बेगूसराय।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा खेती में रासायनिक खाद के उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर हरित खाद अपनाने की अपील का बेगूसराय में जबरदस्त असर पड़ा है। इस अपील और स्थानीय सांसद एवं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के प्रयास से जीविका दीदी भी हरित खाद उत्पादन और उपयोग में नया अध्याय लिख रही है। इन्हें बिहार सरकार का भी सहयोग मिल रहा है।

जीविका के बेगूसराय जिला परियोजना प्रबंधक अविनाश कुमार के अनुसार प्रथम चरण में 244 प्रगतिशील किसानों के साथ 277 टन हरित खाद का निर्माण किया गया। जिसमें जिले के 107 पंचायतों को शामिल किया गया था। वर्तमान में हरित खाद का निर्माण एवं उपयोग 791 किसान दीदियों द्वारा 185 पंचायतों में किया जा रहा है। अबतक 1553 टन हरित खाद का उत्पादन करते हुए कुल 1270 टन का उपयोग विभिन्न फसलों में किया जा चुका है।

खम्हार निवासी किसान सुनील कुमार मुन्ना जहां हरित खाद क्रांति ला रहे हैं। वहीं, मोहनपुर निवासी मनटुन कुमार सहित कई किसान हरित खाद बनाकर लीज पर लिए गए खेत में इसके उपयोग से सालाना 15 से 25 लाख तक रुपये कमा रहे हैं। जिला भर में सैकड़ों जीविका दीदी ने इस हरित खाद को अपनाया तो आज उनके खेत में कम लागत में अधिक उपज हो रही है, वह भी स्वास्थ्यवर्धक उत्पादन।

क्या है हरित खाद :
हरित खाद एक देसी खाद है, जिसका निर्माण कम लागत में सरलता से उपलब्ध होने वाले वस्तु गोबर, राख (बॉटम ऐश), यूरिया एवं डी.ए.पी. को निर्धारित मात्रा में मिलाकर जीवाणुओं की सहायता से किया जाता है। आज यह रासायनिक खाद का एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने है। बेगूसराय जिले की जीविका दीदियों ने हरित खाद का उपयोग कर खेती के नए एवं लाभप्रद तरीके का अनुभव प्राप्त किया है। हरित खाद जीविका दीदियों के आर्थिक सशक्तीकरण का नया मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है।

ये जीविका दीदियां बनी हैं मिशाल :
प्रियंका कुमारी (वीरपुर), कंचन कुमारी (तेघड़ा), रिंकु देवी (मटिहानी), कविता देवी (सदर), रंजीता देवी (बछवाड़ा), बबली शर्मा (गढ़पुरा), उर्मिला देवी (मंसूरचक) पूनम देवी (बलिया), रीता देवी (बरौनी), सीता देवी (खोदावंदपुर), जानकी देवी (छौड़ाही), पुष्पा कुमारी (मंसूरचक) एवं खुशबू कुमारी (चेरिया बरियारपुर ) सहित कई जीविका दीदी ने बताया कि हरित खाद से खेती में लागत कम हो जाती है। नए आय के श्रोत का सृजन होता है, यह माडल लखपति दीदी का लक्ष्य हासिल करने में मददगार है।

कैसे बनता है हरित खाद :
हरित खाद (ग्रीन फर्टिलाइजर) बनाना बहुत ही आसान है। हरित खाद बॉटम ऐश, गोबर, डीएपी एवं यूरिया से तैयार किया जाता है। बॉटम ऐश में समान मात्रा में कम से कम एक माह और अधिकतम तीन माह पुराना गोबर मिलाया जाता है। इसमें कुल मात्रा का पांच प्रतिशत डीएपी एवं पांच प्रतिशत यूरिया डालकर मिलाया जाता है। इसे दो से ढ़ाई फीट की ऊंचाई में फैलाकर इस पर लेप चढ़ाया जाता है।

लेप चढ़ाने के बाद कोई दरार आने पर ध्यान रखना होता है। 21 दिनों के बाद इसमें जीवाणुओं को मिलाया जाता है। इसके दस दिन बाद हरित खाद बनकर तैयार हो जाता है। पूरी प्रक्रिया अपनाने के बाद हरित खाद बनाने में कुल 32 दिनों का समय लगता है। इसका निर्माण एवं उपयोग बेगूसराय जिले में सबसे पहले वनद्वार कोठी में किया गया। सकारात्मक परिणाम आने के बाद हरित खाद से संबंधित जानकारी जीविका से जुड़े प्रगतिशील किसान दीदियों से साझा कर, उन्हें प्रेरित किया गया।

हरित खाद का उद्देश्य और लाभ :
रासायनिक खाद पर किसानों की निर्भरता कम करना। गुणवत्तापूर्ण एवं स्वास्थ्यवर्धक उपज की प्राप्ति। स्थानीय स्तर पर आय के श्रोत का सृजन करना। स्थानीय स्तर पर समय से उर्वरक उपलब्ध कराना। खेती-किसानी की लागत को कम करना। मिट्टी के स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार। इससे लागत मूल्य कमने से आय के नए श्रोत का सृजन होता है। जिससे यह मॉडल लखपति दीदी के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर रहा है। सभी प्रखंडों में स्वयं सहायता समूह की महिला किसानों के बीच इसका उपयोग शुरू किया गया है।

हरित खाद निर्माण एवं उपयोग की जरुरी बातें :
हरित खाद निर्माण के लिए छायादार स्थान का चयन करना चाहिए। हरित खाद निर्माण के लिए 30 से 90 दिन पुराना गोबर का उपयोग करना चाहिए। अत्यधिक गर्म मौसम में निर्मित मिश्रण को सूती कपड़ा अथवा बोरी को गिला कर ढंकना चाहिए। गोबर, मिट्टी और पानी के लेप में सूखने के बाद दरार नहीं आना चाहिए। अगर किसी कारण से दरार आ जाए तो उसके उपर पुनः लेप चढ़ा दें। तैयार हरित खाद का उपयोग पौधे के जड़ से थोड़ा हटाकर, अनुशंसित मात्रा में करना चाहिए।

विधान पार्षद ने शुरू किया हरित खाद अभियान :
गंगा डेयरी से जुड़े विधान पार्षद सर्वेश कुमार स्वयं छह टन हरित खाद बना कर खेतों में इस्तेमाल कर चुके हैं। इसके लाभ को देखते हुए ही उन्होंने गंगा कृषि पशुपालक किसान संगठन बना कर किसानों को हरित खाद अभियान से जोड़ने का मुहिम चलाया है। सर्वेश कुमार ने बताया कि उनका लक्ष्य एक हजार किसानों को हरित खाद अभियान से जोड़ने का है। हरित खाद के उपयोग में बेगूसराय शीघ्र ही देश का नंबर वन जिला होगा।

सर्वेश कुमार ने बताया कि बेगूसराय जिले में करीब डेढ़ लाख टन रासायनिक खाद का उपयोग होता है। जबकि यहां पर्याप्त मात्रा में थर्मल का फ्लाई ऐश और गोबर उपलब्ध है। सिर्फ दस प्रतिशत रासायनिक खाद को मिलाकर सौ फीसद फायदा उठाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जिले में अभी एक लाख 36 हजार टन यूरिया की खपत है। हरित खाद का उपयोग कर हम इसे तीन वर्षों में दस प्रतिशत तक ला सकते हैं।

क्या कहते हैं इस क्रांति के सूत्रधार गिरिराज सिंह :
यह रासायनिक खाद का एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने है। जिले की जीविका दीदियों एवं प्रगतिशील किसानों ने हरित खाद का उपयोग कर खेती के नए एवं लाभप्रद तरीके का अनुभव प्राप्त किया है। हरित खाद जीविका दीदियों के आर्थिक सशक्तीकरण का नया मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है। जिस दिन अपनी गाय, अपना खेत और अपना खाद सभी किसानों के पास होगा, उस दिन सही मायने में समाज बदल जाएगा।

गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार कर जीविका दीदी और किसान हरित खाद का उपयोग करके रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से बच रहे हैं। दीदियां अपनी लागत कम कर आय भी बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री के मंत्र पर चलते हुए यह बहनें हरित खाद में क्रांति ला रही हैं। जीविका दीदियों ने बड़ी मात्रा में हरित खाद बनाया और उपयोग कर हजारों हेक्टेयर भूमि को रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से बचाकर बेहतर उत्पाद प्राप्त किया।

देश का नेतृत्व करेंगी बेगूसराय की जीविका दीदियां :
उन्होंने कहा कि हरित खाद को हर घर और हर खेत में पहुंचना हमारा लक्ष्य है। बेगूसराय की यह जीविका दीदी देश में हरित खाद क्रांति का नेतृत्व करेगी। अभी सिर्फ बेगूसराय में 45 हजार हेक्टेयर में सब्जी की खेती होती है। अगर सभी किसान हरित खाद का उपयोग कर सब्जी का उत्पादन करें तो ना सिर्फ उनके आय में आश्चर्यजनक वृद्धि होगी। गंभीर बीमारियां न्यूनतम हो जाएगी, बीमारियां कम होगी तो दवा और इलाज में भी खर्च कम होंगे।

क्या कहा था प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में :
15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संदेश में कहा था कि ”किसान भाइयों जिस तरह हम रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं, धरती मां को तबाह कर रहे हैं। हमें अपनी धरती मां को तबाह करने का अधिकार नहीं है। हम अपने खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल दस, 20, 25 प्रतिनिधि कम करेंगे या फिर बिल्कुल नहीं करेंगें। हरित खाद को अपनाकर धरती मां को बचाएंगे।

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