हर जुबां पर जमशेदपुर पूर्वी और चक्रधरपुर सीट की चर्चा
एक नवंबर को जब झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई थी, तो शायद ही किसी को अंदाजा था कि जमशेदपुर पूर्वी सीट का मुकाबला सबसे दिलचस्प और प्रतिष्ठाजनक हो जायेगा। वजह यह कि इस सीट पर रघुवर दास पिछले पांच चुनावों से आसान जीत दर्ज करते रहे हैं। माना जा रहा था कि इस बार भी उनके सामने विपक्ष उनके कद का कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं दे पायेगा। पर हुआ अनुमान के विपरीत। रघुवर दास के मंत्रिमंडलीय सहयोगी सरयू राय निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उनके खिलाफ उतर आये। उधर कांग्रेस ने भी सबको चौंकाते हुए पार्टी के राष्टÑीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ को इस सीट पर उतार दिया। झारखंड विकास मोर्चा भी कहां पीछे रहने वाला था। उसने अपने वरिष्ठ नेता अभय सिंह को यहां उम्मीदवार बना दिया।
जमशेदपुर पूर्वी सीट मुख्य रूप से शहरी क्षेत्र है और इसके करीब 60 फीसदी हिस्सा टाटा स्टील के कमांड एरिया में आता है। इस सीट पर तीन लाख से अधिक वोटर हैं, पर हार-जीत का गुणा-भाग मुख्यत: 86 बस्तियों से होता है। इन बस्तियों में एक लाख कामगार रहते हैं, जो रघुवर दास के मुख्य वोट बैंक माने जाते हैं। इन 86 बस्तियों के मालिकाना हक के मसले पर रघुवर दास वर्षों से चुनाव जीतते आ रहे हैं। मालिकाना हक का मसला हर चुनाव में यहां का मुख्य मुद्दा बनता है। इस बार उनके विरोध में खड़े सरयू राय ने बस्ती के लोगों के मालिकाना हक को ही मुख्य मुद्दा बनाया है। रघुवर दास के खेमे के लोगों का दावा है कि इस बार भी रघुवर दास निर्णायक वोटों से जीत हासिल करेंगे। रघुवर दास ने बीते पच्चीस सालों में यहां रोड, कलवर्ट और स्ट्रीट लाइट की सुविधाएं देकर यहां के लोगों का भरोसा जीता है। क्षेत्र के लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए भी वे हमेशा तत्पर रहते हैं। लोग यह अच्छी तरह से जानते हैं कि कौन उनके साथ हमेशा खड़ा रहता है। वहीं विरोधी खेमे के लोगों का कहना है कि 86 बस्तियों के मालिकाना हक पर सिर्फ राजनीति हुई है। लोगों की मांग अभी तक पूरी नहीं हुई। जाहिर है, इस सीट पर दोनों दिग्गज नेताओं के समर्थकों के अपने-अपने दावे हैं।
लक्ष्मण गिलुआ के समक्ष अग्निपरीक्षा की घड़ी : इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में सिंहभूम में गीता कोड़ा के हाथों पराजय का सामना कर चुके भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ इस बार चक्रधरपुर सीट से चुनाव के मैदान में हैं। पिछले चुनाव झामुमो ने शशिभूषण सामड को मैदान में उतारकर भाजपा से यह सीट छीनी थी। उन्होंने भाजपा के नवमी उरांव को हराया था। इसके पहले वर्ष 2009 में इस सीट पर लक्ष्मण गिलुआ ने जीत हासिल की थी और वर्ष 2005 में झामुमो के सुखराम उरांव ने बाजी मारी थी। इस सीट पर यूं तो दस उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं, पर मुख्य मुकाबला भाजपा और झामुमो और झाविमो के बीच में ही है। झामुमो ने यहां से सुखराम उरांव को टिकट दिया है और आजसू ने रामलाल मुंडा को उतारा है। झाविमो ने यहां से विधायक शशिभूषण सामड को अपना प्रत्याशी बनाया है। लोकसभा चुनाव हारने के बाद इस सीट से जीत हासिल करना लक्ष्मण गिलुआ के लिए अति आवश्यक हो गया है। यही वजह है कि क्षेत्र मेें उन्होंने खुद को झोंक कर रख दिया है। गिलुआ को आजसू, झाविमो और झामुमो की ओर से तीन तरफा हमला झेलना पड़ रहा है। यह चुनाव उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि इस बार यदि उनके सर पर जीत का सेहरा नहीं बंधा, तो उनका अध्यक्ष पद भी खतरे में पड़ सकता है।
20 सीटों पर 47 लाख से अधिक मतदाता करेंगे 260 उम्मीदवारों की हार-जीत का फैसला
दूसरे चरण में जिन 20 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें से 13 सीटें कोल्हान की हैें। ये सीटें हैं-बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी, सरायकेला, खरसावां, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर और चक्रधरपुर। इसके अलावा दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल की तमाड़, मांडर, तोरपा, खूंटी, सिसई, सिमडेगा और कोलेबिरा सीट पर भी इसी चरण में चुनाव होने हैं। तीन सीटें बहरागोड़ा, जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी अनारक्षित हैं, जबकि एक सीट जुगसलाई अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, वहीं अन्य 16 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इन 20 सीटों पर कुल वोटरों की संख्या 47 लाख 93 हजार 531 है। इनमें पुरुष 24 लाख 17 हजार 917 और महिला मतदाताओं की संख्या 23 लाख 75 हजार 528 है। चुनाव आयोग के अनुसार इन सीटों पर कुल मतदान केंद्रों की संख्या छह हजार 66 है। इनमें 1016 शहरी तथा 5050 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इन बीस सीटों पर वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और झामुमो बराबरी पर थे।