झारखंड में कोयलांचल धनबाद का बीसीसीएल सेंट्रल अस्पताल इन दिनों डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. पूर्वी भारत के सबसे अच्छे अस्पताल में शुमार केंद्रीय अस्पताल अब सिर्फ एक रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. इसपर कोल इंडिया और बीसीसीएल प्रबंधन भी उदासीन बना हुआ है.
बता दें कि बीसीसीएल के सेंट्रल अस्पताल में कोयला मजदूरों के साथ साथ आस पास के जिलों से भी मरीज अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार से करोड़ों रुपए का बजट इस अस्पताल को मिलता है, बावजूद इसके यहां सुविधाओं का अभाव है.
इस अस्पताल से अधिकांश बीसीसीएल कर्मी इलाज कराने के लिए कोलकाता दुर्गापुर और धनबाद के अस्पतालों में रेफर हो रहे है. करीब 20 से 30 करोड़ रुपए सिर्फ रेफर मरीजों पर प्रत्येक वर्ष खर्च हो रहा है. वहीं अस्पताल के कुल 8 विभागों में से 2 विभाग न्यूरो और ईएनटी चिकित्सक के अभाव में बंद हो गए हैं.
आलम यह है कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को दवा भी बाहर से खरीदना पड़ रही है. इसके अलावा अस्पताल में रख-रखाव ऐसा है कि कई दिनों से मरीज को बेड के लिए धुली हुई चादर तक नसीब नहीं हो पा रही है. गौरतलब है कि पिछले 22 वर्षों में अब तक धनबाद सेंट्रल अस्पताल की हालत नहीं सुधरी है. यहां तक की सेंट्रल अस्पताल में मेडिकल कॉलेज खुलने का सपना भी हवा हो गई है. वहीं ट्रेड युनियन नेताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इसकी व्यवस्था सुधारने को लेकर कोइ खबर तक नहीं है.
चिकित्सकों की नई नियुक्ति नहीं होने के कारण ज्यादातर विभागों में डॉक्टरों के पद खाली पड़े है. सेंट्रल अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजीव गोलास के मुताबिक धनबाद में न्यूरो विशेषज्ञ समेत कोई भी बाहर का चिकित्सक यहां अपनी सेवा देने के लिए तैयार नहीं है.