रांची। झारखंड हाई कोर्ट में सोमवार को जंगल की जमीन एवं सरकारी जमीन की खरीद बिक्री की जांच कराने को लेकर कृषि ज्ञान संस्था के डॉ लाल राजीव रंजन नाथ शहदेव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। मामले में मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज, मिनिस्ट्री ऑफ कोल और राज्य सरकार का जवाब कोर्ट में दाखिल नहीं हो सका।

कोर्ट ने जवाब दाखिल नहीं होने पर नाराजगी जताते हुए प्रतिवादियों को जवाब दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सचिव, मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज और नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को प्रतिवादी बनाया था। याचिकाकर्ता की ओर से ज्ञानरंजन नाथ शहदेव ने पैरवी की।

कोर्ट को बताया गया था कि कुछ प्राइवेट कंपनियों और कुछ व्यक्तियों के द्वारा राज्य में जंगल एवं सरकारी भूमि की खरीद बिक्री की गई है और जमीन का अतिक्रमण किया गया है, जो नियम विरुद्ध है, जिसकी जांच कराई जानी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने उक्त प्राइवेट कंपनियों को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट के समक्ष राज्य के फॉरेस्ट की ऑडिट रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई थी।

इसमें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य को 30 सितंबर 2002 तक के तय समय सीमा में जंगल से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। लेकिन 20 वर्ष होने के बाद भी जंगल से अतिक्रमण नहीं हटाया गया और राज्य में 62952 एकड़ जंगल में निजी कंपनी और अतिक्रमणकारियों के द्वारा रजिस्ट्री के माध्यम से जमीन को खरीद लिया है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया एवं राज्य सरकार के कुल फॉरेस्ट एरिया में लगभग 2.5 लाख का अन्तर है।

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