Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 22
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»झारखंड»स्वास्थ्य परियोजनाओं में झारखंड की लेटलतीफी, स्वास्थ्य सचिव की परियोजना भी लटकी
    झारखंड

    स्वास्थ्य परियोजनाओं में झारखंड की लेटलतीफी, स्वास्थ्य सचिव की परियोजना भी लटकी

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीOctober 30, 2017No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    स्वास्थ्य सेवा के मामलों में झारखंड अचानक पिछड़ता जा रहा है। इस राज्य को सरकार ने वर्ष 2022 तक मेडिकल हब बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग कई परियोजना पर एक साथ कम कर रही है। लेकिन फाइलों की गति और वास्तविकता के धरातल में उपलब्धियों का आंकड़ा कुछ और ही कहानी कह रहा है।

    हाल के दिनों में झारखंड में स्वास्थ्य सेवा से संबंधित कई किस्म की विसंगतियां सामने आयीं है। कई शवों को कंधे पर ढोने की मजबूरी भी यहां की स्वास्थ्य सेवा के बिगड़े स्वास्थ्य का ही हाल बयां करती है। इसी तरह भूख से होने वाली मौतें भी राज्य की सेहत के बिगड़े होने का ही संकेत देती हैं। ऐसी स्थिति में अगर मेडिको सिटी परियोजना पर काम प्रारंभ नहीं हो पाता है जो यह माना जा सकता है कि मेडिकल हब बनाने का राज्य सरकार का दावा समय पर कतई पूरा नहीं होने वाला है।

    करीब सवा नौ सौ करोड़ की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए अब तक निजी कंपनियों ने कोई उत्साह नहीं दिखाया है। आज के गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में इस किस्म की अरुचि के बारे में सरकार को गंभीर रुप से आत्मविश्लेषण करना चाहिए कि आखिर वे कौन से कारण हैं कि यहां आकर स्थिति का जायजा लेने के बाद बाहर की कंपनियां झारखंड में पूंजी निवेश से पीछे हट जाती है।

    राज्य के महत्वाकांक्षी मोमेंटम झारखंड का वास्तविक हाल भी अब हम देख रहे हैं। इस पूंजी निवेश उत्सव में समझौता पर हस्ताक्षर करने वाली कई कंपनियों ने अपने हाथ पीछे खींच लिये और उनलोगों ने अन्य राज्यों में अपना काम प्रारंभ कर दिया। राज्य के स्वास्थ्य सचिव सुधीर त्रिपाठी इटकी स्थित टीवी सैनेटोरियम में मेडिको सिटी बनाना चाहते हैं।
    यह उनकी महत्वाकांक्षी परियोजना है।

    इस परियोजना पर स्वास्थ्य विभाग अब भी काम कर रहा है लेकिन अब तक विभाग के इस परियोजना में
    किसी भी निजी कम्पनी ने रुचि नहीं दिखाई है। जो टेंडर निकाला गया था उसमें चार कम्पनियों ने भाग लिया
    था, लेकिन परियोजना में हिस्सेदारी को लेकर किसी भी कम्पनी के साथ स्वास्थ्य विभाग का अब तक कोई भी
    समझौता हो पाया है। दरअसल टेंडर होने के बाद भी काम के आगे नहीं बढ़ने की वजह को तलाशना जरूरी है।

    राज्य की आम जनता इस कारण को अच्छी तरह समझ रही है। हर काम में लेटलतीफी और फाइलों में निजी
    लाभ के लिए अड़ंगा लगाने की प्रवृत्ति ही इसमें सबसे प्रमुख कारण है। इसका दूसरा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र
    मोदी की महत्वाकांक्षी जनौषधि परियोजना है। राज्य के हर प्रखंड में जेनेरिक दवाई की दुकान खोलने की इस
    परियोजना पर भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही पग पग पर रोड़े अटका रहे हैं।

    असली मकसद बालू से भी तेल निकालने की प्रवृत्ति भर है। हर अफसर को यह भ्रम है कि उसके हस्ताक्षर
    से होने वाले हर काम में कुछ न कुछ उसका भी हिस्सा बनना ही चाहिए। निजी हित जब सरकार पर इस कदर
    हावी होने लगे तो सरकारी परियोजनाओं का ऐसा ही हाल होना तो तय है। अनेक जिलों में जनौषधि परियोजना
    का काम सिर्फ इसलिए लटका है क्योंकि वहां के चिकित्सा पदाधिकारियों ने इस सस्ती दवा की दुकान से कोई
    निजी लाभ होता हुआ नहीं दिखता।

    बड़ी कंपनियों की दवा से जो कमिशन उन्हें प्राप्त हो सकता है, उसका लाभ भी प्रधानमंत्री की अपनी परियोजना
    पर अड़ंगा लगाये हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी भी अच्छी तरह इस बात को समझते हैं कि जनौषधि
    परियोजना प्रधानमंत्री की अन्यतम बेहतर परियोजनाओं में से एक है। बावजूद इसके कोई इसकी गाड़ी को आगे
    बढ़ाने में सक्षम नहीं हो रहा है।

    नतीजा है कि गांव देहात के मरीजों और उनके परिजनों को अब भी सस्ती दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
    राज्य को इस सच को भी स्वीकारना होगा कि व्यवस्था के अंदर व्याप्त खामियों को दूर किये बिना हम बेहतर
    स्वास्थ्य सेवा का लक्ष्य कतई हासिल नहीं कर सकते। और इस लक्ष्य को हासिल किये बिना हम राष्ट्रीय
    स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने में अपने राज्य को आगे भी नहीं ले जा सकते।

    हमें पड़ोसी राज्य उड़ीसा की स्थिति और कार्यसंस्कृति पर ध्यान देना चाहिए। पिछले दस वर्षों में उड़ीसा ने
    स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में जो उल्लेखनीय सुधार किया है, उससे उसकी ख्याति अब तो दक्षिण भारतीय राज्यों
    तक में फैल गयी है। इन दक्षिण भारतीय राज्यों की निजी और सरकारी स्वास्थ्य सेवा पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय
    ख्यातिप्राप्त हैं।
    इसलिए झारखंड को अपने अंदर की खामियों को दूर करने के लिए कुर्सी पर बैठे लोगों के निजी हित को त्यागने
    की दिशा में कार्रवाई करनी चाहिए। इस सोच को बदले बिना फाइलों को गति तेज नहीं होगी।
    फाइलों की गति और कार्य संस्कृति में सुधार नहीं होने पर निजी निवेशक अपना पैसा लगाने झारखंड कभी नहीं
    आयेंगे और हर बार मोमेंटम झारखंड की तरह के आयोजन विफल साबित होते रहेंगे।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleरांची विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस विभाग में लें सीधे नामांकन
    Next Article भारतीय महिला हॉकी टीम ने चीन को 4-1 से हराया
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    कांग्रेस पार्टी जमीन पर रहकर काम करती है: मंत्री

    June 22, 2025

    भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की संगठनात्मक चर्चा

    June 22, 2025

    उपायुक्त और एसएसपी ने रथ मेला की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था का लिया जायजा

    June 22, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • झामुमो के दावे से रोचक हुआ बिहार का चुनावी परिदृश्य
    • बिहार में किंग बनाम किंगमेकर में कौन मारेगा बाजी
    • बिहार ने जो विकास किया है वह किसी से छुपा नहीं है : सम्राट चौधरी
    • नेपाल से लाई जा रही शराब की बड़ी खेप बरामद, वाहन जब्त
    • पेंशन भुगतान में अनियमितता को लेकर धरना
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version