वाशिंगटन: अगर आप एक से ज्यादा सोशल साइट का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइए। नये शोध में बताया गया है कि कई सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने से अवसाद और दुष्चिंता के विकार का खतरा तीन गुना तक बढ़ जाता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, कई सोशल नेटवर्किंग साइटों पर खर्च किए गए समय की तुलना करने पर इसका अवसाद और व्याकुलता पर सीधा असर दिखा। इसमें कहा गया कि जो लोग सात से 11 तरह के सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, उनमें अवसाद होने का खतरा तीन गुना तक ज्यादा था। जबकि जिन लोगों ने दो या उससे कम साइटों का इस्तेमाल किया उनमें इस तरह का खतरा नहीं के बराबर पाया गया।
अमेरिका स्थित पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ब्रायन ए प्राईमैक ने बताया कि कई सोशल साइट का इस्तेमाल करने वालों में प्रभावी रूप से अवसाद या व्याकुलता का लक्षण दिखाई दिया। इस पर अध्ययन के लिए अमेरिका के 19 से 32 आयुवर्ग के 1787 लोगों पर शोध किया गया। इन लोगों से बाद में अवसाद के लक्षणों की पहचान से जुड़े सवाल पूछे गए।
सभी प्रतिभागियों से फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, रेडिट जैसी सोशल साइटों से जुड़े सवाल भी पूछे गए। इसमें पाया गया कि जिन लोगों ने सात से अधिक साइटों का इस्तेमाल किया उनमें अवसाद संबंधी लक्षण 3.1 गुना ज्यादा पाए गए। इतना ही नहीं जिन लोगों ने 11 से ज्यादा सोशल साइटों का इस्तेमाल किया, उनमें यह लक्षण 3.3 गुना ज्यादा मिले, जबकि कम साइटों पर समय बिताने वालों को इससे पीड़ित नहीं पाया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कई साइटों पर काम करने के दौरान संज्ञान लेने की क्षमता घट जाती है, जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। विभिन्न साइटों पर समय बिताने के दौरान सांस्कृतिक धारणा और विचारात्मकता भी प्रभावित होती है, जो हमारी भावनाओं पर विपरीत असर डालती है। इसके अलावा सामाजिक चूक या गलतियों की आशंका भी होती है, जो हमारे अंदर बार-बार उलझन पैदा करती है। इस शोध को जर्नल कम्प्यूटर्स इन ह्यूमन बिहैवियर में प्रकाशित किया गया।