लखनऊ। छह दिसंबर, 1992 को बाबरी विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआइ कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ कोई निश्चयात्मक सुबूत नहीं पेश कर सकी। विध्वंस के पीछे कोई साजिश नहीं रची गयी और लोगों का आक्रोश स्वत: स्फूर्त था। इस मामले के मुख्य आरोपितों में एक स्व. अशोक सिंहल को कोर्ट ने यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वह तो खुद कारसेवकों को विध्वंस से रोक रहे थे, क्योंकि वहां भगवान की मूर्तियां रखी हुई थीं।
महज तीन मिनट में ही जज ने सुनाया फैसला
28 साल तक चले इस मामले में फैसला सुनाने के लिए सीबीआइ के विशेष जज एसके यादव दोपहर 12 बज कर 10 मिनट में कोर्ट पहुंचे। उस समय कोर्ट में 26 आरोपित मौजूद थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, नृत्यगोपाल समेत छह आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट से जुड़े हुए थे। महज तीन मिनट में ही जज ने अपना फैसला सुनाते हुए आरोपितों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अखबारों में छपी खबरों को प्रामाणिक सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि उनके मूल नहीं पेश किये गये। फोटोज की निगेटिव नहीं प्रस्तुत किये गये और न ही वीडियो फुटेज साफ थे। कैसेट्स को भी सील नहीं किया गया था। अभियोजन ने जो दलील दी, उनमें मेरिट नहीं थी। विशेष जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए लालकृष्ण आडवाणी, डॉ मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह समेत सभी आरोपितों को बरी कर दिया। विशेष जज ने कहा कि बाबरी विध्वंस केस पूर्व नियोजित नहीं था। घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं। सिर्फ तस्वीरों से किसी को दोषी नहीं कहा जा सकता है। घटना के 28 साल बाद फैसला सुनाने वाले सीबीआइ कोर्ट के जज एसके यादव ने 2300 पन्ने लिखे हैं। यह उनका आखिरी फैसला है। बुधवार को वे रिटायर भी हो गये।
अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे
सीबीआइ कोर्ट के विशेष जज एसके यादव ने अपने फैसले में कहा कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा के पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने के लिए कहा गया था। ऋतंभरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया।
विध्वंस के लिए कोई षडयंत्र नहीं किया गया
कोर्ट ने कहा कि विध्वंस के लिए कोई षडयंत्र नहीं किया गया। घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। एलआइयू की रिपोर्ट थी कि छह दिसंबर 1992 को अनहोनी की आशंका है, किंतु इसकी जांच नही करायी गयी। अभियोजन पक्ष की तरफ से जो साक्ष्य पेश किये वे दोषपूर्ण थे। जिन लोगों ने ढांचा तोड़ा उनमें और आरोपियों के बीच किसी तरह का सीधा संबंध स्थापित नहीं हो सका। इस आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
2300 पेज का है फैसला
बाबरी विध्वंस केस का निर्णय 2300 पेज का है। सीबीआइ और अभियुक्तों के वकीलों ने ही करीब साढ़े आठ सौ पेज की लिखित बहस दाखिल की है। इसके अलावा कोर्ट के सामने 351 गवाह सीबीआइ ने परीक्षित किये और 600 से अधिक दस्तावेज पेश किये।
32 आरोपित
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर।
अदालत में ही लगे जय श्रीराम के नारे
सीबीआइ लखनऊ की विशेष अदालत के बाहर सुरक्षा का कड़ा पहरा था। सबसे पहले आरोपी संतोष दुबे विक्ट्री साइन दिखाते हुए कोर्ट के भीतर दाखिल हुए। पूर्व विधायक पवन पांडेय भी जय श्री राम के नारों के बीच अदालत परिसर में पहुंचे। उन्होंने फैसले से पहले कहा कि हम जमानती साथ लेकर आये हैं। जमानत मिल गयी तो ठीक, नहीं तो राम के नाम पर जेल चले जायेंगे। सभी आरोपियों के बरी होने का फैसला आते ही कोर्ट में जम कर जय श्रीराम के नारे लगाये गये।
श्रीराम हमें हमेशा आशीर्वाद देते रहें : लालकृष्ण आडवाणी
ढांचा विध्वंस मामले में अदालत के फैसले पर पूर्व उप प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ‘ढांचा विध्वंस मामले में विशेष अदालत के फैसले का मैं तहे दिल से स्वागत करता हूं। यह निर्णय राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति मेरे व्यक्तिगत और भाजपा के विश्वास और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। आडवाणी ने कहा कि मेरे लाखों देशवासियों के साथ, मैं अब अयोध्या में सुंदर श्रीराम मंदिर के पूरा होने की आशा करता हूं। श्री राम हमें हमेशा आशीर्वाद देते रहें। जय श्री राम।’
साबित हुआ घटना के लिए नहीं रची थी साजिश : जोशी
ढांचा विध्वंस मामले में मुख्य आरोपी बनाये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि यह अदालत का ऐतिहासिक फैसला है। इससे साबित होता है कि अयोध्या में छह दिसंबर की घटना के लिए कोई साजिश नहीं रची गयी थी। हमारा कार्यक्रम और रैलियां किसी साजिश का हिस्सा नहीं थीं। हम खुश हैं। सभी को अब राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साहित होना चाहिए।
योगी ने फैसले पर कांग्रेस को माफी मांगने को कहा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अदालत के फैसले को लेकर कहा, ‘सत्यमेव जयते! सीबीआइ की विशेष अदालत के निर्णय का स्वागत है। तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित हो पूज्य संतों, भाजपा नेताओं, विहिप पदाधिकारियों, समाजसेवियों को झूठे मुकदमों में फंसा कर बदनाम किया गया। इस षड्यंत्र के लिए इन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।’
विध्वंस पर विशेष अदालत का फैसला सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रतिकूल : कांग्रेस
नयी दिल्ली। कांग्रेस ने बाबरी विध्वंस केस में सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले को पिछले साल आये उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रतिकूल बताया है। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि संविधान, सामाजिक सौहार्द्र और भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद करता है कि इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय और केंद्र सरकार उच्च अदालत में अपील दायर करेगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ढांचा विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और संविधान की परिपाटी से परे है। उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के नौ नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक ढांचे को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था, लेकिन विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का विवादित ट्वीट जूडीशरी को बताया मोदीशरी
नयी दिल्ली। बाबरी विध्वंस केस में सभी 32 आरोपियों को कोर्ट से बाइज्जत बरी किये जाने पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि देश जूडीशरी (स्वतंत्र न्यायपालिका) से मोदीशरी (मोदी से प्रभावित न्यायपालिका) की तरफ बढ़ रहा है। कई बार विवादित टिप्णियां दे चुके पश्चिम बंगाल के बेहरामपुर लोकसभा से कांग्रेस सांसद ने इशारों-इशारों में कहा कि जज ने सरकार से पुरस्कृत होने के लिए न्याय को ताक पर रखकर फैसला दिया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से सच्चे लोगों के मन में डर की भावना घर कर जायेगी और गलत प्रवृत्तिवाले आनंद मनायेंगे। चौधरी ने ट्वीट किया, ‘जब न्याय नहीं किया जाता है, तो सत्य के साथ खड़े लोगों के मन में आतंक बैठ जाता है, जबकि गलत करने वाले खुशी से झूमते हैं। जब फैसला सरकार को खुश करने के लिए दिया जाता है तो फैसला देने वाला अपार संपत्ति और तोहफों से नवाजा जाता है। आशंका है कि ऐसा बार-बार हो। भारत जूडिशरी की जगह मोदीशरी की तरफ बढ़ रहा है।’
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