नयी दिल्ली: नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में आज भी गतिरोध बरकरार रहा जिसमें विपक्ष ने दोनों सदनों में इस फैसले के कारण आम लोगों विशेषकर अपना वेतन एवं पेंशन निकालने वाले व्यक्तियों को हो रही परेशानियों को उठाते हुए हंगामा किया तथा सरकार पर देश में ‘‘आर्थिक आपातकाल’’ लगाने का आरोप लगाया। हालांकि सरकार ने इस फैसले को राष्ट्रहित में उठाया गया कदम बताते हुए विपक्ष पर इसे लेकर चर्चा से भागने का आरोप लगाया।
लोकसभा में विपक्ष इस मुद्दे पर मतदान वाले प्रावधान के तहत चर्चा को लेकर अड़ा रहा जिससे सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर पांच मिनट पर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में भी विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर करीब 25 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, सपा सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य आज दोनों सदनों में आसन के समक्ष आकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। लोकसभा में नोटबंदी के मुद्दे पर मतविभाजन के प्रावधान के साथ चर्चा शुरू कराने की विपक्ष की मांग के बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा, इस बात के लिए पूरे विपक्ष का आभार है कि नोटबंदी के फैसले को लेकर सरकार की नीयत पर किसी ने भी संदेह प्रकट नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा कि इस फैसले के क्रियान्वयन को लेकर कुछ आपत्तियां हैं और विपक्ष के अनुसार इसका क्रियान्वयन सही नहीं है। उन्होंने कहा, हम जानना चाहते हैं कि क्रियान्वयन को लेकर कहां कहां कठिनाइयां रहीं। विपक्ष जिन कठिनाइयों से संसद को अवगत कराएगा। उनका निराकरण करने का हम प्रयास करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशहित में, राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए और कालेधन, आतंकवाद, माओवाद तथा उग्रवाद एवं जाली मुद्रा को रोकने के लिए यह फैसला लिया है।
राजनाथ ने कहा कि इसलिए मैं विपक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि नियम का निर्णय अध्यक्ष पर छोड़ा जाए और वह जिस भी नियम के तहत चर्चा शुरू कराएं, उस पर तत्काल चर्चा शुरू की जाए।’’ कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार के बयान से यह गलत संदेश नहीं जाना चाहिए कि हम चर्चा नहीं चाहते। हम मतविभाजन के नियम के तहत बहस शुरू करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के फैसले के बाद कितना नुकसान हुआ और कितना फायदा हुआ, इस बारे में चर्चा के बाद वोटिंग कराई जानी चाहिए। खड़गे ने मतविभाजन पर सरकार के तैयार नहीं होने पर निशाना साधते हुए कहा, वोटिंग कराने से पहाड़ नहीं गिर जाएगा। वे मतविभाजन से क्यों भाग रहे हैं।’’
तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि सत्तापक्ष इतने अधिक बहुमत में हैं कि तत्काल नियम 184 के तहत बहस शुरू कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आसन नियम 184 के तहत चर्चा शुरू कराने की कांग्रेस नेता खड़गे की मांग स्वीकार करता है तो वह अपना कार्यस्थगन का नोटिस वापस लेने को तैयार हैं। राजद के जयप्रकाश नारायण यादव और पी करूणाकरण ने भी यही मांग की। तेलंगाना राष्ट्र समिति के एपी जितेंद्र रेड्डी ने कहा कि सभी 17 विपक्षी दल सरकार के नोटबंदी के फैसले के समर्थन में हैं लेकिन वे क्रियान्वयन की समस्याओं को उठा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने आरोप लगाया कि इस फैसले से पहले किसी दल को विश्वास में नहीं लिया गया और देश के एक दो उद्योगपतियों की राय पर यह निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि हम सभी जनता का दुख दर्द कहना चाहते हैं। यह गंभीर विषय है। चर्चा के बाद मतविभाजन की कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी सदस्यों की मांग पर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वोट का प्रश्न जब आएगा तब देखेंगे। अभी चर्चा शुरू करें। आसन की ओर से आज चर्चा कराने के कई प्रयास किए गए किन्तु विपक्षी सदस्यों के अपने रूख पर अड़े रहने के कारण इसमें सफलता नहीं मिली।
उधर राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने नोटबंदी के चलते लोगों को वेतन तथा पेंशन मिलने में हो रही मुश्किलों को उठाते हुए हंगामा किया। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा से बचने के लिए बहाने खोज रहा है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकारी कर्मियों को वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल रही है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या देश में कोई वित्तीय आपातकाल की स्थिति बन गयी है। उन्होंने कहा कि जब संसद के अंदर लगे एटीएम तक काम नहीं कर रहे हैं तो देश के अन्य हिस्सों की क्या स्थिति होगी। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और सपा के सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। बसपा, माकपा आदि दलों के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े थे। उधर भाजपा के कई सदस्य भी अपने स्थानों से आगे आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर उपसभापति पीजे कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि नारेबाजी इस समस्या का कोई हल नहीं है और वे चर्चा में भाग लें क्योंकि चर्चा ही इसका समाधान है। उन्होंने कहा कि चर्चा के बाद सरकार उनका जवाब देगी।
विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर सूचना प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने नोटबंदी मुद्दे पर आगे चर्चा कराने को कहा। हंगामे के बीच ही सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि आज नोटबंदी के कारण जनता परेशान है और पूरा देश सड़क पर है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर ऐसी स्थिति बना रही है और वह इस मुद्दे पर जवाब भी नहीं देना चाहती। उन्होंने कहा कि सरकार ने पूरे देश को विकलांग बना दिया है।
कुरियन ने भोजनावकाश के बाद हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और नि:शक्त व्यक्ति अधिकार विधेयक, 2014 पर विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि यह कोई विवादित विधेयक नहीं है और सदस्यों को इसे पारित कर देना चाहिए। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने इस विधेयक को बिना चर्चा के पारित करने का प्रस्ताव रखा। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने इस पर आपत्ति जतायी और कहा कि सदन में हंगामे में कोई विधेयक पारित कराने की परंपरा नहीं रही है। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सदस्य उत्तेजित हैं क्योंकि पिछले सप्ताहांत से स्थिति और खराब हो गयी है। उन्होंने कहा कि हजारों लोगों के रोजगार चले गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिना तैयारी के फैसला किया और अब लोगों को उनके वेतन तथा पेंशन तक नहीं मिल रही हैं। लोगों को अपने पैसे नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के मुद्दे उठाना उनकी जिम्मेदारी है। विधेयक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह विधेयक के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसे हंगामे में पारित नहीं कराया जाना चाहिए।
भाजपा के भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस कार्यकाल में हुए विभिन्न घोटालों का जिक्र किया और नोटबंदी मुद्दे पर सदन में अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाए जाने की मांग की। उन्होंने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी चर्चा शुरू कराने पर जोर दिया। माकपा के तपन कुमार सेन ने भी वेतन एवं पेंशन मिलने में हो रही देरी का मुद्दा उठाया और कहा कि वेतन काम करने के बदले प्रतिफल है और वेतन कामगारों का अधिकार है। हंगामे के दौरान ही कांग्रेस के राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी तथा तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने भी यह मुद्दा उठाया। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत से ही नोटबंदी के मुद्दे को लेकर कामकाज प्रभावित रहा है। राज्यसभा में सत्र के पहले दिन 16 नवंबर को इस विषय पर चर्चा शुरू हुई थी लेकिन बाद में चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी।