीनी उत्पादों की क्वालिटी भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि कोई भी दुकानदार इसकी गारंटी नहीं लेता. चीनी पटाखों की तुलना में तमिलनाडु के शिवकाशी में बने पटाखों की अधिक मांग है.

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