कोरोना काल में चीन की विस्‍तारवादी नीतियों के खिलाफ उसके पड़ोसी देशों ने भी मोर्चा खोल दिया है। भारत के बाद अब दूसरे देशों ने भी हिम्‍मत जुटाते हुए चीन को जवाब देना शुरू कर दिया है। भारत ने इसकी शुरुआत की तो मलेशिया और ताइवान ने भी आगे बढ़ते हुए चीन को सबक सीखाना शुरू कर दिया है।

मलेशिया ने पहली बार चीन को साउथ चाइना सी में सबक सिखाया है। वहीं ताइवान ने भी चीन की धमकियों का जवाब देने के लिए युद्ध की तैयारियां तेज कर दी हैं। इन सबके पीछे सबसे बड़ी वजह भारत का चीन की चुनौती को जबाव देना बताया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि जिस तरह से भारत ने खड़े होकर हर मोर्चे पर चीन को जवाब दिया है, उससे हिम्‍मत जुटाते हुए दूसरे देश भी चीन के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं।

मलेशिया ने सिखाया सबक

दक्षिणी चीन सागर में लगातार बवाल बढ़ता जा रहा है। मलेशिया ने चीन के 6 जहाजों को घेरकर 60 चीनी नागरिकों को हिरासत में लिया है। यह घटना शनिवार की है। जानकारों का कहना है कि चीन के ये जहाज जानबूझकर मलेशियाई जलसीमा में मछली पकड़ रहे थे, जिसके बाद हरकत में आई मलेशियाई नौसेना ने कार्रवाई करते हुए इन जहाजों पर सवार 60 चीनी नागरिकों को गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले कुछ ही दिन पहले इंडोनेशिया ने भी चीनी कोस्टगार्ड के एक शिप को अपनी समुद्री सीमा से बाहर खदेड़ा था।

ताइवान ने शुरू की युद्ध की तैयारी

चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ ताइवान और अमेरिका भी लगातार एक्शन में है। अमेरिका चीन के खिलाफ ताइवान को हथियारों से लैस कर रहा है। यूएस और ताइवान के बीच एक नई आर्म्स डील को मंजूरी मिल गई है। करीब 513 अरब रुपयों की इस डील से ताइवान को अमेरिका की तरफ से एडवांस मिसाइलें और सेंसर्स मिलेंगे। बताया जा रहा है कि यह अमेरिका और ताइवान के बीच हुई दूसरी सबसे बड़ी हथियारों की डील है। इससे पहले चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए 2019 में ताइवान ने अमेरिका से 587 अरब रुपयों की डील की थी।

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