झारखंड की राजधानी रांची में राज्य सरकार द्वारा आदिवासी परंपरा के तहत की जाने वाली पत्थलगड़ी को गैरकानूनी ठहराए जाने का झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) ने विरोध किया है.

इसी क्रम में जेवीएम नेता बंधु तिर्की ने गुरुवार को तमाम मीडियाकर्मियों के सामने नाराजगी जताते हुए कहा कि पत्थलगड़ी का विरोध आदिवासियों की सभ्यता, संस्कृति और परंपराओं के विरोध करने के बराबर है.

उन्होंने कहा कि जिसे किसी भी कीमत पर आदिवासी समाज नहीं स्वीकारेगा. उन्होंने विज्ञापन के माध्यम से सरकार द्वारा इसे गैरकानूनी ठहराए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. साथ ही सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है.

इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जेवीएम नेता बंधु तिर्की ने कहा कि सरकार को आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कम से कम बिरसा मुंडा जैसे शहीद का नाम लेकर इस प्रदेश को कलंकित न करें. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संविधान की 5वीं अनुसूची से संबंधित कानूनों को पत्थलगड़ी के माध्यम से लोगों को जानकारी देना संविधान का संरक्षण करना है ना कि संविधान का विरोध करना. इसलिए झारखंड सरकार को चाहिए कि 5वीं अनुसूची का अनुपालन करे.

क्या है पत्थलगड़ी 
दरअसल, पत्थलगड़ी आदिवासी परंपरा के तहत लगाया जाने वाला एक पत्थर है जिसपर किसी खास तरह की उपलब्धि का जिक्र किया जाता है. बताया जाता है कि आदिवासी परंपरा में इसका खास महत्त्व है और झारखंड के ज्यादातर जिले में यह मामला देखने को मिलता है.

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