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    Home»Top Story»झारखंड के मंत्रियों के लिए ‘रेड अलर्ट’ है हरियाणा-महाराष्ट
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    झारखंड के मंत्रियों के लिए ‘रेड अलर्ट’ है हरियाणा-महाराष्ट

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskOctober 26, 2019No Comments6 Mins Read
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    जनता-जनार्दन के दिल में क्या है, यह समझना उतनी ही टेढ़ी खीर है, जितना किसी के बाल देखकर उसकी सही संख्या बताना। झारखंड में चुनाव नजदीक है और इससे पहले महाराष्टÑ और हरियाणा के चुनाव परिणाम आ चुके हैं। चुनाव के परिणामों ने झारखंड की राजनीति और राजनेताओं को कई मूक संदेश दिये हैं। खास कर ठसक वाले मंत्रियों-नेताओं के लिए यह संदेश ‘रेड अलर्ट’ है। इन संदेशोें के निहितार्थ और झारखंड के राजनीतिक दलों को उनसे जो सबक लेना चाहिए, उसे रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    हरियाणा और महाराष्टÑ में हुए विधानसभा चुनाव के परिणामों ने झारखंड के मंत्रियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। उनकी धड़कन इसलिए तेज हो गयी है, क्योंकि झारखंड में भी जल्द ही चुनाव होने हैं और इसके संभावित परिणाम को सोचकर राज्य के मंत्रीगण टेंशन में हैं। इन दोनों राज्यों में आये चुनाव परिणामों ने यह बता दिया है कि जनता ठसक वाले मंत्रियों को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है और झारखंड के एक-दो मंत्री को छोड़ दिया जाये, तो लगभग सारे मंत्री ठसक और सत्ता के नशे में चूर हैं। मंत्री बनते ही ये भूल गये हैं कि इन्हें मिला ओहदा स्थायी नहीं टेंपररी है और ये अपनी शेखी बघारने नहीं, जनता की सेवा के लिए मंत्री बनाये गये हैं। झारखंड में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह अपवाद हैं। अपवाद इसलिए, क्योंकि वे सायरन और हूटर के इस्तेमाल से बचते हैं, पर वह भी शेखी बघारते हैं। दूसरी ओर झारखंड के अन्य तमाम मंत्री सायरन और हूटर की संस्कृति का मोह छोड़ नहीं पाये हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में सायरन बजाने से मना किया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी दिल्ली में सायरन और हूटर का इस्तेमाल से मना कर चुके हैं। हरियाणा और महाराष्टÑ में हुए चुनाव में मुख्यमंत्री तो जनता से आशीर्वाद पाने में सफल रहे पर मंत्रियों को जनता ने ठेंगा दिखा दिया है। कहीं न कहीं मंत्रियों का व्यवहार इसका कारण रहा।

    महाराष्टÑ में आठ और हरियाणा में सात मंत्री हारे
    महाराष्टÑ और हरियाणा के चुनाव नतीजों को देखें तो भाजपा के लिए यह सुखद रहा कि पार्टी सबसे अधिक सीटें जीतने में सफल रही। पर इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा के अधिकांश मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। इसकी एक वजह जहां एंटी इन्कबेंसी थी, वहीं मंत्रियों में सत्ता के नशे के कारण आया अति आत्मविश्वास भी इसकी वजह था। महाराष्टÑ की देवेंद्र फडणवीस सरकार में जहां आठ मंत्री चुनाव हारे, वहीं हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में सात मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा। महाराष्टÑ में कृषि मंत्री अनिल बोंडे तो चुनाव हारे ही, ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे से 30 हजार से अधिक मतों के अंतर से हारी हैं। इस चुनाव परिणाम से यह भी संदेश मिला कि अब जनता दल-बदलू नेताओं को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि महाराष्टÑ में दल बदलकर भाजपा मेें आये 19 में से 11 उम्मीदवार चुनाव हार गये। वहीं हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला भी चुनाव हार गये। जेजेपी के देवेंद्र बबली ने उन्हें 52 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। इसी तरह हरियाणा में 11 मंत्री थे, जिनमें से दो को टिकट नहीं मिला था। इनमें से दो मंत्रियों ने चुनाव में जीत हासिल की है। अंबाला कैंट से अनिल विज और बावल से बनवारी लाल ने चुनाव जीता है। चुनाव के नतीजे आने के बाद हरियाणा और महाराष्टÑ में भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरी है, पर हरियाणा में उसे बहुमत नहीं मिल पाया है। हालांकि महाराष्टÑ में भाजपा अपने सहयोगी शिवसेना के साथ मिलकर आसानी से सरकार बना सकती है।

    राजनीति में कोई खारिज नहीं होता और न ही कोई अजेय
    झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि महाराष्टÑ हो या हरियाणा या फिर बिहार में आये उपचुनाव के परिणाम हों, किसी दल के लिए खुद को अजेय समझ लेना भारी भूल होगी। जनता के मूड का कोई ठिकाना नहीं है और उसके सामने जो नेता या दल उम्मीद जगा देंगे उनके साथ जाने में वह संकोच नहीं करती। हरियाणा में दस महीने पुरानी जेजेपी दस सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही। इससे यह साफ हो गया कि जनता अब दलों के पुराने या नये होने के आधार पर उनका चयन नहीं कर रही बल्कि उनके साथ जो उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं उसके दमखम पर भी विचार करके उसके साथ जा या नकार रही है।
    बिहार में हुए उपचुनाव के परिणाम ने भी यह साबित कर दिया है कि किसी दल को पूरी तरह डेड मान लेना भी भूल होगी। इस उपचुनाव के नतीजों से राजद को बिहार में संजीवनी मिली है और इसका फायदा इससे वह उत्साहित है। बिहार में पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे एनडीए के लिए अच्छे नहीं हैं। इन पांच सीटों में से केवल एक सीट पर ही एनडीए के प्रत्याशी की जीत हुई है, जबकि पहले चार सीटों पर पार्टी का कब्जा था। झारखंड में चुनाव से पूरी तरह यह समझ लेना कि यहां विपक्ष मटियामेट हो गया है, यह आकलन भी पूरी तरह सही नहीं है। विपक्ष को बिल्कुल कमजोर मान लेना कतई समझदारी नहीं है। हरियाणा और महाराष्टÑ के चुनाव नतीजे झारखंड की सत्तारूढ़ भाजपा के लिए भी नतीजे ये संदेश लेकर आये हैं कि वह अति आत्मविश्वास से बचे। झारखंड में अभी भले ही महागठबंधन आकार नहीं ले पाया है, पर विपक्ष के रूप में झामुमो, कांग्रेस, झाविमो, वाम मोर्चा और आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी एकबारगी खारिज नहीं किया जा सकता है। चुनाव परिणाम का एक यह भी संदेश आया है कि राजनीति में कुछ भी टेकेन फॉर ग्रांटेड नहीं है। जिताऊ उम्मीदवार का कोई फिक्स फार्मूला नहीं है। उसी तरह किसी को बिल्कुल बोझ मान लेना भी समुचित नहीं है। हरियाणा में बहुत नेताओं के टिकट भाजपा ने उनके परफार्मेंस के आधार पर काट दिये, लेकिन जनता ने उन्हें निर्दलीय के रूप में स्वीकार कर लिया। जनता का एक संदेश यह भी है कि चुनाव से पहले और चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भी विनम्र बने रहना चाहिए और किसी को भी कमजोर समझने की भूल तो किसी हालत में नहीं करनी चाहिए। देश ने लंबे समय तक कांग्रेस का एकक्षत्र शासन देखा है और अब भाजपा का देख रही है। पर जनता के मूड की कोई गारंटी नहीं है कि कब उसमें बदलाव की भावना प्रबल हो जाये और वह बेनूर को कोहिनूर और कोयले को हीरा बना दे। कहने का लब्बोलुआब यह कि भाजपा किसी भी हाल में जीत के प्रति सौ प्रतिशत आश्वस्त न रहे और पूरी राजनीतिक समझदारी दिखाते हुए अपने काम से जनता का दिल जीतने की कोशिश करे। पार्टी ने बीते पांच वर्षों में उल्लेखनीय काम किया है। निस्संदेह झारखंड ने रघुवर सरकार के पांच साल के कार्यकाल में विकास की जितनी राहें तय की हैं, उतना कभी नहीं हुआ है, सड़क से लेकर, स्वास्थ्य, बिजली से लेकर, उज्जवला योजना इन तमाम क्षेत्रों में बेहिसाब काम हुए हैं। गरीबों को छत नसीब हुई है। लेकिन इनमें से कई काम हरियाणा और मध्यप्रदेश में भी हुए थे, फिर भी वहां के अधिकांश मंत्री चुनाव हार गये। इसका साफ संदेश यही है कि सत्ता में आते ही मंत्री कहीं न कहीं जनता से कट गये।

    Haryana-Maharashtra is a 'red alert' for Jharkhand ministers
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