उत्तर प्रदेश में गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण पर रोक से जुड़े योगी सरकार के अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद बरेली में धर्म परिवर्तन कराने का पहला मामला दर्ज किया गया है। बरेली के देवरनिया में लव जिहाद के आरोप में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक, टीकाराम ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि दूसरे संप्रदाय का एक युवक उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है।

देवरनिया के गांव शरीफनगर से धर्म परिवर्तन कराने का ये मामला सामने आया है, जहां शरीफनगर निवासी टीकाराम ने बताया कि उनकी बेटी पर गांव में ही रहने वाले रफीर अहमद का बेटा उवैस अहमद जबरन धर्म परिवर्तन कराने का दबाव बना रहा है। पीड़ित ने बताया कि आरोपी उवैस अहमद पढ़ाई के समय से ही बेटी को जनता है। इस दौरान उसने उनकी बेटी से जान पहचान भी बना ली। टीकाराम और उनके परिवार कि ओर से कई बार उवैस को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन आरोपी नहीं माना, जिसके बाद पीड़ित ने थाने में शिकायत दर्ज कराई।

आरोपी की तलाश में जुटी पुलिस
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि जबरन धर्म परिवर्तन कराने का विरोध किया गया तो आरोपी उवैस अहमद ने जान से मारने की धमकी देते हुए पीड़ित परिवार को गालियां दी। इसके बाद पीड़ित ने देवरनियां थाने में शिकायत दर्ज करा दी। पुलिस ने अध्यादेशित उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5, 2020 तथा आईपीसी की धारा 504/506 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। फिलहाल आरोपी फरार है, पुलिस मामले की जांच कर आरोपी की तलाश में जुट गई है।

अधिकारियों ने बताया कि मामला बरेली जिले के देवरनियां थाने में शनिवार को दर्ज किया गया। उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से रविवार को जारी बयान के अनुसार देवरनियां पुलिस थाने (बरेली) के अंतर्गत शरीफ नगर गांव के टीकाराम ने यह मामला दर्ज कराया है, जिसमें उसने उसी गांव के एक व्यक्ति उवैश अहमद पर उसकी बेटी को ‘बहला फुसलाकर’ धर्मांतरण की कोशिश करने का आरोप लगाया।

10 वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘उत्तर प्रदेश विधि विरूद्ध धर्म संपविर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ को शनिवार को मंजूरी दे दी। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी। इसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन देने या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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