वरीय संवाददाता
रांची। वर्ष 2013 में डोरंडा में छह वर्षीय बच्ची के साथ रेप और हत्या मामले की जांच को लेकर कोर्ट के स्वत: संज्ञान की सुनवाई झारखंड हाइकोर्ट में हुई। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को नौ जनवरी 2019 तक कंप्रिहेंसिव रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। यह रिपोर्ट जवाबदेह अधिकारी द्वारा दिया जाना चाहिए। मामले की सुनवाई हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिरुध बोस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। खंडपीठ ने कहा कि सरकार शपथ पत्र में इसकी पूरी जानकारी दे कि पुलिस ने जांच को लेकर क्या कदम उठाये हैं।
अगर रिपोर्ट से कोर्ट संतुष्ट नहीं होता है, तो मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करायी जा सकती है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि मामले में पुलिस क्लू लेस रही है। अबतक कई गवाहों का बयान दर्ज किया जा चुका है। संदिग्ध 11 लोगों की पोलीग्राफी टेस्ट करायी गयी है। दो लोगों मो शाहीद और सहजादी खातून के नार्को टेस्ट कराने की अनुमति जुलाई 2018 को कोर्ट से मांगी गयी है। प्रार्थी की ओर से यह भी बताया गया कि मामले की जांच एक साल पहले जहां थी, अब भी वहीं है। पुलिस को अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
इस पर कोर्ट ने सरकार से कहा कि बच्ची के साथ रेप और मर्डर का यह गंभीर मामला है। इस पर नौ जनवरी 2019 तक विस्तृत शपथ पत्र दिया जाये। बता दें कि 25 अप्रैल 2013 को डोरंडा क्षेत्र में छह वर्षीय बच्ची के साथ रेप और मर्डर की घटना हुई थी। शुरुआत में पुलिस ने मामले में सद्दाम हुसैन को आरोपी बनाते हुए जेल भेजा था। मीडिया में इस घटना की रिपोर्ट आने के बाद आंदोलन हुआ था। अधिवक्ता राजीव कुमार ने मामले को हाइकोर्ट के संज्ञान में लाया था। इसके बाद कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था।