नई दिल्ली: पार्टी के रूख का अनुसरण करते हुए शीला दीक्षित ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाया और इस बात पर हैरत जतायी कि वह रिश्वत दिए जाने से संबंधित ‘‘सहारा बिड़ला दस्तावेजों’’ की स्वतन्त्र जांच से झिझक क्यों रहे हैं। इससे पहले दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री ने इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया था जिससे उन्होंने अपनी पार्टी को बचाव मुद्रा में ला दिया था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि वह इस विवाद के चलते खुद को इस राज्य में चुनाव प्रचार से अलग रख रही हैं।
शीला ने ट्वीट किया, ‘‘पीएमओ इंडिया बिड़ला सहारा दस्तावेज की स्वतंत्र एवं व्यापाक जांच कराने से झिझक क्यों रहा है।’’ दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री का नाम अन्य राजनीतिक नेताओं के साथ सहारा डायरियों में कथित तौर पर लिया गया है। उन्होंने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उनके इस इंकार से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए पसोपेश की स्थिति पैदा हो गई क्योंकि उन्होंने इन दस्तावेजों के आधार पर मोदी पर कारपोरेट घरानों से धन लेने का आरोप लगाया था।
शीला की टिप्पणी के बाद भाजपा उन्हें निशाना बना रही है जबकि कांग्रेस इस बात पर कायम है कि वह ‘‘सहारा डायरियां’’ भ्रष्टाचार मुद्दे पर स्वतंत्र एवं व्यापक जांच चाहती है। इस बात को लेकर भी अटकलें थीं कि शीला विवाद के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार नहीं रहें। अटकलों को खारिज करते हुए शीला ने इन खबरों से इंकार किया कि उन्होंने अलीगढ़ में अपना निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात को देखकर दंग रह गयी कि मीडिया में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि शीला ने उत्तर प्रदेश से अपने को अलग कर लिया है। अलीगढ़ में मेरा कार्यक्रम नहीं था। मैं बुधवार को बाराबंकी में रहूंगी।’’ शीला ने आरोपों का रविवार को कड़ाई से खंडन करते हुए कोई भी गलत काम करने से साफ इंकार किया था तथा आरोपों को सुनी सुनाई बात कहा था। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय डायरियों पर पहले ही अपनी टिप्पणी कर चुका है। शीला की ही तरह भाजपा ने भी मोदी के बचाव में ऐसी ही टिप्पणियां की थीं।