सूरत: गुजरात में दिसंबर के महीने में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी-अपनी जीत पक्की करने के लिए मुख्य पार्टी बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य दलों के नेता जमकर प्रचार-प्रसार में जुटे हैं। एक ओर बेजीपी के पास 22 साल पुरानी सत्ता को बचाने की चुनौती है, तो इधर कांग्रेस सत्ता वापसी करने को पूरी तरह से तैयार दिख रही है।
हालांकि कांग्रेस के लिए यह राह इतनी भी आसान नहीं होगी, जिसका अब असर भी दिखने लगा है। दरअसल गुजरात के सूरत शहर में कांग्रेस के ही हार्डकोर मुस्लिम वोटरों ने अब कांग्रेस की मुश्किल बड़ा दी है,अब तक मुस्लिम वोटरों को अपना समझने वाली कांग्रेस के लिए ये झटका पूर्व सूरत में मुस्लिम बहुल क्षेत्र और लिंबायत विधानसभा क्षेत्र में लगा है।
यहां कादर शा की नाल, नानपुरा व लिंबायत में मुस्लिमों ने पोस्टर लगाकर घोषणा किया है,कि इस बार के चुनाव में अगर कांग्रेस मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारती है,तो उनकी पार्टी को मुसलमानों का वोट भी नहीं मिलेगा। इस पोस्टर के जरिये मुस्लिम बहुल क्षेत्रों ने कांग्रेस पर मुस्लिम उम्मीदवार घोषित करने का दबाव बनाया है।खबरों के अनुसार प्रदेश में भरत सिंह सोलंकी को प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस के मुस्लिम सपोर्टरों में काफी नाराजगी देखने को मिली है। इस नाराजगी को लेकर पूर्व सूरत में विरोध भी हो चुका है। मुस्लिमों को लग रह है कि शायद इस बार सूरत से किसी मुस्लिम कांग्रेसी नेता को उम्मीदवार न बनाया जाए। यही वजह है कि कांग्रेस के मुस्लिम सपोर्टरों ने पोस्टर लगा कर कांग्रेस को सोचने पर मजबूर कर दिया है।तो वहीं लोगों का कहना है कि यह सब कांग्रेस की आपसी रंजिश का नतीजा है। दूसरे गुट ने जानबूझकर यह बैनर पोस्टर लगवाएं हैं ताकि अपने चहेतों को उम्मीदवार बनाया जा सकें। गुजरात में कांग्रेस के सचिव फिरोज मलिक के अनुसार इस बारे में एक मीटिंग हुई थी, जिसमें युवाओं की डिमांड थी कि जहां पर अल्पसंख्यक वोटर्स ज्यादा हैं, वहां से मुस्लिम नेता को टिकट दिया जाए।