रांची। जेपीएससी छठी की पीटी परीक्षा के संशोधित रिजल्ट पर दाखिल पंकज पांडेय की याचिका पर सोमवार को झारखंड हाइकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार की अधिसूचना को गलत ठहराया है। कहा है कि विज्ञापन जारी होने के बाद विज्ञापन की शर्तो में बदलाव नहीं किया जा सकता है, यह गैर कानूनी है।
हाइकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एचसी मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जेपीएससी को निर्देश दिया कि वह प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) के 11 अगस्त 2017 के प्रथम संशोधित रिजल्ट के आलोक में छह हजार 103 अभ्यर्थियों में से रिजल्ट प्रकाशित करे। खंडपीठ ने राज्य के संकल्प 1153 दिनांक 12 फरवरी 2018 के आलोक में जेपीएससी द्वारा छह अगस्त 2018 द्वारा जारी पीटी परीक्षा के 34 हजार 634 अभ्यर्थियों के संशोधित रिजल्ट को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही झारखंड हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया।हाइकोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 16 सितंबर 2019 को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
326 पदों के लिए जारी हुआ था विज्ञापन
छठी जेपीएससी परीक्षा के लिए विज्ञापन संख्या 23/2016 के द्वारा झारखंड प्रशासनिक सेवा के 143 पद, वित्त सेवा के 104 पद, शिक्षा सेवा के लिए 36 पद, सहकारिता सेवा के लिए नौ पद, समाजिक सुरक्षा के लिए तीन पद, सूचना सेवा के लिए सात पद, पुलिस सेवा के लिए छह पद तथा योजना सेवा के लिए 18 पद यानी कुल 326 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।
सरकार ने कहा था अधिकाधिक अभ्यर्थियों को ध्यान में रखकर जारी किया गया रिजल्ट : खंडपीठ में अपील पर सुनवाई के दौरान पूर्व में जेपीएससी की ओर अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने कोर्ट को बताया था कि हाइकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार की पॉलिसी को सही माना था। एकल पीठ के आदेश के बाद जेपीएससी ने पीटी परीक्षा में 34 हजार 634 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया था। इसके बाद 28 फरवरी 2019 को मुख्य परीक्षा भी ली जा चुकी है। वहीं राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि राज्य सरकार की अधिसूचना अधिकाधिक अभ्यर्थियों को ध्यान में रखकर जारी की गयी है।
पीटी के प्रथम संशोधन के तहत छह हजार 103 अभ्यर्थियों को किया गया था सफल
18 दिसंबर 2016 को आयोजित पीटी परीक्षा में एक लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे। 23 फरवरी 2017 को कुल पदों के 15 गुना रिजल्ट प्रकाशित हुआ था। इसके बाद राज्य सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि जो अभ्यर्थी बीसी वन और बीसी टू कोटि के हैं और वे सामान्य श्रेणी के अंतिम चयनित अभ्यर्थी के समकक्ष नंबर लाये हैं, उन्हें सफल घोषित किया जाये। सरकार के इस नोटिफिकेशन पर हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की एकल पीठ ने एक याचिका की सुनवाई कर 25 जुलाई 2017 को आदेश दिया कि राज्य सरकार की अधिसूचना के आलोक में जेपीएससी संशोधित रिजल्ट प्रकाशित करे। इसके बाद जेपीएससी ने कोर्ट के आदेश से 11 अगस्त 2017 को पीटी परीक्षा का संशोधित रिजल्ट जारी करते हुए छह हजार 103 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया।
अगस्त 2018 में संशोधित रिजल्ट जारी कर 34 हजार 634 अभ्यर्थियों को किया गया था सफल
इस रिजल्ट के प्रकाशित होने के बाद राज्य सरकार ने संकल्प 1153 दिनांक 12 फरवरी 2018 जारी किया। इसमें कहा गया था कि जितने भी अभ्यर्थी सारे कोटि के हैं जो न्यूनतम अहर्तांक लाये हैं, उन्हें चयनित किया जाये। सरकार की इस अधिसूचना को पंकज कुमार पांडेय ने हाइकोर्ट में चुनौती दी। हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की एकल पीठ ने 18 मई 2018 को आदेश पारित कर प्रार्थी की याचिका को खारिज करते हुए राज्य सरकार की अधिसूचना को सही ठहराया। साथ ही एकल पीठ ने जेपीएससी को पुन: पीटी का संशोधित रिजल्ट निकालने का आदेश दिया था। इसके बाद जेपीएससी ने छह अगस्त 2018 को 34 हजार 634 अभ्यर्थियों को सफल घाषित किया था। इसे प्रार्थी पंकज कुमार ने अपील दायर कर खंडपीठ में चुनौती दी थी। इसी में फैसला आया है।
34634 से नहीं, अब 6103 छात्रों में से निकलेगा रिजल्ट
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