रांची। डावांडोल हो रही राज्य में निजी क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी उषा मार्टिन लिमिटेड को बचाने, कंपनी की दशा सुधारने और इसे एक नयी दिशा देने के लिए कंपनी के संस्थापक सह समाजसेवी बसंत झवर आगे आये हैं। कंपनी की वर्तमान दशा ने उन्हें विचलित कर दिया है। इससे व्यथित होकर 85 वर्ष की इस उम्र भी वह फिर से कंपनी को पुराना मुकाम दिलाने के लिए निकल पड़े हैं। कंपनी के मजदूर भी उनके साथ हैं। उन्होंने मजदूरों को भरोसा दिलाया है कि ईमानदारी और सच्ची निष्ठा के साथ काम किया जाये, तो फिर एक बार कंपनी की पूरी दुनिया में धूम मचेगी। इसे लेकर बसंत कुमार झवर ने शनिवार को चेंबर भवन में कंपनी के मजदूरों के साथ संवाद किया। उनकी दशा जानी।

कहा कि संकट के ये बादल ज्यादा नहीं रहेंगे। जल्द ही अंधेरा छंटेगा और उजाले से सभी रोशन होंगे। इसके लिए नियम और कानून के तहत काम करने की जरूरत है। उन्होंने उषा मार्टिन के निराश मजदूरों को ढाढ़स बंधाते हुए कहा कि आप काम करिये। काम के साथ चौकीदारी भी कीजिए। न गलत काम करिये और न किसी को करने दीजिए। चौकीदारी से ही कंपनी को बचाया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में ध्यान नहीं दिये जाने के कारण ही कंपनी का दो तिहाई हिस्सा बिक गया। केजीवीके, स्टील कंपनी, आयरन ओर आदि कंपनियां निकल गयीं। अब जो एक तिहाई हिस्सा बचा है, उसे हमें बचाना है। उन्होंने कहा कि मर्यादा और नियमों के तहत ही कंपनी को बचाने के लिए हम निकल पड़े हैं। इसके लिए मजदूरों का साथ जरूरी है। कानून भी अपना काम करेगा। इसके लिए जहां भी जरूरत है या होगा, हम जा रहे हैं और जायेंगे। पिछले कुछ वर्षों में मशीनों का भी अप्रगेडेशन नहीं हुआ, जो किसी भी कंपनी के आगे बढ़ने के लिए जरूरी होता है। यह समय की मांग भी है।

मजदूरों के अनुभव को ट्रेनिंग का साथ मिलेगा
बीके झवर ने ट्रेनिंग की जरूरत पर बल देते हुए मजदूरों से कहा कि यह समय की मांग है। आपके अनुभव को यदि प्रशिक्षण मिले, तो अपने काम को बेहतरीन ढंग से आगे बढ़ा सकते हैं। कंपनी में चार चांद लगा सकते हैं। कहा कि मजदूर उनके परिवार हैं। इसका उन्होंने पालन-पोषण किया है। इस कंपनी को उन्होंने खून और पसीने सींचा है। एक-एक ईंट जोड़ कर इसे खड़ा किया है। आज से 58 साल पहले छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत की थी। कंपनी का पूरी दुनिया में नाम है। इसमें यहां के मजदूर और कर्मचारियों का बराबर योगदान है। कंपनी ने निर्यात के जरिये दुनिया में नाम कमाया। शुरुआत के बाद आठ साल की छोटी अवधि में ही यह मार्टिन ब्लैक से बड़ी कंपनी हो गयी थी।

बची कंपनी को बचाने का संकल्प
बीके झवर ने कहा कि गुजरते समय के साथ कुछ भूल उनसे हुई। उन्होंने गलत लोगों पर भरोसा कर लिया। ऐसे लोगों ने कंपनी की जिम्मेदारी कम संभाली और जड़ें ज्यादा काटीं। इसका नतीजा है कि यहां भ्रष्टाचार बढ़ा, कंपनी का दो तिहाई हिस्सा बिक गया। कंपनी में इतना बड़ा लोन ले लिया गया। कई ऐसी चीजें हुईं, जो नहीं होनी चाहिए थी। इसलिए कंपनी नुकसान में चली गयी। गनीमत है कि कंपनी अच्छे हाथों में गयी। टाटा समूह का बड़ा नाम है। वह डेढ़ सौ साल पुरानी कंपनी है। झवर ने कहा कि अब रांची की कंपनी बची है। इसे अच्छे से चलाना है। इसके लिए सबका योगदान चाहिए। यकीन है कि गया हुआ वक्त लौट आयेगा।

प्रशांत झवर बोले जल्द बहुरेंगे दिन
बीके झवर के पुत्र उद्यमी प्रशांत झवर ने मजदूरों को आश्वस्त किया कि कंपनी के दिन बहुरेंगे। पाप का अंत होगा। इसका इतिहास गवाह रहा है। पिछले कुछ वर्षों में मजदूरों ने कष्ट झेला है। वे धैर्य बनाये रखें। अपना काम ईमानदारी से करें। कानून के दायरे में रहकर इस संघर्ष को जारी रखना है। हमसे कुछ भूल हुई है। उसे ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। जो काम मजदूर कर रहे हैं, वह कोई मालिक या अधिकारी नहीं कर सकता। कोई अधिकारी मजदूरों की तरह 12 घंटे काम भी नहीं कर सकता। रांची की कंपनी की आय 100 करोड़ रुपये के आसपास है, पर यहां कोई निवेश नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एक साजिश रचकर मुझे कंपनी के चेयरमैन पद से हटाया गया, पर इसका उन्हें कोई अफसोस नहीं है। अब अपनी बात वह खुलकर रख सकते हैं। सिर्फ उनकी कुर्सी बदली है, तेवर नहीं। मौके पर कई मजदूरों ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने संस्थापक बीके झवर को ज्ञापन सौंपकर कंपनी के प्रबंध निदेशक समेत कई अधिकारियों को हटाये जाने की मांग की।

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