10 करोड़ की जमीन के मालिक को दाने के लाले
कल्पना मुर्मू ने जमीन की रजिस्ट्री करवायी, बन कर तैयार है मैरेज हॉल
रांची। आदिवासियों की जमीन पर हक की लड़ाई लड़ने का दंभ भरनेवाले हेमंत सोरेन कठघरे में हैं। उन पर गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं, बल्कि एक आदिवासी परिवार ने ही लगाया है, जिसके पास 48 डिसमिल जमीन थी। राजू उरांव ने सरेआम आरोप लगाया कि जमीन लेकर हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना मुर्मू ने उसे भीख मांगने पर मजबूर कर दिया है। राजू उरांव अरगोड़ा ढेला टोली का निवासी है। राजू उरांव का आरोप है कि शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री रहते वक्त हेमंत ने उसकी अरगोड़ा स्थित 48 डिसमिल जमीन बहला-फुसला कर कौड़ी के भाव ले ली। हेमंत ने जमीन की रजिस्ट्री अपनी पत्नी कल्पना मुर्मू, पिता अम्पा मांझी के नाम पर करवा ली। इसके बदले जमीन के असली मालिक राजू उरांव और उसके परिवार के लोगों को मात्र पंद्रह से बीस लाख रुपये दिये गये, जबकि जमीन की मौजूदा कीमत लगभग दस करोड़ रुपये है। अरगोड़ा में जमीन बीस से पच्चीस लाख रुपये प्रति डिसमिल बिक रही है।
धोखे में रख कर करोड़ों की जमीन ले ली : राजू उरांव
राजू उरांव ने बताया कि अरगोड़ा हाउसिंग कॉलोनी में मेरे परिवार की 48 डिसमिल जमीन थी। जमीन हरमू हाउसिंग कॉलनी और ढेला टोली आने वाले मुख्य मार्ग पर है। वर्ष 2004 से ही कई जमीन दलाल जमीन खरीदने के लिए मेरे घर पर आते थे। लेकिन मैंने किसी को जमीन नहीं बेची। बाद में आए कुछ दलाल यह कहकर दबाव डालने लगे कि कि उन्हें हेमंत सोरेन ने भेजा है। वे रोजाना करीब 10 से 20 की संख्या में मेरे घर पर आते थे और दबाव बनाते थे। वे लोग मुझे जबरन शराब पिलाते थे। मना करने पर तरह-तरह से डराते भी थे। चूंकि जमीन मेरे दादा शीतल उरांव के नाम पर थी, इसलिए हमने कभी उसे बेचने के संबंध में नहीं सोचा था। शीतल उरांव के सभी वंशजों के लिए जमीन का यही टुकड़ा सबसे बड़ा आसरा था। इस कारण पूरे परिवार के लोगों ने मिलकर कभी उस जमीन को ना बेचने के संबंध में फैसला लिया था। लेकिन हेमंत सोरेन के लोगों के बढ़ते दबाव को देखते हुए पूरा परिवार चिंता में था। राजू उरांव का कहना है कि एक बार कुछ लोग आये। काफी दबाव बनाया। फिर शराब पिलायी और कुछ कागज पर हमसे और हमारे भाई से अंगूठा लगवा लिया। हमें भरमाने पर कभी एक लाख तो कभी 20 से 25 हजार रुपये भी देते थे। उन लोगो ने मेरे पूरे परिवार को नशे की लत लगा दी थी।
[su_box title=”एकरारनामे के मुताबिक नहीं दिया गया पैसा”] रांची। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना मुर्मू और बिरसा उरांव, लालू गाड़ी, महेश उरांव, मोतुन गाड़ी एवं शीतल गाड़ी के बीच आदिवासी जमीन खरीद-बिक्री की जो डीड तैयार की गयी है, उसमें लिखा है कि विक्रेताओं ने रुपये की अति आवश्यकता के कारण 2004 में कल्पना मुर्मू के साथ 30 हजार रुपये प्रति कट्ठा की दर से 17 कट्ठा 8 छटाक जमीन का एकरारनामा किया है। उसी एकरारनामे के तहत विक्रेताओं को 5,25,000 रुपये देकर जमीन लिखवायी जा रही है। हालांकि जमीन की वास्तविक कीमत 44,00,000 रुपये होती है। वहीं राजू उरांव और राजन उरांव ने भी रुपये की जरूरत के लिए एकरारनामा किया था। 2004 में 13 कट्ठा 14 छटाक भूमि के लिए 30 हजार रुपये की दर से एकरारनामा किया गया था। जमीन की कुल कीमत 4,16,250 रुपये देकर जमीन लिखवायी गयी। जबकि जमीन की वास्तविक कीमत 43,93,000 रुपये है। इसलिए इसी दर से मुद्रांक शुल्क दिया जा रहा है। अगर डीड की ही मान लें, तो भी यह साफ है कि हेमंत सोरेन ने गरीब आदिवासियों की जमीन कम कीमत देकर ली है। अभी तक दोनों डीड के विक्रेताओं को 10-10 लाख रुपये से ज्यादा नहीं दिया गया है। [/su_box]
करोड़ों रुपये कालगा दिया चूना
पूरी जमीन राजू उरांव के दादा शीतल उरांव की थी। शीतल के चार बेटे थे। बड़ा बेटा महादेव उरांव, सहदेव, मदरू और सबसे छोटा महली उरांव। इसमें दोनों मझले बेटे सहदेव और मदरू की मौत हो चुकी है। ऐसे मंे यह जमीन विरासत के तौर पर महादेव और महली के नाम पर आ गई। महादेव के पांच बेटे हैं। बिरसा उरांव, लालू गाड़ी, महेश उरांव, मोतून गाड़ी और शीतल गाड़ी। वहीं दूसरे भाई महली गाड़ी के दो बेटे हैं, जिनमें राजू उरांव और राजन गाड़ी शामिल हैं। परिजनों का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने राजू उरांव और उसके तमाम चचेरे भाइयांे को समझा बुझा कर पूरी जमीन को अपनी पत्नी कल्पना के नाम पर रजिस्ट्री करवा ली है। इसमें राजू उरांव को जमीन के हिस्से के 4 करोड़ 80 लाख रुपये और उसके पांच चचेरे भाइयों को 4 करोड़ 80 लाख रुपये मिलने थे। लेकिन सातों भाइयों को पंद्रह से बीस लाख रुपये ही मिले ।
एक बार में नहीं, थोड़े-थोड़े कर के दिये पैसे
राजू उरांव ने बताया कि जो पैसे हेमंत सोरेन ने उसे या उसके भाइयों को दिये हंै, वह कभी एकमुश्त नहीं दी गयी। हेमंत सोरेन के लोग शराब पिलाने के बाद कभी लाख रुपये तो कभी हजार रुपये देते थे। जब कोई बीमार पड़ता या कुछ जरूरत होती, तो आवश्यकता अनुसार हेमंत सोरेन की ओर से पैसे दिये जाते थे। उन्हीं पैसों से राजू उरांव ने सिर छुपाने के लिए एस्बेस्टेस का एक रूम भी बनाया था।
[su_box title=”‘शराब पिलाने के बाद अंगूठा लगवाये'”]राजू उरांव ने जमीन के जो कागजात दिखाये, उससे यह पता चलता है कि कुल जमीन 48 डिसमिल है। जमीन की कीमत कम से कम 20 लाख रुपये प्रति डिसमिल है। व्यावसायिक उपयोग के लिए इससे अच्छी जमीन कोई हो ही नहीं सकती। ऐसे में उस क्षेत्र में जहां 30 लाख रुपये में जमीन मिलना संभव नहीं था, वहां हेमंत सोरेन ने पूरे परिवार को 20 लाख रुपये प्रति डिसमिल देने की बात कही थी। कुल मिलाकर जमीन की पूरी कीमत 9 करोड़ 60 लाख होती थी। लेकिन कब्जा करने के बाद मुझे और भाइयों को मोरहाबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर बुलाया गया। वहां हेमंत सोरेन के लोगों ने दिखाया कि जमीन के एवज में तुमने पहले से करीब 10 लाख रुपये ले रखे हैं। पूछताछ करने पर उन लोगों ने उन कागजात को भी राजू के सामने रख दिया, जिस पर राजू को शराब पिलाने के बाद अंगूठा लगवाया था। राजू का कहना है कि मुझे इतने पैसे दिये ही नहीं गये थे। हो सकता है दलालों ने खा लिये हों। [/su_box]
[su_box title=”हेमंत के नाम पर किसी ने नहीं सुनी मेरी आवाज”] राजू उरांव कहता है: यह घटना वर्ष 2008 की है, जब हेमंत सोरेन जमीन पर जबरन कब्जा करने के लिए गेट तोड़ कर घुस गये थे। हेमंत ने जमीन पर घंटे भर में अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद मैं मदद के लिए दर-ब-दर भटकता रहा, लेकिन शिबू सोरेन के मुख्यमंत्री होने के कारण किसी ने मेरी एक ना सुनी। आज मैं बीमार हूं। दवा और दाल-भात के पैसे भी नहीं हैं। लगता है जल्द ही दुनिया से उठ जाऊंगा। [/su_box]