वाशिंगटन:  अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने इजराइल के साथ कूटनीतिक कलह के क्रम में ओबामा प्रशासन के उस फैसले का पुरजोर बचाव किया जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से फिलस्तीनी क्षेत्र में इजराइली बस्तियों को गैरकानूनी घोषित करने की इजाजत दी गई है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि एक लोकतंकत्र के तौर पर इजराइल का भविष्य दांव पर है।संयुक्त राष्ट्र में मतदान से अमेरिका के अनुपस्थित रहने पर इजराइल की नाराजगी के बाद केरी ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की फिलस्तीनी राष्ट्र को लेकर प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए। केरी ने इजराइल-फिलस्तीन विवाद पर एक संबोधन में कहा कि नेतन्याहू दो राष्ट्र के समाधान में विश्वास की बात करते हैं, लेकिन इजराइल के इतिहास में वह सबसे दक्षिणपंथी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर विकल्प एक देश का है तो फिर इजराइल या तो यहूदी राष्ट्र रह सकता है या फिर लोकतांत्रिक। वह दोनों नहीं हो सकता और ऐसी स्थिति में कभी शांति नहीं होगी।’’ केरी सहित ओबामा प्रशासन अगले चार सप्ताह में सत्ता से बाहर होने वाला है। इन्होंने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर वीटो ना लगाकर इजराइल को नाराज कर दिया है। बीते शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला करते हुए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने सहयोगी इजराइल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर वीटो नहीं किया। प्रस्ताव इजराइल द्वारा फिलस्तीनी सीमा में निर्माण कार्य कराए जाने के खिलाफ लाया गया था। केरी ने इजराइल और फिलस्तीन दोनों से आग्रह किया कि वे भूक्षेत्रों के आदान-प्रदान में 1967 की स्थिति के मुताबिक सहमति बनाएं। उधर, इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने केरी के संबोधन को इजराइल के विरूद्ध करार दिया।

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