मुंबई: गीतकार और फिल्म-निर्माता गुलजार का मानना है देश की विभिन्न भाषाओं को ‘‘क्षेत्रीय’’ बताकर उन्हें दरकिनार करना सही नहीं है क्योंकि वे सभी राष्ट्रीय हैं और बराबर सम्मान पाने की हकदार भी। गुलजार ने कहा कि वर्तमान में कविताओं-शायरी में सबसे अच्छा काम पूर्वोत्तर भारत में हो रहा है जिसे लोग आम तौर पर नजरअंदाज कर देते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि शायरी में कुछ अलग हो रहा है तो वह सिर्फ पूर्वोत्तर में हो रहा है। हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया है। बड़ी जिंदा शायरी है, जो वहां से आ रही है।’’
गुलजार ने कहा, ‘‘बड़ी भाषाओं में ज्यादा कुछ नहीं हो रहा। लेकिन उन भाषाओं में बहुत कुछ हो रहा है जिन्हें हम ‘‘क्षेत्रीय’’ कहते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय भाषा जैसा कुछ नहीं है, सभी हमारी राष्ट्रीय भाषाएं हैं। ओडिया, मलयालम, तमिल, तेलगू और ऐसी अन्य भाषाएं हमारे साथ है, जिन्हें आप क्षेत्रीय बताकर दरकिनार नहीं कर सकते।“ `मिर्जा’ के लेखक सातवें ‘टाटा लिटरेचर लाइव’ महोत्सव में राजनयिक से लेखक बने पवन वर्मा के बातचीत कर रहे थे।