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    Home»बिजनेस»सावधि जमाएं बनाम म्यूचुअल फंड
    बिजनेस

    सावधि जमाएं बनाम म्यूचुअल फंड

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीOctober 4, 2017No Comments4 Mins Read
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    सावधि जमाएं और म्यूचुअल फंड आज निवेश के दो सबसे पसंदीदा इंस्ट्रुमेंट हैं। दोनों ही बचत बैंक ब्याज दरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं और निवेशकों को अल्प से मध्यम अवधि में लाभान्वित करते हैं। हालांकि, निवेशकों के लिए इन दो में से एक को चुनने का निर्णय कठिन हो सकता है। हो भी क्यों न, इन निवेश श्रेणियों के अपनी अलग-अलग लाभ और हानियां जो हैं। यहां एक सरल मार्गदर्शिका दी जा रही है जो आपको सोचा-समझा निर्णय लेने में मदद करेगी।

    सावधि जमाएं या फिक्सड डिपोजिट बैंकों द्वारा प्रस्तुत पारम्परिक निवेश इंस्ट्रुमेंट हैं। वे पहले से निश्चित अवधि के लिए एक स्थिर ब्याज दर प्रदान करते हैं। सावधि जमाओं को सुरक्षित निवेश माना जाता है।

    वहीं दूसरी ओर, म्यूचुअल फंडों के साथ अपेक्षाकृत अधिक जोखिम होता है। उनका प्रदर्शन काफी हद तक बाज़ार की स्थितियों पर निर्भर होता है। यही कारण है कि म्यूचुअल फंडों के सभी विज्ञापनों में यह अस्वीकरण अनिवार्य रूप से होता है कि – निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन हैं। म्यूचुअल फंडों को मोटे तौर पर इन दो श्रेणियों में रखते हैं

    • ईक्विटी म्यूचुअल फंड, जिनमें जोखिम अधिक होते हैं, और
    • डेट (ऋण) म्यूचुअल फंड, जिनमें जोखिम कम होते हैं और इसलिए रिटर्न भी कम होता है।

    लाभ व हानियां

    सावधि जमाओं में, जमा राशि की अवधि की समाप्ति तक बहुत कम तरलता होती है। निवेशक समय से पूर्व आहरण चुन तो सकता है पर पेनल्टी चुकाए बिना नहीं। यदि ऐसा होता है तो, निवेशक को अपेक्षित रिटर्न के एक अंश से भी हाथ धोना पड़ता है। सावधि जमाओं के रिटर्न पहले से निश्चित होते हैं। वे बाज़ार की स्थितियों के विरुद्ध सुरक्षित होती हैं और यह बात इनके पक्ष में कार्य करती है।

    वहीं दूसरी ओर, म्यूचुअल फंड अपेक्षाकृत अधिक तरलता देते हैं। पर साथ में एक पूर्व-शर्त भी है। न्यूनतम धारण अवधि गुजरनी चाहिए और इन पर लॉक-इन अवधि भी लागू हो सकती है। म्यूचुअल फंड एक्ज़िट लोड (निकास दंड) केवल तब लगाते हैं यदि निवेश एक वर्ष से पहले निकाला जाए। पर यदि बाज़ार की स्थितियां अच्छी हैं तो म्यूचुअल फंडों को बढ़त मिल जाती है। वे निवेशक के लिए अधिक रिटर्न अर्जित करते हैं। म्यूचुअल फंडों का प्रबंधन भी पेशेवरों द्वारा किया जाता है। इसका अर्थ है कि आपकी गाढ़ी कमाई सुरक्षित हाथों में है।

    तरल म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प क्यों हो सकते हैं

    तरल फंड, म्यूचुअल फंडों की एक श्रेणी है जो मुख्यतः मनी मार्केट इंस्ट्रुमेंट में निवेश करती है। इनमें सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट, ट्रेज़री बिल, वाणिज्यिक कागज़ात एवं टर्म डिपॉजिट शामिल हैं।

    ये फंड ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं जिनकी अवशेषी परिपक्वता ९१ दिनों तक की होती है। निवेश की गईं आस्तियां लंबे समय तक बंधी नहीं रहती हैं। इनमें लॉक-इन अवधि भी नहीं होती है। अतः जब भी निवेशक को नकदी की ज़रूरत महसूस हो, वह नकदी निकाल सकता है। भुनाने की प्रक्रिया २४ घंटे में पूरी कर दी जाती है। संकटकाल में यह बहुत बड़ा लाभ है।

    कंपनी सावधि जमाएं

    कभी-कभी कंपनी सावधि जमाएं (कंपनी फिक्स्ड डिपोजिट), बैंक की सावधि जमाओं से बेहतर रिटर्न देती हैं। पर निवेश को ऐसी सावधि जमाओं में निवेश करने से पहले कंपनी के बारे में थोड़ी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। निवेशक को कंपनी की रेटिंग पर नज़र रखनी चाहिए। रेटिंग ऋण पात्रता दर्शाती है। आदर्श रूप से निवेशकों को एएए (AAA) रेटिंग वाली कंपनियां चुननी चाहिए। अन्य मुद्दों, जैसे कंपनी का चुकौती इतिहास आदि पर भी विचार करना चाहिए।

    निर्णायक कारक

    सावधि जमाओं और म्यूचुअल फंडों में से एक चुनते समय कर यानि टैक्स को मुख्य निर्णायक कारक होना चाहिए। सावधि जमाओं के मामले में, लगाया गया कर आपके वर्तमान कर स्लैब पर निर्भर करता है, चाहे जमा राशि की अवधि कुछ भी हो। म्यूचुअल फंडों की कर स्थिति मुख्यतः उनकी श्रेणी पर निर्भर करती है। एक वर्ष से अधिक समय तक धारित ईक्विटी फंडों पर कर नहीं लगता है। अल्पकालिक ईक्विटी फंडों पर १५% कर लगता है। दीर्घकालिक डेट फंड अर्जन पर सूचीकरण (इंडेक्सेशन) के साथ २०% और सूचीकरण के बिना १०% कर लगता है। वहीं अल्पकालिक पूंजी अभिलाभ (केपिटल गेन) पर निवेशक के कर स्लैब के अनुसार कर लगता है। अतः कर के मामले में म्यूचुअल फंड सावधि जमाओं से अधिक हितैषी हैं। दीर्घकालिक ईक्विटी फंड पर अभिलाभ (गेन) सर्वाधिक होता है जिस पर कोई भी कर नहीं लगता है।

    ध्यानपूर्वक चुनें

    सावधि जमाओं और म्यूचुअल फंडों में से एक को चुनते समय अपनी जोखिम लेने की क्षमता, निवेश की समय सीमा और अपनी रिटर्न की अपेक्षा को ध्यान में रखें। सामान्यतः सावधि जमाओं में न्यूनतम जोखिम होता है और निवेशकों के लिए वे एक सुरक्षित दांव होती हैं। ईक्विटी म्यूचुअल फंडों के साथ बाज़ार का बड़ा जोखिम होता है। वहीं डेट म्यूचुअल फंडों में ईक्विटी से कम बाज़ार जोखिम होता है। तो, क्यों न अपने पोर्टफोलियो में दोनों को रखा जाए। आखिरकार दोनों को अच्छा निवेश साधन जो माना जाता है।

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