आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। पारा शिक्षकों का पारा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। मंत्री और सचिव के आमंत्रण पर सवाल उठाते हुए पारा शिक्षकों ने शर्त रख दी है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में बातचीत हो। इसके बाद पारा शिक्षक वार्ता को तैयार हैं। पारा शिक्षकों ने मंत्री के आमंत्रण पर सवाल उठाया कि वार्ता के लिए स्थान तय नहीं किया गया है और न ही समय या एजेंडा ही तय किया गया है। फिर इस आमंत्रण का क्या औचित्य है। इतना ही नहीं, शिक्षा मंत्री ने किसे बुलाया है, यह भी तय नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में इस आमंत्रण को केवल आइवाश ही कहा जा सकता है।
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता बजरंग प्रसाद और संजय कुमार दुबे ने बताया कि शिक्षा मंत्री ने पूर्व की मुलाकात में ही कहा था कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, क्योंकि इस मामले को मुख्यमंत्री देख रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में ही बातचीत होनी चाहिए। साथ ही स्थायीकरण और वेतनमान वृद्धि की मांग पर सकारात्मक विचार होना चाहिए। वार्ता में खानापूर्ति नहीं हो। अगर स्थायीकरण और वेतनमान वृद्धि नहीं होती है, तो पारा शिक्षक हड़ताल से वापस नहीं आयेंगे।
कहा कि उन पर आरोप लगाया जाता है कि पारा शिक्षक राजनेता बनने की सोच रहे हैं। ऐसा नहीं है। पारा शिक्षक 18 वर्षों से स्कूलों में सेवा दे रहे हैं। ऐसे में उन्हें राजनेता बनने की ख्वाहिश नहीं है। सरकार उन्हें शिक्षक बना दे, ताकि वे स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था कायम कर सकें। बताते चलें कि सोमवार को ही शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने घोषणा की थी कि पारा शिक्षकों से वार्ता के लिए सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि अगर वार्ता नहीं होती है, तो सरकार बड़ा कदम उठा सकती है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि पारा शिक्षकों को बुधवार तक वार्ता के लिए बुलाया गया है। अगर पारा शिक्षक नहीं पहुंचते हैं, तो कड़ी कार्रवाई होगी।
मीडिया से मिली वार्ता के प्रस्ताव की जानकारी: संजय
रांची। एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता और झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार दुबे ने कहा कि झारखंड सरकार ने वार्ता के लिए अभी तक नहीं बुलाया। उन्हें मीडिया से पता चला कि सरकार ने पारा शिक्षकों को 26 दिसंबर तक वार्ता के लिए बुलाया है। उन्होंने कहा कि सरकार एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के आठ नेताओं विनोद बिहारी महतो, संजय दुबे, ऋषिकेश पाठक, बजरंग प्रसाद, सिंटू सिंह, नरोत्तम सिंह मुंडा, दशरथ ठाकुर और मोहन मंडल के नाम पत्र जारी करे और स्थान सुनिश्चित कर वार्ता के लिए बुलाये। संजय दुबे ने कहा कि झारखंड सरकार ने अब तक पारा शिक्षकों को वार्ता के लिए बुलाया ही नहीं है।
शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव ने मीडिया से कहा है कि पारा शिक्षक वार्ता के लिए आयें। पारा शिक्षकों की स्थिति यह है कि कर्मचारियों से भी कम वेतन पर काम करना पड़ रहा है। इसलिए पारा शिक्षकों को कम से कम 5200 से 20 हजार 200 रुपये का वेतनमान दिया जाये। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और बिहार में भी यह वेतनमान पारा शिक्षकों को दिया जा रहा है। पारा शिक्षकों ने सरकार के समक्ष यह मांग रखी है कि सरकार एक नियमावली बनाये, जिसके मुताबिक पारा शिक्षक स्कूलों में काम करें और इसी नियमावली की तर्ज पर पारा शिक्षकों का वेतनमान तय हो। 2008 में एक नियमावली बनी थी, जिसे कैबिनेट से पास भी किया गया था, लेकिन उसमें संशोधन जरूरी है। सरकार संशोधन कर एक नयी नियमावली बनाये।