Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Breaking News»राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोई संदेह नहीं
    Breaking News

    राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कोई संदेह नहीं

    azad sipahiBy azad sipahiDecember 14, 2018No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    नयी दिल्ली। राफेल डील पर विपक्ष के आरोपों का सामना कर रही मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार को SC ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के NDA सरकार के फैसले में कोई अनियमितता नहीं मिली है। इसके साथ ही कोर्ट ने राफेल डील को लेकर दाखिल की गयी सारी याचिकाएं भी खारिज कर दी।

    सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, ‘इस प्रक्रिया को लेकर हम संतुष्ट हैं और संदेह की कोई वजह नहीं है। कोर्ट के लिए यह सही नहीं है कि वह एक अपीलीय प्राधिकारी बने और सभी पहलुओं की जांच करे।’ कोर्ट ने साफ कहा, ‘हमें कुछ भी ऐसा नहीं मिला जिससे लगे कि कोई कॉमर्शल पक्षपात हुआ हो।’ CJI रंजन गोगोई ने कहा कि ऑफसेट पार्टनर के विकल्प में दखल देने की भी कोई वजह नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार को 126 विमानों की खरीद के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं और कोर्ट के लिए यह उचित नहीं होगा कि वह केस के हर पहलू की जांच करे। उन्होंने कहा कि कीमतों के डीटेल्स की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है।

    आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से फ्रांस के साथ राफेल विमानों की खरीद के बहुचर्चित सौदे में कथित भ्रष्टाचार की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई थी। इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने 14 नवंबर को मैराथन सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। राफेल डील की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को लेकर ऐडवोकेट एमएल शर्मा और विनीत ढांडा ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थी। बाद में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी ऐसी ही याचिका डाली। एक संयुक्त याचिका पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी व सीनियर ऐडवोकेट प्रशांत भूषण ने दाखिल की थी।

    क्या है मौजूदा सौदा
    भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 23 सितंबर, 2016 को 7.87 अरब यूरो (लगभग 59,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए। सौदा दोनों देशों की सरकारों के बीच हुआ है। भारतीय एयर फोर्स के अपग्रेडेशन के प्लान के तहत यह डील हुई है। इन जेट्स को फ्रांस की दसॉ कंपनी ने तैयार किया है। विमान की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होगी। इस सौदे की जमीन अप्रैल 2015 में पीएम मोदी के फ्रांस दौरे पर तैयार हुई थी। 10 अप्रैल 2015 को पीएम मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने संयुक्त बयान जारी कर बताया था कि दोनों सरकारें 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के सौदे के लिए सहमत हैं।

    राफेल डील पर क्या है विवाद
    राफेल डील में विमानों की कथित तौर पर बहुत ज्यादा बढ़ी हुई कीमत, सरकारी कंपनी HAL को सौदे से बाहर रखे जाने, अनिल अंबानी की कंपनी को दसॉ द्वारा ऑफसेट पार्टनर बनाए जाने और कथित तौर पर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समति की बिना मंजूरी के ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सौदे के ऐलान जैसे मुद्दों को लेकर विवाद है। राफेल डील को लेकर मुख्य विपक्षी कांग्रेस काफी हमलावर है और मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है। सौदे के विवादों में घिरने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था। कांग्रेस इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है। उसका कहना है कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये कीमत तय की थी। पार्टी ने सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों सरकारी ऐरोस्पेस कंपनी HAL को इस सौदे में शामिल नहीं किया गया।

    रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुने जाने पर विवाद
    कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का यह भी आरोप है कि दसॉ ने मोदी सरकार के दबाव में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुना, जबकि उसके पास इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने दसॉ सीईओ पर झूठ बोलने का भी आरोप लगाया है। दूसरी तरफ दसॉ, फ्रांस और मोदी सरकार ने गांधी के आरोपों को खारिज किया है।

    ऑफसेट क्लॉज के मुताबिक दसॉ को सौदे के बदले में उसकी कुल राशि की आधी रकम के बराबर भारत में निवेश करना है। चूंकि, 36 विमानों की खरीद का सौदा 59,000 करोड़ रुपये का है। लिहाजा दसॉ को भारतीय कंपनियों में इसके आधे यानी करीब 30,000 करोड़ रुपये के बराबर निवेश करना है। दसॉ ने ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस डिफेंस समेत कई भारतीय कंपनियों को चुना है। ये कंपनियां दसॉ के लिए विमानों के पार्ट्स बनाएंगे।

    यूपीए सरकार का क्या सौदा था?
    भारत ने 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। यूपीए सरकार के दौरान राफेल खरीद सौदा नहीं हो पाया था और उस समय सौदे को लेकर दोनों पक्षों में बातचीत ही चलती रही। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी। इस बड़े सौदे के दावेदारों में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंग का एफ/ए-18 एस और दसॉ एविएशन का राफेल शामिल था।

    लंबी प्रक्रिया के बाद दिसंबर 2012 में बोली लगाई गई। दसॉ एविएशन सबसे कम बोली लगाने वाली निकली। मूल प्रस्ताव में 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किये जाने थे। यूपीए सरकार और दसॉ के बीच कीमतों और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर लंबी बातचीत हुई थी।

    अंतिम वार्ता 2014 की शुरुआत तक जारी रही लेकिन सौदा नहीं हो सका। प्रति राफेल विमान की कीमत का विवरण आधिकारिक तौर पर कभी घोषित नहीं किया गया था, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने संकेत दिया था कि सौदा 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर का होगा। कांग्रेस ने प्रत्येक विमान की दर एवियोनिक्स और हथियारों को शामिल करते हुए 526 करोड़ रुपये (यूरो विनिमय दर के मुकाबले) बताई थी।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleसेना को रोजगार का जरिया न समझें: आर्मी चीफ
    Next Article अमेरिकाः यौन शोषण करने वाले भारतीय व्यक्ति को नौ साल की जेल
    azad sipahi

      Related Posts

      झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल

      June 7, 2025

      गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा

      June 7, 2025

      अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद

      June 7, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version