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    Home»Top Story»सेब उत्पादन में पिछड़ा हिमाचल, 2019 के मुकाबले 30 प्रतिशत कम पैदावार
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    सेब उत्पादन में पिछड़ा हिमाचल, 2019 के मुकाबले 30 प्रतिशत कम पैदावार

    sonu kumarBy sonu kumarNovember 19, 2020Updated:November 19, 2020No Comments3 Mins Read
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    कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच सेब की कम पैदावार से हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी को भारी चपत लगी है। पिछले साल की तुलना में राज्य में इस बार करीब 30 फीसदी कम सेब का उत्पादन हुआ है।

    अमूमन 2.50 से तीन करोड़ पेटी उत्पादन करने वाला हिमाचल इस बार अब तक मात्र 1.61 करोड़ पेटी सेब ही पैदा कर पाया है। हालांकि इसमें निजी क्षेत्र के कोल्ड स्टोरों में खरीदा गया सेब शामिल नहीं है। पिछले साल सेब का उत्पादन कुल 2.94 करोड़ पेटी तक रहा।
    बागवानी विभाग के राज्य मार्केटिंग अधिकारी राजीव चंद्रा ने गुरुवार को बताया कि सेब बाहुल्य शिमला व कुल्लू सहित राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में सेब सीजन सिमट चुका है। इन क्षेत्रों से अब तक 1.61 करोड़ सेब पेटियां देश की विभिन्न मंडियों में भेजी गई हैं। केवल किन्नौर जिला से कुछ मात्रा में सेब मंडियों में पहुंचना शेष रह गया है।

    उन्होंने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार सेब का उत्पादन करीब 30 प्रतिशत कम हुआ है। सेब की पैदावार का अंतिम व सटीक आंकड़ा फील्ड से प्राप्त रिपोर्ट के आंकलन पर सामने आएगा। उन्होंने साफ किया कि सेब का उत्पादन पौने दो करोड़ पेटी से नीचे रहने का अनुमान है और यह पिछले 13 साल का सबसे कम उत्पादन होगा।

    उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 2007 में सूखे की मार के कारण 1.76 करोड़ पेटी के आसपास बागवानों ने सेब निकाला था। जबकि वर्ष 2019 में 2.94 करोड़, वर्ष 2018 में 1.82 करोड़ पेटियों का उत्पादन हुआ था। साल 2017 में राज्य में 2.23 करोड़ और साल 2016 में 2.18 करोड़ पेटियों की पैदावार हुई थी। साल 2015 में 3.90 करोड़ पेटियों का कारोबार हुआ था। साल 2010 में रिकॉर्ड 5.11 करोड़ पेटी उत्पादन था।

    उधर, बागवानी विशेषज्ञों का मानना है कि प्रतिकूल मौसम की मार से इस बार सेब का उत्पादन कम हुआ है।

    उल्लेखनीय है कि राज्य के चार जिलों शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी और चंबा में सेब प्रमुख नकदी फसल है। शिमला जिला के कोटखाई, जुब्बल और चौपाल का मड़ावग क्षेत्र, कोटगढ़ इलाका सेब के लिए प्रख्यात है। हिमाचल के सकल घरेलू उत्पाद में बागबानी क्षेत्र हर वर्ष 5000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान दे रहा है।

    मौजूदा समय में हिमाचल में फल उत्पादन के तहत कुल 2.26 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है और इसमें से 1.10 लाख हेक्टेयर सेब के अधीन है। यानी प्रदेश में कुल फलोत्पादन क्षेत्र के करीब 49 फीसदी हिस्से पर सेब की पैदावार होती है। हिमाचल ने सेब उत्पादन में भी देश में एक अलग स्थान बनाया है और यहां देश की सेब फसल का करीब 38 फीसदी हिस्सा पैदा हो रहा है।

    हिमाचल में सेब के जनक अमरीकन सैमुअल इवान्स स्टोक्स माने जाते हैं। सैमुअल स्टोक्स का जन्म 16 अगस्त, 1882 फिलाडेल्फिया, अमरीका के अमीर घराने में हुआ था। वह हिमाचल 1905 में आए और अमरीका से सेब के पौधे लाकर शिमला जिला के थानेदार के बारूबाग में 6 नवम्बर, 1916 में पहला बागीचा लगाया। सत्यानंद स्टोक्स ने स्थानीय लोगों को भी सेब लगाने के लिए प्रेरित किया। तब इस क्षेत्र में नकदी फसलें नहीं होती थीं तथा लोग परंपरागत खेती करते थे।

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