नई दिल्ली: भारतीय न्यायिक प्रणाली के हालात कुछ अजीब ही हैं। यहाँ आपको छोटे से छोटे केस में भी सालों को कोर्ट के चक्कर लगाने होते हैं। ऐसा ही कुछ मामला दिल्ली से सामने आया है। जहाँ एक युवक पर 17 साल से चोरी का केस चल रहा था, अंत में कोर्ट उसे महज 500 रुपये का जुरमाना लगाकर छोड़ दिया।

पूरा मामला दिल्ली के ही कक्कड़डूमा कोर्ट का है। जहाँ एक यूपी निवासी अमित गुप्ता को साल 2000 में चोरी के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बताया जा रहा है कि आरोपी साल 2000 में सीमापुरी में आइसक्रीम की रेहड़ी लगाता था। उसी दौरान दिलशाद गार्डन निवासी वेदप्रकाश ने रेहड़ी से आइक्रीम खरीदी, वेद प्रकाश के पास 61 हजार रुपये से भरा बैग भी था। प्रकाश के अनुसार रेहड़ी वाले अमित ने रुपयों से भरा बैग चोरी कर भाग गया था। वहीँ अमित के अनुसार वेदप्रकाश रेहड़ी पर बैग भूल गये थे, और वह उनका घर नहीं जानता था इसलिए वह बैग लेकर घर जा रहा था, लेकिन इत्तेफाक से उसी दिन आईपी एस्टेट पुलिस ने अमित को रुपयों के बैग के साथ पकड़ लिया। इधर वेदप्रकश ने भी रुपये चोरी होने की शिकायत दर्ज करवा दी थी।

आरोपी अमित गुप्ता ने यह मानने से इंकार कर दिया था कि उसने चोरी की मंशा से बैग लिया हो। वहीँ साल 2000 से यह मामला कोर्ट में चलता आ रहा था। जिससे अमित हजारों रुपये कोर्ट की कार्रवाई में खर्च कर चुका था। हालाँकि पीड़ित पक्ष वेदप्रकश को पैसे वापस मिल गये थे। लेकिन अमित पर चोरी का मामला लगातार चल रहा था। 17 सालों से केस लड़ रहा अमित थक हार चुका था, आखिर अंत में उसने प्लीड गिल्टी स्वीकार कर ली।

जिसे बाद कोर्ट ने उसकी हालत को देखते हुए महज 500 रुपये का जुरमाना लगाकर केस समाप्त कर दिया। पूरे मामले पर बचाव पक्ष के वकील वर्षा अहलूवालिया ने कहा कि कोर्ट ऐसे सालों से पड़े केसों को जल्द से जल्द निपटाना चाहता है। जिससे कोर्ट पर भार भी कम हो साथ ही लोगों को भी पुराने मामूली केसों छुटकारा मिल सके।

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