नई दिल्ली। 2011 में निलंबित हुई आईपीएल फ्रेंचाइजी कोच्चि टस्कर्स को अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) को बड़ा मुआवजा चुकाना पड़ेगा। कोच्चि टस्कर्स ने बीसीसीआई के खिलाफ आर्बिट्रेशन का केस जीत लिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मगलवार को कोच्चि टस्कर्स के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके बाद कोच्चि ने बीसीसीआई से 850 करोड़ रुपए के हरजाने की मांग की है।
2011 में बीसीसीआई ने कोच्चि को किया था निलंबित
आईपीएल के चौथे सीजन यानी 2011 में कोच्चि ने बीसीसीआई को 156 करोड़ रुपए के सालाना भुगतान की बैंक गारंटी नहीं दे सका था । इस वजह से बीसीसीआई ने इस फ्रेंचाइजी को निलंबित कर दिया था। कोच्चि ने इस मामले में 2011 में ही बंबई हाई कोर्ट में आर्बिट्रेशन दायर किया था।
गौरतलब है साल 2015 में कोच्चि टस्कर्स के मालिकों ने बीसीसीआई के खिलाफ कानूनी लड़ाई जीती थी। कोच्चि टस्कर्स ने करार के नियमों का उल्लंघन करने के लिए बीसीसीआई से बैंक गारंटी के पैसों की मांग की थी। आरसी लाहोटी की अध्यक्षता वाले पैनल ने बीसीसीआई को मुआवजे के तौर पर 550 करोड़ रुपए चुकाने के निर्देश दिये थे और ऐसा नहीं करने पर सालाना 18 प्रतिशत दंड लगाया जाना था।
1550 करोड़ रुपये में मिली थी कोच्चि की फ्रेंचाइजी
बताते चले कि कोच्चि टस्कर्स ने साल 2011 में आईपीएल के चौथे सीजन में 10 टीम बनकर शामिल हुई थी। यह टीम एक साल तक ही आईपीएल के हिस्सा रही। इस फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए उसके मालिकों को अहमदाबाद, ग्वालियर, नागपुर, व राजकोट की कंपनियों से कड़ी मिली थी। रॉन्देवू स्पोर्ट्स वर्ल्ड ने 1550 करोड़ रुपये में BCCI फ्रेंचाइजी हासिल की थी।