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    Home»Jharkhand Top News»PM ने धरती आबा का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए किया: सुप्रियो
    Jharkhand Top News

    PM ने धरती आबा का उपयोग राजनीतिक प्रचार के लिए किया: सुप्रियो

    adminBy adminNovember 16, 2023Updated:November 16, 2023No Comments5 Mins Read
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    -झारखंड दौरे का उद्देश्य राज्य सरकार के बढ़ते कदम को रोकना था
    -सरकारी खर्च पर प्रचार पाना ही भाजपा का एकमात्र उद्देश्य रहा
    -एचइसी और सरना धर्म कोड पर पीएम की चुप्पी सवाल खड़ा करती है
    रांची। झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रधानमंत्री के दौरे को लेकर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि उनका दौरा सिर्फ और सिर्फ राजनीति से प्रेरित था, प्रचार पाना ही एकमात्र उद्देश्य था। झारखंड की धरती से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मतदाताओं पर प्रभाव डालना था। सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेंस में दौरे को लेकर बहुत सारे सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दौरा जब फाइनल हुआ, तो हमें भी लगा कि वह यहां आकर शायद इस राज्य का कोई विशेष रूप से वह उपहार देंगे, क्योंकि अपेक्षाएं उनसे बहुत थीं। लेकिन कहीं न कहीं उनकी वापसी के बाद निराशा का माहौल हो गया। पिछले साल इसी 15 नवंबर को भारत सरकार के द्वारा जनजातीय गौरव दिवस का नामंकरण किया गया और देश की प्रथम महिला जनजातीय राष्टÑपति महोदया यहां पर आयी थीं। तब से यह आशा थी कि जनजातीय बहुल देश के जो भी इलाके हैं, जो पांचवीं और छठी अनूसूची के तहत संवैधानिक रूप से आच्छादित हैं, उनके लिए कोई विशेष कार्य किये जायेंगे। कल भी प्रधानमंत्री जी ने पीएम जनमन योजना को लागू किया, जिसमें जनजातीय समूह के न्याय और अधिकार की बात थी। लेकिन वहीं पर सबसे कौतूहल हुआ कि आदि धर्म और संस्कृति के बारे में पीएम को कोई जानकारी थी और न ही जनजातीय समूह के प्रति सच्ची कोई भावना थी। क्योंकि पीएम ने इस दौरे में सरना धर्म कोड, जो इस राज्य के विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित करके भेजा है, उसका उल्लेख तक नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी आप अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, लेकिन आपके दिल में आदिवासी समुदाय के प्रति सम्मान का कोई भाव नहीं है। इसका उदाहरण मणिपुर है, जो छठी अनुसूची का राज्य है। आप न मणिपुर गये न मणिपुर के लोगों के साथ संवाद स्थापित किया। आप मिजोरम भी नहीं गये। वह भी छठी अनुसूची में है। वहां 40 सीटें जनजाति आरक्षित हैं। तो क्या आप छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के मतदाताओं को संबोधित करने के लिए राज्य के खूंटी को चुना। धरती आबा का गांव चुना। प्रधानमंत्री ने प्रभात तारा मैदान में मनाये गये अंतरराष्टÑीय योग दिवस का जिक्र किया, खूंटी जिला में एक सौ प्रतिशत सोलर लाइट से सज्जित न्यायालय का जिक्र किया, लेकिन आपने एचइसी के बारे में कोई जिक्र तक नहीं किया। हम पहले भी बोल रहे थे कि प्रधानमंत्री जी एचइसी को बचा लीजिए। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने जानबूझ कर एचइसी के बारे में कोई बात नहीं की। वह जानते हैं कि इस प्रदेश में रुग्णता आये। राज्य गरीब बना रहे। सुप्रियो ने कहा कि कल राज्य का स्थापना दिवस था। राज्य सरकार ने अपने राज्यवासियों के लिए जो योजनाएं लायीं, वह सभी लाइफ चेंजर हैं, गेम चेंजर हैं। मील का पत्थर हैं। चाहे ग्राम गाड़ी योजना हो, स्टार्टअप हो, एमएसएमइ के लिए योजना हो, आइटी के सेक्टर हो। खिलाड़ियों के लिए योजनाएं लायी गयीं। जिन खिलाड़ियों ने अपने राज्य का नाम रोशन किया, उन्हें नियुक्ति पत्र भी दिया गया, उनको सम्मानित भी किया गया। प्रधानमंत्री जी शायद यह जानते थे कि राज्य सरकार के बढ़ते कदम को यदि रोकना है, तो हमको आना पड़ेगा, ताकि राष्टÑीय स्तर से लेकर राज्य स्तर पर हम प्रचार की हेड लाइन ले लें। हाथ हिलाते हुए रोड शो करें। तो क्या फोटो शूटिंग के लिए, राजनीतिक कारण के लिए ही झारखंड के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री यहां आये। जबकि पिछली बार राष्टÑपति की स्वीकृति देने के बाद भी वह राज्य स्थापना दिवस के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुर्इं। इस बार ऐसा इसलिए किया गया कि पूरा आधा दिन राज्य प्रधानमंत्री के पीछे लगा रहे। पहले तो सुनते थे कि गवर्नेंस को डिस्टर्ब करने के लिए आइटी आती थी। सीबीआइ आती थी, इडी को लगाया जाता था। अब तो गवर्नेंस को डिस्टर्ब करने के लिए पीएम भी लग गये कि मेरा भी चेहरा रहना चाहिए।
    सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कल हमने गवर्नर साहब को भी सुना। प्रधानमंत्री की वंदना की, कोई बात नहीं। लेकिन उन्होंने एक बात कही कि हम चुनाव में जायें तो राजनीतिक लड़ाई करें और राज्य में विकास की बात करें। तो माननीय राज्यपाल जी को प्रधानमंत्री जी को ये बातें तो जरूर बतानी चाहिए थीं एचइसी की स्थिति क्या है। कहना चाहिए था कि सरना धर्म कोड के बारे में निर्णय ले लीजिए। ऐसा नहीं हुआ। इसका साफ अर्थ है कि केवल और केवल राजनीतिक प्रचार तंत्र ही अब सरकारी खर्च पर भाजपा का उद्देश्य रह गया है। समृद्ध भारत के विकास का भी अभियान देख लीजिए। बेरोजगारी की क्या स्थिति है। स्वास्थ्य की क्या स्थिति है। अर्थ व्यवस्था की क्या स्थिति है। प्रधानमंत्री जी गर्व के साथ कहते हैं कि अगले पांच साल तक हम मुफ्त में अनाज देंगे। ये गरीबी का उपहास उड़ाना है। आपने अपने कार्यकाल में लोगों को इतना गरीब कर दिया कि विश्व के हंगर इंडेक्स में हम नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी नीचे आ गये। उन्होंने कहा कि आपको यदि एचइसी को बेचना ही है अडाणी को तो उसका भी एलान करके जाते। आपने तो झारखंड की बात की और वन संशोधन कानून ऐसा लाया कि जंगलों के अंदर कारपोरेट सेक्टर घुस गया। जंगल को मिटा कर आप जनजाति को बचा लीजिएगा। सरना धर्म कोड को मिटा कर आप आदिवासी न्याय की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा जानता है कि राज्य को कैसे अलग किया है अपनी शहादत देकर। हम आदि धर्म को भी संवैधानिक दर्जा देंगे, उसके लिए जो भी संघर्ष करना पड़े, उस संघर्ष के लिए हम तैयार हैं।

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