नयी दिल्ली: भारत के पनडुब्बी निर्माण कार्यक्रम पर फिर से विचार किये जाने की जरूरत का आह्वान करते हुए रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज कहा कि देश को 24 पनडुब्बी निर्माण की मौजूदा योजना की बजाय बड़ी संख्या पर विचार करना चाहिए।
पनडुब्बी निर्माण की 30 वर्षीय मौजूदा योजना का हवाला देते हुए पर्रिकर ने कहा कि भारत को 2050 के दीर्घकालिक योजना की जरूरत है। इस योजना के तहत परमाणु और परंपरागत दोनों तरह की 24 पनडुब्बियों के निर्माण की योजना है। मौजूदा योजना वर्ष 2030 में समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि रणनीतिक साझेदारी मॉडल अपने अंतिम चरण में है और एक बार इसके अमल में आने के साथ ही मंत्रालय पी75 इंडिया परियोजना की गति में इजाफा करेगा, जिसके तहत छह और परंपरागत पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है।
पर्रिकर ने कहा कि मौजूदा परमाणु पनडुब्बी परियोजना के विपरीत स्कॉर्पियन परियोजनाओं में स्वदेशीकरण बहुत कम है। महज 30 से 40 प्रतिशत तक।’’ उन्होंने पनडुब्बी निर्माण में लगे कुशल लोगों को बनाये रखने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि मरम्मत पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
पर्रिकर ने कहा, ‘‘हमारे आकलन के हिसाब से हमें वास्तविक जरूरत के बारे में फिर से सोचने की जरूरत है..हमें यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि कुशल लोग और बेहतर कौशल को बनाये रखा जाए।’’ उन्होंने कहा कि रूस ने अब तक 595 जबकि अमेरिका ने 285 पनडुब्बियों का निर्माण किया है।
पर्रिकर ने पनडुब्बी निर्माण के अधिक स्वदेशीकरण का भी आह्वान किया।