“संयुक्त राष्ट्र प्रवजन एजेंसी (आईओएम) ने पाया है कि म्यांमार से बांग्लादेश पलायन करने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों के बीच तस्करी और शोषण के मामले बढ़े हैं।”

म्यांमार के राखिने प्रांत के पड़ोस में स्थित बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्व इलाके में बने अस्थायी शरणार्थी शिविरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह जानकारी कॉक्स बाजार (बांग्लादेश) में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों और उनको निशाना बनाने वाले समूहों से बातचीत से मिली है।

आईओएम के मुताबिक, यहां न सिर्फ 25 अगस्त के बाद बांग्लादेश आने वाले रोहिंग्या का शोषण हो रहा है, बल्कि यहां सालों निवास कर रहे समुदाय के लोग भी शोषण के शिकार हैं। मजबूर शरणार्थियों को काम दिलाने का लालच देकर फंसाया जा रहा है।

एजेंसी रोहिंग्या समुदाय में जबरन और कम उम्र में विवाह होने को लेकर भी चिंतित है।

दुजारिक ने कहा कि पिछले सप्ताह तक बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या बढ़कर 618,000 हो गई है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यानी यूएनएचसीआर के अनुसार, बांग्लादेश में आठ लाख से ज्यादा रोहिग्या शरणार्थी मौजूद हैं।

वर्तमान में कॉक्स बाजार में तैनात आईओएम तस्कर-रोधी विशेषज्ञ केटरीना अर्डेनियन ने कहा कि इस तरह के संकटपूर्ण व अराजकता के हालात में आमतौर पर मानव तस्करी शुरू में नजर नहीं आती है, क्योंकि वहां लोगों के सामने भोजन और आश्रय जैसी कई महत्वपूर्ण जरूरतें होती हैं।

उन्होंने कहा, “मानव तस्करी की ये वारदात नियंत्रण से बाहर हो, उससे पहले रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए सुरक्षात्मक व सक्रिय कार्रवाई करने की जरूरत है।

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