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    Home»झारखंड»Jharkhand : थोड़ा शासन सुधरे, थोड़ा हम, तो रांची बन जाये सिटी नंबर-1
    झारखंड

    Jharkhand : थोड़ा शासन सुधरे, थोड़ा हम, तो रांची बन जाये सिटी नंबर-1

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीNovember 25, 2017No Comments4 Mins Read
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    रांची : राजधानी रांची की परिवहन व्यवस्था चरमरा गयी है. गाड़ियां शहर में चलती नहीं, रेंगती हैं. सरकार की मंशा है कि वाहनों की स्पीड को ब्रेक न लगे, लेकिन शहर के लोग इसके लिए तैयार नहीं हैं. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोग तैयार नहीं हैं. अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए लोग कानून अपने हाथ में लेने के लिए तत्पर हो गये हैं. बिना यह सोचे कि इसका अंजाम क्या होगा. शुक्रवार को लोगों ने जो कुछ भी किया, उससे परेशानी उन्हें भी हुई. उनके बच्चों को भी हुई. इस सड़क से गुजरने वाले एक-एक व्यक्ति को हुई. लोग यह भूल गये कि कानून हाथ में लेना किसी समस्या का हल नहीं है. समस्या का हल बातचीत से ही होगा, कानून तोड़ने से नहीं.दरअसल, किशोरगंज चौक ओर कार्तिक उरांव चौक पर गुरुवार की रात जिस कट को प्रशासन ने बंद करवा दिया था, शुक्रवार की सुबह चौक और आसपास के लोगों ने उसे जबरन तोड़ डाला. सड़क पर जमकर देर तक हंगामा किया. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह और मुख्यंत्री रघुवर दास को परेशानी के बारे में बताया. लोगों की समस्या सुनकर मुख्यमंत्री रघुवर दास किशोरगंज चौक पहुंचे. स्थिति देखी. तत्काल एक कट छोड़ने का आदेश दिया. कहा कि सेवा सदन अस्पताल जाने के लिए सड़क छोड़ें. ऐसा नहीं किया, तो बीमार लोगों को अस्पताल पहुंचाने में समस्या होगी. इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने यह भी आदेश दिया कि हर 500 मीटर पर लोगों के आने-जाने के लिए थोड़ी-सी जगह छोड़ी जाये.इससे पहले लोगों के हंगामे की वजह से शाम 4 बजे तक हरमू नदी पर बने पुल से लेकर किशोरगंज तक वाहनों की लंबी कतार लगी रही. गाड़ियां रेंगती नजर आयीं. दो किलोमीटर की दूरी तय करने में लोगों को 40 मिनट का वक्त लग गया. समस्या यहीं नहीं थमी. लोगों के हंगामे के कारण ट्रैफिक का पूरा लोड गाड़ीखाना चौक और शनि मंदिर के पास बढ़ गया. स्थिति को सामान्य करने के लिए सड़क के दोनों ओर पुलिस के जवानों को तैनात करना पड़ा. तब जाकर यातायात व्यवस्था सामान्य हो पायी.शासन और आम जन दोनों को अपने व्यवहार में थोड़ा बदलाव लाना होगा. यदि दोनों थोड़ा-थोड़ा सुधर जायें, तो अपनी रांची को नंबर-1 बनने से कोई रोक नहीं सकता. यदि सड़कों पर कट की ही बात करें, तो अभी जो समस्या दिख रही है, आने वाले दिनों में वही सहूलियत में तब्दील हो सकती है. लोगों को कट बंद होने से कई फायदे होंगे.

    1. रातू रोड से सहजानंद चौक तक कुल 11 कट हैं, जहां से लोग सड़क पार करते हैं. इसकी वजह से कई बार सड़क हादसे हो जाते हैं. कट बंद होने से ये हादसे रुक जायेंगे. सड़क पर नहीं लगेगा जाम.

    2. भारत माता चौक पर एक अंधा मोड़ है. ढहान की वजह से यहां वाहन काफी तेज गति से निकलते हैं. यही वजह है कि मुक्तिधाम जाने या यू-टर्न लेने के दौरान कई बार हादसे हो जाते हैं. कट बंद होने से हादसे कम होंगे.

    3. रातू रोड से सहजानंद चौक तक मुख्य रोड से जुड़े 26 बाईलेन के 50 हजार से अधिक लोगों को जाम की समस्या से रू-ब-रू होना पड़ता है. लेकिन, इसका खामियाजा बाईपास से गुजरने वाले 2 लाख से अधिक लोगों को भुगतना पड़ रहा है. कट को बंद कर दिया जाये, तो ट्रैफिक व्यवस्था बिल्कुल दुरुस्त हो जायेगी. जाम नहीं लगेंगे.

    4. बाईपास रोड में हर घंटे कम से कम 5,000 वाहन गुजरते हैं. आने वाले पांच साल की बात करें, तो इस रोड पर ट्रैफिक का लोड दोगुना होने जा रहा है. यानी कम से कम 10,000 वाहन इस सड़क से गुजरेंगे. यदि वर्तमान व्यवस्था को नहीं बदला गया, तो 5,000 वाहनों का लोड सहन नहीं कर पाने वाली सड़क 10,000 वाहनों का लोड कैसे सह पायेगी.इसलिए जरूरी है कि शासन में बैठे लोग और उनके अधिकारी आमजनों के साथ मिलकर योजना बनायें, ताकि कोई परेशानी खड़ी न हो. यह तभी होगा, जब प्रशासन अपनी तानाशाही छोड़ देगा और आम लोग हर बात पर विरोध करने की अपनी आदत बदल लेंगे. यदि दोनों थोड़ा-थोड़ा सुधर जायें, तो अपनी रांची निश्चित तौर पर स्मार्ट भी बन जायेगी और नंबर-1 भी.

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