चुनाव के नतीजे सिर्फ राजनीतिक दलों की हैसियत ही तय नहीं करते, बल्कि वे राज्य विशेष की राजनीति में उनका स्थान भी निर्धारित करते हैं। बीते विधानसभा चुनाव में अपने दम पर 37 सीटें जीतनेवाली भाजपा इसी चुनाव के नतीजों के कारण झारखंड में नंबर वन दल बनने में सफल रही और अपना यह दबदबा वह आसन्न चुनावों में भी बरकरार रखने में सफल होती दिख रही है। यही कारण है कि भाजपा चुनाव से पहले अपनी प्रबल प्रतिद्वंद्वी और झारखंड में विधायकों की संख्या के लिहाज से नंबर टू पार्टी को घेरने का हर संभव प्रयास कर रही है। भाजपा के हमलावर होने पर झामुमो भी उसका जवाब मुखरता से दे रही है और अपनी ताकत दिखाने का कोई मौका छोड़ नहीं रही। झारखंड में दो प्रमुख दलों के नेताओं के जुबानी वार और उनकी चुनावी रणनीति को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
चक्रव्यूह रणक्षेत्र से पहले दिमाग में रचे जाते हैं। रणक्षेत्र में व्यूह रचना से पहले उनका ब्लू प्रिंट दिमाग में रचा जाता है। झारखंड में 65 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा चक्रव्यूह रचा है जिसमें फंसकर झामुमो कसमसा रही है पर झामुमो के लिए अच्छी बात यह है कि इसने इस चक्रव्यूह की काट ढूंढने का इंतजाम कर लिया और जवाबी कार्रवाई भी कर रही है। वर्ष 2014 में अपने दम पर 37 विधायक जीतनेवाली भाजपा झारखंड की राजनीति में इस समय निर्विवाद शीर्ष दल की भूमिका में है। उसके मुकाबले बीते विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर झामुमो ने जीत हासिल की थी और नंबर दो पर रही थी। झारखंड में राजनीतिक परिस्थितियां कुछ इस तरह से निर्मित हुई हैं कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड की राजनीति मोटे तौर पर इन्हीं दो दलों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। बात चाहे जबानी वार की हो या आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लगाने की दोनों दलों में कोई एक-दूसरे से पीछे नहीं है। जबसे कांग्रेस ने झामुमो को महागठबंधन का नेतृत्वकर्ता मान लिया है तबसे भाजपा भी झामुमो को अपना प्रबल प्रतिद्वंद्वी मानकर उसपर लगातार हमले कर रही है और झामुमो भी यथोचित जवाब दे रहा है।
रघुवर ने कहा, मैं हेमंत से बड़ा झारखंडी
झारखंड में भाजपा के हमले का जवाब देने में जुटी झामुमो ने रघुवर को बाहरी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा और इसका मुखरता से जवाब देते हुए रघुवर दास ने खुद कोे हेमंत से बड़ा झारखंडी बताया। शनिवार को रघुवर दास ने कहा कि मैं हेमंत से बड़ा झारखंडी हूं। मेरा जन्म टाटा के टीएमएच अस्पताल में हुआ है और कोई भी अस्पताल में जाकर मेरी जन्मकुंडली निकाल कर देख सकता है। दुमका के राजभवन में पत्रकारों से बात करते हुए रघुवर दास ने कहा कि हेमंत खुद को झारखंडी कहते हैं पर झारखंड का सबसे ज्यादा अहित उन्होंने ही किया है। वहीं, इसी दिन झामुमो ने हरमू मैदान मेें बदलाव महारैली कर भाजपा को करारा जवाब देने की कोशिश की। बदलाव महारैली में झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा सरकार में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। मंत्री हो या अधिकारी सब घोटाले में लगे हुए हैं। इस दौरान भाजपा सरकार पर वार करते हुए जनता से हेमंत सोरेन ने वायदे भी किये। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार झारखंड में बनने पर शहर से लेकर गांव तक लोगों को 20 घंटे बिजली मिलेगी और गांवों में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। असल में यह मुफ्त बिजली का यह नारा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का है और झामुमो इसे झारखंड की राजनीति में मुफीद पाकर इसका असर देखने की कोशिश करने में जुटी हुई है। झामुमो की महाबदलाव रैली से पहले भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सोमवार को झामुमो पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा था कि पार्टी की इतनी भी राजनीतिक हैसियत नहीं कि वह प्रभात तारा मैदान के दसवें हिस्से को भर सके। झारखंड में चुनाव से पहले भाजपा की जो चुनावी रणनीति है उसमें भाजपा के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक झामुमो में हमला बोलने की कोई कसर नहीं रख रहे। जवाब में झामुमो पार्टी भी उपाय ढूंढने में लगी है और बचाव कार्य कर भी रही है। भाजपा ने जब झामुमो पर हमला बोलने के लिए स्टार प्रवक्ता के तौर पर प्रतुल शाहदेव को आगे किया तो उनके समानांतर झामुमो ने मैनेजमेंट में डॉक्टरेट की डिग्री ले चुके और लंदन रिटर्न डॉ तनुज खत्री पर भरोसा जताया। भाजपा यह अच्छी तरह से जानती है कि झामुमो तब तक डैमेज नहीं होगी जबतक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को डैमेज न कर दिया जाये। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए हेमंत को उनके चुनाव क्षेत्र बरहेट में घेरने से मुख्यमंत्री रघुवर दास नहीं चूके और बरहेट के भोगनाडीह में शनिवार को आयोजित जन चौपाल सह विकास मेले में सीएम ने कहा कि हेमंत सोरेन क्षेत्र में सिर्फ पिकनिक मनाने के लिए एक-दो दिन आते हैं। इस दौरान वह मीडिया में अनाप-शनाप बयान देकर लौट जाते हैं। जनता को छोटी-मोटी समस्याओं के लिए अगर मुलाकात करनी हो तो उनसे मुलाकात बरहेट में नहीं रांची में करनी होगी। वे बरहेट को सिर्फ वोट बैंक की हैसियत से देखते हैं। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में उनका किला ध्वस्त होनेवाला है। यहां से उनकी विदाई कर स्थानीय विधायक को मौका दें और उसे विधानसभा में भेजें।
झामुमो पर इसलिए हमलावर है भाजपा
झारखंड में विधानसभा चुनाव में अब बहुत कम वक्त बचा रह गया है। बीते विधानसभा चुनाव में 37 सीटें जीतनेवाली भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व हो या राज्य नेतृत्व सब अच्छी तरह से जानते हैं कि आसन्न चुनावों में उसका मुकाबला झारखंड मेें किसी दल से है तो वह झामुमो ही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद पार्टी 19 सीटें जीतने में सफल रही थी। चुनाव में हेमंत दुमका से तो हारे पर बरहेट से जीतने में सफल रहे थे। आसन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा 65 प्लस का लक्ष्य लेकर चल रही है और यह जगजाहिर है कि झारखंड में उसकी राह में कोई रोड़ा है तो वह झामुमो ही है। इसलिए पार्टी झामुमो पर हमला करने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं दे रही। झामुमो को भी बचाव में अटैकिंग होना पड़ रहा है और हेमंत सोरेन हों या पार्टी के अन्य नेता या कार्यकर्ता सब भाजपा के हमले का जवाब देने में जुटे हुए हैं। झारखंड में भाजपा से भिड़ने का ब्लूप्रिंट तैयार करने में जुटी झामुमो ने भाजपा को जवाब देने के लिए कई स्तरों पर बदलाव किया है। पहले तो पार्टी ने सांगठनिक स्तर पर जिला प्रवक्ता का पद सृजित किया है। इसमें डॉ तनुज खत्री जैसे युवा नेताओं को जगह मिली है। दूसरा काम पार्टी ने अपने घिस चुके जल, जंगल और जमीन के नारे के साथ अन्य नारों की तलाश कर किया है। यही वजह है कि हेमंत सोरेन अब अपनी सभाओं में झारखंड में खाली पड़े साढ़े छह लाख सरकारी पदों में से पांच लाख पद सरकार बनने के तुरंत बाद भरने की बात कह रहे हैं। पार्टी महिलाओं को आरक्षण देने की बात भी कह रही है और सबसे बड़ी बात तो राज्य के ओबीसी समुदाय को उसका हक यानि आरक्षण देने की बात हेमंत कर रहे हैं। ऐसी कवायदों के जरिये हेमंत पार्टी का राजनीतिक कैनवास बड़ा करने में जुटे हुए हैं। ऐसा कैनवास जिसमें हर जाति, धर्म और वर्ग के लोगों के लिए स्पेस हो। ऐसा करना हेमंत सोरेन के लिए मजबूरी भी है क्योंकि भाजपा का सबका, साथ सबका विकास और सबका विश्वास का सर्वस्पर्शी नारा हिट हो चुका है और भाजपा में शामिल होनेवाले नेताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसकी काट की दिशा में आगे बढ़ते हुए झामुमो ने शनिवार को झारखंड में भाजपा की सहयोगी आजसू के बागी विधायक विकास मुंडा को पार्टी में शामिल करा लिया। जाहिर है कि झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले तक भाजपा और झामुमो में चुनावी वार का क्रम जारी रहेगा। अन्य दल भी जनता को रिझाने में जुटे रहेंगे। इस कवायद में झारखंड की जनता का सिरमौर कौन बनेगा यह तो चुनाव के नतीजे बतायेंगे पर इतना तो तय है कि भाजपा हो या झामुमो या फिर कोई अन्य दल सब अपने-अपने तरीके से जनता को रिझाने और दूसरे दल को नकारा साबित करने की कोई कसर बाकी नहीं रख छोडेंÞगे।