रांची। फेडरेशन आॅफ झारखंड चेंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज केंद्र द्वारा झारखंड के खाते से राशि काटे जाने से नाराज है। इस मामले में चेंबर ने झारखंड सरकार के स्टैंड का समर्थन करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को पत्र लिखा है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा डीवीसी की बकाया राशि के रूप में झारखंड के खाते से की गयी 1417 करोड़ रुपये की कटौती को गलत करार दिया गया है। चेंबर ने लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य के खाते से उक्त राशि काटे जाने से राज्य के विकास कार्य प्रभावित होंगे। पहली किस्त के रूप में 1417.50 करोड़ रुपये काटे जाने से राज्य में विकास योजनाएं प्रभावित होने की आशंका है।
राज्य सरकार कोविड-19 के कारण पहले से ही आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही है। ऐसी स्थिति में डीवीसी की किस्त के एडजस्टमेंट का फैसला राज्य सरकार से बात कर लेना था। अब इससे राज्य में आर्थिक परेशानियां बढ़ेंगी और विकास योजनाओं के कार्य रुक जायेंगे।
लॉकडाउन के कारण राजस्व संग्रह में आयी कमी
चेंबर सचिव धीरज तनेजा ने कहा कि कोविड-19 के कारण झारखंड की आर्थिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ा है। लॉकडाउन के कारण संपूर्ण व्यापारिक और औद्योगिक गतिविधियां बंद होने से राज्य का राजस्व संग्रह भी कम हुआ है, जिस कारण सरकार ने दिसंबर तक बजट की सिर्फ 25 प्रतिशत राशि ही खर्च करने का आदेश दिया है। यह भी विचारणीय है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के आठ माह बीत गये और इस अंतराल में राज्य के पास वित्त की काफी कमी रही। इससे इस दौरान राज्य में किसी भी नये या पुराने प्रोजेक्ट को गति नहीं देने से बाजार में कैश फ्लो की समस्या बनी हुई है।
केंद्र को विचार करने की जरूरत
तनेजा ने कहा है कि राज्य की वर्तमान वित्तीय स्थिति से प्रदेश में आर्थिक प्रगति की दिशा में प्रस्तावित एवं संचालित विकास योजनाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिस पर केंद्र को विचार करने की जरूरत है। यह भी कहा गया कि यह चिंतनीय है कि राज्य सरकार के अनुसार डीवीसी का बकाया 3558 करोड़ रुपये है, जबकि डीवीसी के अनुसार यह राशि 5608.36 करोड़ है। पत्र में सुझाव दिया गया कि केंद्र एवं राज्य सरकार एक कमेटी का शीघ्र गठन करके अकाउंट से संबंधित मामले का स्थायी समाधान करे, क्योंकि डीवीसी और जेबीवीएनएल के आपसी विवाद में नुकसान राज्य की जनता और विशेषकर उद्योग जगत को ही हो रहा है। पत्र में चेंबर ने यह भी अनुरोध किया है कि डीवीसी की बकाया राशि के भुगतान हेतु केंद्र सरकार कोई वैकल्पिक उपाय करे। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की गयी कि जेबीवीएनएल जैसी लॉस मेकिंग कंपनियों को चिह्नित कर बिजली आपूर्ति और संचरण व्यवस्था अन्य राज्यों की तर्ज पर पेशेवरों को देने की दिशा में प्रयास आरंभ करे।
खाते से पैसे काटने से रुक जायेंगे राज्य के विकास कार्य
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