रांची। भाजपा की दो दिनी रायशुमारी पूरी तो हो गयी, पर रांची सीट को लेकर मामला रोचक हो गया है। पार्टी की अंदरूनी सूत्रों की मानें, तो सबसे ज्यादा मशक्कत रांची सीट के लिए ही करनी पड़ रही है। इस विधानसभा क्षेत्र में समर्पित कार्यकर्ताओं की इतनी लंबी फेहरिस्त है कि इनमें से किसी एक को चुनना, मोती चुनने के समान है। सबसे बड़ी बात है कि राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह की यह मौजूदा सीट है और वही सबसे बड़े दावेदार भी हैं। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि वह भाजपा के पुराने और निष्ठावान सिपाही हैं। वह अपनी सीट को लेकर पूरी मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं। उनके समर्थक भी अपने नेता के लिए जी जान से जुटे हैं।

आलाकमान इनके आवेदनों पर भी गंभीर
इधर, हाल के दिनों में रांची से कई और दावेदार सामने आये हैं, जो कहीं और से नहीं आये, बल्कि वे भी पार्टी के सच्चे सिपाही हैं। इनमें मुख्य रूप से प्रो आदित्य साहू, प्रतुल शाहदेव, रमेश सिंह, सत्यनारायण सिंह, संजीव विजयवर्गीय और मनोज गुप्ता जैसे लोग शामिल हैं। ये राजनीतिक जीवन की शुरुआत से ही भाजपा से ही जुड़े रहे। यही कारण है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने रायशुमारी के दौरान इनके आवेदनों पर गंभीरता से विचार किया है। भाजपा आलाकमान भी इनके नामों पर गंभीर है।

पार्टी का निर्णय सर्वोपरि
राहत की बात ये है कि ये सभी निष्ठावान हैं। इनमें से किसी को यदि मौका नहीं भी मिला, तो पार्टी को कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि ये तब भी पूरी निष्ठा के साथ अपने दल के प्रत्याशी की जीत के लिए एड़ी चोटी एक कर देंगे। इनके लिए पार्टी सर्वोपरि है, व्यक्तिगत हित नहीं।

अफवाहें भी तरह-तरह की
इधर, तेजी से कई तरह की बातें सामने आ रही हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एक तबका भाजपा नेताओं को आपस में भी भिड़ाने की साजिश रच रहा है। आये दिन तरह-तरह की अफवाहें फैलायी जा रही हैं। बिना सिर-पैर की बातें फैलायी जा रही हैं, ताकि भाजपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ जाये और भाजपा कमजोर हो। ये सबसे ज्यादा अफवाह सीपी सिंह को लेकर फैलायी जा रही हैैं। ये भी कहा जा रहा है कि रांची से कई दावेदार ऊपर के नेताओं के पास पैरवी कर रहे हैं। सभी कोशिश कर रहे हैं कि उनका आवेदन ऊपर चला जाये। हालांकि ये सब बातें सुनियोजित ढंग से फैलायी जा रही हैं। जबकि हकीकत यही है कि इन सबने आवेदन दिया है, दावेदार भी हैं पर पार्टी के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। इनका कहना है कि वे पार्टी के सच्चे सिपाही हैं और हर आदेश को मानेंगे। आवेदन तो पार्टी में ही दिया है। इसमें बुरा क्या है।

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