झारखंड में लंबे समय से खाली पड़े आयुष चिकित्सकों के पदों को भरने के लिए सरकार ने अनुबंध पर डॉक्टरों को रखने की प्रक्रिया तो अपनाई मगर जिस एजेंसी को इसका जिम्मा सौंपा गया वही दागदार निकल गई. मालूम हो कि 741 अनुबंधित आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति का जिम्मा दिल्ली की एक एजेंसी को दी गई थी. स्ट्रैटजिक एलाइंस मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम की एजेंसी ने विज्ञापन निकालकर भर्ती प्रक्रिया शुरू की.
इसके तहत 5 नवंबर को परीक्षा आयोजित करने के बाद इसके परिणाम भी घोषित कर दिए गए. इस परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने जब स्वास्थ्य मंत्री से एंजेंसी द्वारा जमकर उगाही कर रिजल्ट प्रकाशित करने की शिकायत की तो मंत्रीजी के होश उड़ गए. आनन फानन में मंत्री जी ने इसपर रोक लगाते हुए इसकी जांच कराने का आदेश दे दिया है.
* 5 नवंबर को हुई थी अनुबंध आयुष चिकित्सक के लिए भर्ती परीक्षा
* 900 आवेदन अनुबंध आयुष चिकित्सक के लिए हुए थे जमा* 900 में 741 अनुबंध आयुष चिकित्सकों की होनी थी नियुक्ति
* स्ट्रैटजिक एलाइंस मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नाम की दिल्ली बेस्ड एजेंसी को मिली थी जिम्मेवारी
* एजेंसी ने 741 पदों के लिए 447 परीक्षार्थियों को किया सफल घोषित
मिली जानकारी के अनुसार एजेंसी ने इस परीक्षा के लिए जारी किए प्रवेश पत्र में फोन नंबर दिया था जिसके माध्यम से परीक्षार्थियों से डील होने की शिकायत मिली. सबसे आश्चर्य की बात है कि एजेंसी ने परीक्षा के 15 दिनों के अंदर 447 परीक्षार्थियों को आयुष चिकित्सक पद पर नियुक्त करने के लिए विभाग को अनुसंशा कैसे भेज दी.
दूसरी तरफ बाकी पदों पर नियुक्ति के लिए वेंटिग लिस्ट जारी की गई है. इधर शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमा को अब होश आया है कि कहीं न कहीं गड़बड़झाला जरूर है. यही वजह है कि स्वास्थ्य मंत्री ने पीत पत्र जारी करते हुए इसकी जांच का जिम्मा विभाग के संयुक्त सचिव वीरेन्द्र कुमार सिंह को दिया है.
आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति में पहले भी गड़बड़ियां होती रही हैं. पूर्व मंत्री भानू प्रताप शाही और चयन समिति के अध्यक्ष डॉ. अमरेश्वर सहाय जेल तक जा चुके हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र पर एजेंसी ने फोन नंबर क्यों दिया और इसका मकशद क्या था. जाहिर तौर पर एजेंसी के ऊपर उठ रहे सवाल कई आशंकाओं को जन्म देती है.