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    Home»Jharkhand Top News»झारखंड के 5 मजदूर अफ्रीका के कैमरून में फंसे, सरकार से लगाई वतन वापसी की गुहार
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    झारखंड के 5 मजदूर अफ्रीका के कैमरून में फंसे, सरकार से लगाई वतन वापसी की गुहार

    shivam kumarBy shivam kumarNovember 23, 2025No Comments3 Mins Read
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    रांची/गिरिडीह/हजारीबाग। झारखंड के प्रवासी मजदूरों की विदेश में फंसने की थमती नहीं दास्तान एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार अफ्रीका के कैमरून देश में गिरिडीह और हजारीबाग जिले के पांच मजदूर रोज़गार के नाम पर ठगे जा रहे हैं। भूख, बिना वेतन की मजदूरी और टूटे-फूटे कमरे में रहने को मजबूर इन मजदूरों ने वीडियो संदेश भेजकर केंद्र व राज्य सरकार से तत्काल रेस्क्यू की गुहार लगाई है। वीडियो सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली तक पहुंचा, जिसे उन्होंने मीडिया के साथ साझा करते हुए कहा, “यदि समय रहते हस्तक्षेप नहीं हुआ तो ये लोग या तो भूख से दम तोड़ देंगे या स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से कोई बड़ा हादसा हो सकता है।”
    पीड़ितों की पहचान हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ थाना क्षेत्र के ऊंचाघना निवासी सुनील महतो, सुकर महतो, करगालो निवासी चंद्रशेखर कुमार, डीलों महतो और गिरिडीह जिले के डुमरी निवासी दिलचंद महतो के रूप में हुई है। वीडियो में ये सभी बताते हैं कि एक दलाल ने उन्हें निर्माण कार्य का वादा कर भारत से कैमरून भेजा, लेकिन वहां पहुंचने पर कंपनी मालिक वेतन देने से इनकार कर रहा है। खाने को दाल-चावल भी कभी-कभी मिलता है, रहने की जगह टूटी छत है और पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है। “हम लोग बंधुआ मजदूर बन गए हैं, भारत सरकार से गुजारिश है कि हमें निकाले,” वीडियो में सुनील रोते हुए कहता है।
    सिकंदर अली ने बताया कि यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले ट्यूनीशिया में फंसे 48 मजदूरों को विदेश मंत्रालय की सहायता से वापस लाया गया था, लेकिन अभी भी गिरिडीह के बगोदर के पांच मजदूर सात महीने से नाइजर में बंधक बने हैं। डुमरी के विजय कुमार महतो का शव पिछले एक महीने से सऊदी अरब में पड़ा है, जिसकी स्वदेश वापसी प्रक्रिया अटकी हुई है। “प्रवासी मजदूरों के लिए झारखंड सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। विदेश में फंसे लोगों के लिए तत्काल हेल्पलाइन, वित्तीय सहायता और कानूनी सहारा देना होगा,” सिकंदर ने कहा।
    झारखंड के श्रम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे विदेश मंत्रालय से संपर्क कर रहे हैं और जल्द ही कैमरून में भारतीय दूतावास को नोट भेजा जाएगा। विदेश राज्य मंत्री कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार राजदूतावाला टीम को मजदूरों के ठिकाने का पता लगाने के लिए स्थानीय पुलिस से समन्वय करने को कहा गया है। सिकंदर अली ने मांग की है कि राज्य सरकार तत्काल एक विशेष टीम बनाए, जो दलालों की भूमिका की जांच करे और पीड़ित परिवारों को 25-25 हजार रुपये आपातकालीन सहायता दे। साथ ही, प्रवासी मजदूरों को विदेश भेजने वाली एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में कोई और ठगा न जाए।
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