रांची: गरीब आदिवासियों का हक मारा जा रहा है। आदिवासी के नाम पर ईसाई धर्मावलंबियों को मिल रही नौकरियों के कारण सरना समाज सुलग रहा है। सरना समाज का कहना है कि इसके कारण एक ओर ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासी लगातार आगे निकलते जा रहे हैं, जबकि आदिवासियों को मिलनेवाले आरक्षण के मूल अधिकारी सरना समाज के लोग उतने ही पिछड़ते जा रहे हैं। स्थिति यह है कि गरीब आदिवासी आज विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए छटपटा रहा है, जबकि उनके आरक्षण के हक का लाभ ईसाई धर्मावलंबी उठा रहे हैं, जिनकी संख्या मात्र 5 प्रतिशत है।

सरना धर्मावलंबियों के बीच अब सरना कोड लागू किये जाने की मांग तेजी से उठने लगी है। रविवार को केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की के नेतृत्व में सरना धर्मावलंबियों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री रघुवर दास से मिला और अपनी बातें उनके समक्ष रखीं। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि सरना आदिवासियों को हक दिलाने के लिए वह पहल करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलवाने के लिए वह समय दिला दें।

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से आदिवासी समुदाय की धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षण और सुरक्षा देने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के हक के लिए उनकी सरकार पूरी निष्ठा से काम कर रही है। वह खुद आदिवासियों की सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण रखने के लिए प्रयासरत हैं।
मुख्यमंत्री से मिले सरना समाज के ये लोग : फूलचंद तिर्की, सुनील फकीरा कच्छप, संदीप उरांव , मेघा उरांव, बबलू मुंडा, विश्वास उरांव, बिंदेश्वर बेक, आकाश उरांव, कृष्णकांत टोप्पो, कैलाश केशरी, विश्वास उरांव, रामदास उरांव भीखा उरांव , ननकू मुंडा,
प्रकाश मुंडा, शोभा कच्छप आदि शामिल थे। >> पेज-2 भी देखें।

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