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    Home»Breaking News»केंद्र से पैसे मांगो तो, ‘भूत-बैताल’ छोड़ देते : हेमंत सोरेन
    Breaking News

    केंद्र से पैसे मांगो तो, ‘भूत-बैताल’ छोड़ देते : हेमंत सोरेन

    azad sipahiBy azad sipahiOctober 15, 2022No Comments4 Mins Read
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    -मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सामने खुल कर रखी बात
    -विकास की बतायी योजना, तो विपक्ष पर भी साधा निशाना
    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि विकास के लिए खनिज संपदा का आधार होना चाहिए, लेकिन हम जैसे ही इसे लेकर आगे बढ़ते हैं, भूत-बैताल (इडी, आयकर, सीबीआइ पर इशारा) का दौर शुरू हो जाता है। हम भी डरेंगे नहीं, किसी को नहीं छोड़ेंगे। तीन-चार माह पहले केंद्र से पांच-सात सौ करोड़ मिला था, लेकिन 1 लाख 36 हजार करोड़ बकाया है। केंद्रीय मंत्री आये थे। साथ मिल कर काम करने की बात कही, लेकिन जैसे ही दिल्ली गये, पैसे तो नहीं मिले, ‘भूत-बैताल’ जरूर छोड़ दिये। मुख्यमंत्री ने ये बातें तब कही जब ‘आजाद सिपाही’ ने राज्य के विकास और केंद्रीय सहायता से संबंधित सवाल पूछा।
    दरअसल मुख्यमंत्री शनिवार को अपने आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया था। उन्होंने चाईबासा के गोइलकेरा में आयोजित ‘आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम का दूसरा चरण शुरू होने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के पहले चरण में छह हजार शिविर लगाये गये थे। उसमें कमी-बेसी को ध्यान में रख कर दूसरा चरण शुरू किया गया है। इसके बाद उन्होंने एक-एक कर मीडिया के सवालों का जवाब देना शुरू किया। उन्होंने हर सवाल का खुल कर जवाब दिया। राज्य के विकास की योजना बतायी, तो विपक्ष पर निशाना भी साधा।

    दो-तीन महीने में ही टूरिज्म के विकास का बम फूटेगा:
    मुख्यमंत्री ने कहा कि एग्रीकच्लर, टूरिज्म, स्पोर्ट्स और हेल्थ पर काम तेजी से चल रहा है। परिणाम बहुत जल्द दिखेंगे। दो-तीन महीने में ही टूरिज्म के विकास का बम फोडेंÞगे। सभी संसाधनों को लेकर चुनौतियां जरूर हैं, लेकिन हम मजबूती से समाधान कर रहे हैं। खेल में झारखंड को गोल्ड मेडल मिल रहा है। खिलाड़ियों को सम्मान मिल रहा है। राज्य के विकास के लिए स्ट्रांग सेटअप तैयार किया जा रहा है, थोड़ा समय लगेगा। शहर के साथ गांव के विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए बहुत सारी योजनाएं तैयार की जा रही है। जब से जीएसटी का कंसेप्ट आया है, अब हर राज्यों को केंद्र के करवाजे पर हाथ जोड़ कर खड़ा रहना पड़ता है। जहां डबल इंजन की सरकार है, वहां तो ठीक है, लेकिन जहां नहीं है, वहां वॉल्ब टाइट कर दिया जाता है। ताजा उदाहरण बिहार राज्य है, जहां अब बहुत सारी योजनाओं के पैसे रोक दिये गये हैं।

    अगर सरसों में ही भूत है, तो भागेगा कैसे?:
    अपने ऊपर लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि देश में ऐसा कोई है, जो अपने हाथ जोड़ कर महामहिम (राज्यपाल) से कह रहा है कि जो सजा है, उसे दें। मैं सजा का पात्र हूं, तो मैं असंवैधानिक रूप से इस पद पर बैठा हूं। इसकी जिम्मेदारी किसकी है? एक संवैधानिक पद पर अपराधी बैठा है, वह बार-बार कह रहा है कि हमारी सजा बता दें। हमारे प्रतिनिधि भी महामहिम से मिले, मैं भी मिला, आरटीआइ से भी राज्यपाल का दरवाजा खटखटाया कि जल्दी बतायें, लेकिन नहीं। अब तक लग रहा है कि सजा नहीं बता कर मुझे सजा दी जा रही है। ऐसी स्थिति मेरे लिए सजा से कम नहीं है। हमारे विरोधी नैतिकता की बात कर रहे हैं, लेकिन यह तो राज्यपाल महोदय बता सकते हैं या उनके पीछे बैठे लोग बता सकते हैं, क्योंकि पीछे बैठे लोगों को सब कुछ पहले से ही पता रहता है। उन्होंने कहा कि सरकार नियम-कानून से चलेगी। जिसके यहां मकई का एक दाना नहीं मिला, उसे अरेस्ट कर लिया और जिसके यहां पांच करोड़ मिला, उसे छोड़ देते हैं। हम पर आरोप है 88 डिसमिल का। हम 88 डिसमिल का घोटाला करेंगे, यह तो लिखनेवालों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए या मुझे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए। यह सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है। विपक्ष की साजिश है। यह सर्वविदित है कि जांच एजेंसियां और संवैधानिक संस्थाओं में पहले जैसी स्वायत्तता की झलकियां नहीं दिखती। उनके निर्णय, विचार और डायरेक्शन के पीछे कोई जरूर है। जो अपने तरीके से रख रहा है और करवा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरसों में ही भूत है, तो भागेगा कैसे?
    (संबंधित खबर पेज-2 पर।)

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